Monday 31 August 2015

कविता १६८. गम को सजाना

                                                                 गम को सजाना
कभी कभी जीवन मे कोई बात मन को छू  लेती है काश वह जीवन जो हमें तस्सली देता है वह बार बार जिन्दा हो सकता है
जब जब जीवन में हर बात को हम समज लेते है तो ही जीवन में सच्चा मजा हर बार आता है जीवन को समजे तो आसानी से जीवन आगे जाता है
जीवन के हर पल में इन्सान उसे जी लेता है खुशियाँ तो सचमुच में वह जीवन में पाता है जीवन तो वह कहानी है जिसे खुशियों से बस भरना है
आगे बढ़ो बस उसी सोच से तो ही जीवन को आप समज पाये हो उसके हर पल में गम तो आते जाते है वह तो जानेवाले तराने है
क्यों गुनगुनाये उन्हें हर बार किसी फ़साने के लिए उनके अलावा भी कई चीजे है मन को बहलाने के लिए अगर ढूँढो तो मिल जाती है
जीवन में वह चीजे मन को उन उंचाई पर लाने के लिए ना बहलाओ मन को गमों से वह सही नहीं है अफ़सानों के लिए जीवन में काटों को नहीं सजाते है
हम अपने घर में उसे खूबसूरत बनाने के लिए काटे नही लाते क्युकी काटे प्यारे नहीं लगते है हमें मन को बहलाने के लिए पर फिर भी हमने देखा है
कई लोगों को उन्ही काटों से अपने घर को सजाते हुए जीवन को समजे हुए क्या कहे हम जीवन को हर फ़साने के लिए काफी नहीं है
हमारा जीवन एक बारी समज आने के लिए जब जीवन को समज पाये हर कहानी के लिए लगता है जीवन बड़ा मुश्किल है समजने और समजाने के लिए है
जीवन के अंदर आते है कई तरह के मोड़ जो मुश्किल है समजने के लिए क्युकी भले हम नहीं चाहते गम समजाने के लिए कई लोग खुश रहते है उनके साथ जीवन जीने के लिए 

कविता १६७. मुरझाया फूल

                                                                   मुरझाया फूल
कभी कभी कलिया बड़ी प्यारी लगती है वह जीवन मे प्यारासा एक फूल बनती है जिसमें हर पल उम्मीदें भी जगती है उन्हें समजलो तो जीवन मे ख़ुशियाँ मिलती है
बड़े बड़े से सपने वह फूल देते है जो ख्वाबों की चाबी दुनिया को देती है जो जीवन को जिन्दा कर दे वह ख्वाब दुनिया देती है तरह तरह के सुंदर फूल हमे उम्मीदें देते है
उनके संग ही जीवन को पाना हम हर पल चाहते है जीवन की हर आस हम उन फूलों मे पाते है और कलिया वह चीज़ है जो हमे फूल बिन माँगे ही देती है
पर फूल तो हमे हर बार एक जन्नत सी देते है फूल नाज़ुक है जिनको छूने से लगता है कोई सपना कोई ख्वाब अधूरासा था अब वह जीवन को पुरा लगता है
उनकी पंखूडीयों मे हम नया जीवनसा पाते है क्योंकि कली के बीच मे ही तो जिन्दगी छुपी है और उस फूल मे जीवन बसा है पर कभी कभी हम सोचते है
यह फूल और कलियाँ तो सब चाहते है पर जब फूल मुरझाते है लोग तो अक्सर कतराते है पर सबसे बेहतर तो वह होते है जो जीवन मे दूसरे को जगह देते है
हर कोई जीवन मे बस अपनी जगह तो चाहता है उसे हर बारी जीवन का हिस्सा समज के रखता है ग़लत बात यह भी नहीं है इन्सान मेहनत से जो पाता है
उसे पाने की चाह मे वह कई चीज़ें खो देता है बड़ी मेहनत से वह उंचाई पाता है कली की तरह मेहनत से वह खिल जाता है और वह अपने आपको खोना नहीं चाहता है
पर मुरझानेवाला फूल तो दिल को छू लेता है क्योंकि वह चुपचाप डाली पर रहता है जब सही वक्त आता है चुपचाप गिर जाता है वह कोई बात नहीं कहता है
क्योंकि जीवन मे इतनी आसानी से कोई भी अपनी जगह नहीं देता कलियाँ मिलती है कई फूल मिलते है पर जीवन मे एक मुरझाया फूल नहीं मिलता जो दूसरे के ख़ातिर जगह छोड़े ऐसा इन्सान नहीं मिलता

Sunday 30 August 2015

कविता १६६. सितारों के पार रखे ख्वाब

                                                         सितारों के पार रखे ख्वाब
आसमान के आगे कई तारे होते है जीवन की हर सोच मे अलग अलग एहसास होता है जीवन को जो समजो तो सितारों के पार भी उसका नया किनारा होता है
आसमान से भी आगे जहान का वह हिस्सा होता है जिसे समजने के लिए जीवन हर बार आसमान देखता है जब जब जीवन को ध्यान से देखो तो उसमें एक सपना दिखता है
उसे अगर समजलो तो उसमें कई जीवन जिन्दा है जब जब उस जीवन को हम समज लेते है उस जीवन के अंदर कई ख्वाब भी बुनते और क्यूँ ना बुने उनको ख्वाब ही तो एक ऐसी चीज़ होते है
जो बिना किसी किंमत के जीवन मे आते है और ख़ुशियाँ दे जाते है ख्वाब तो वह चीज़ है जिन्हें बिना किसी किंमत के खाली ज़ेब से भी हम पाते है पर फिर लोग जाने ख्वाब देखने से कताराते है
क्यूँ डरे उनके टूटने से हम क्योंकि हम तो नये बना लेंगे वह मुफ़्त मे तो आते है कहा उन्हें बनाने मे हमारे पैसे जाते है जो उनके टूटने पर दिल के दर्द से डरे वह कहा जीत पाते है
जीवन मे कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो कभी ना टूटे फिर क्यूँ डरे उन ख्वाबों से जब उनके बिना भी कभी कभी दिल आसानी से टूट जाता है बिना देखे ही कोई ख्वाब मन टूट भी जाता है
तो क्यूँ ख्वाबों को रोके हम जीवन के अंदर अगर ख्वाब ही बस हमे उम्मीद देते है ख्वाबों के अंदर हम अपनी दुनिया पा लेते है
तो हम बस ख्वाबों को देखे हर बार सितारों को पार कर लेते है ख्वाबों को समजो तो वह दुनिया आसान करते है ख्वाब ही है जो हमें जीवन देते है
ख्वाब तो हमें जिन्दा रखते है जो मन को खुशियाँ देते है हर पल ख्वाबों को समजो तो वह दुनिया को हर पल समजे तो वह खुशियाँ देते है
क्युकी बस ख्वाब ही है जो हमें जीवन देते है उस सोच को दुनिया समज सके तो हम सितारों के पार भी जा सकते है क्युकी वही सितारे हमें खुशियाँ देते है 

कविता १६५. बात को दोहराना

                                                       बात को दोहराना
जब जब दिन भर कोई बात हम दोहराते है हमने देखा है कुछ लोग उसे पल मे समजते है कुछ नहीं समज पाते है हमने अक्सर देखा है फिर भी जाने क्यू हम दोहराते है
हर पल पल हम जीवन को ख़ुशी संग जीते है क्योंकि हम मन की बातें दोहराते रहते है बार बार जो बात कहे वह मन पे असर कर जाती है वह जीवन मे हर बार ख़ुशियाँ लाती है
जब जब हम जीवन मे कुछ बात को मन से कहते है अक्सर मन की चोट को हम जीवन मे जिया करते है आसानी से जो राहे हमे मिल जाती है उन पर जब चलते है
तो कभी कभी मन की बात और सोच मन मे तब दबा के रखा करते है आसानी से चीज़ें पाने के लिए बातें न कहा करते है सारी बातें तो मन से समजा करते है
जीवन मे जिस पल हम आगे बढ़ते है कभी कभी ग़लत बातों का जीवन पे असर तो होता है जो बात छुपाई है मन मे उसका कुछ तो असर होता है उसे समजे तो जीवन उम्मीदें देता है
कभी कभी बातों को दोहराना सही होता है क्योंकि मन तो हर बात को समजता है जिन बातों को मन कहना चाहता है उन बातों को कह देना सही होता है मन जो छुपाता है
उसको छुपाना असर करता है जो चीज़ मन पर असर कर जाये तो उस चीज़ को कह देना ही सही लगता है तो कभी कभी दोहराते है वह भी बड़ा अच्छा लगता है
बात दोहराना अच्छे के लिए लगता है कभी कभी बात बार बार कह दे तो जीवन नये तरीक़े से बनता है दोहराने के लिए जीवन नहीं होता है पर फिर भी कभी कभी दोहराना अच्छा होता है
बार बार बात को कहाना सही लगता है जिसे जीवन मे छोड़ देना मन को अच्छा नहीं लगता क्योंकि दोहराने से बात मन से थोड़ी तो निकलती है उसे भूल जाना है
दोहराना बात को हमेशा असर नहीं है करता पर फिर बात बार बार दोहराना मन के तसल्ली को हमेशा अच्छा है लगता इसीलिए दिल को कभी कभी यह दोहराना अच्छा लगता है

Saturday 29 August 2015

कविता १६४. अनपढ़ी बातें

                                              अनपढ़ी बातें
कई बार हमने सोचा है जाने कितने खत निकल गये आधे ही पढ़ के जीवन मे यह वक्त की बात नहीं थी पर खत मे कुछ बात अधूरी थी क्योंकि हम समज ही ना सके
ऐसे भी उसमें अल्फाज लिखे थे उस खत के अंदर जीवन के एहसास लिखे थे खत मे तो कई तरह की बातें लिखी थी पर खत के हर मोड़ मे जीवन के कई आवाज़ लिखे है
पर अफ़सोस तो इस बात का है हम वह ज़बान नहीं समज पाये जाने कितने क़िस्से होंगे जो जीवन को एहसास देंगे अगर हर ज़बान हम समज ले तो जीवन को हम समज लेंगे
पर हर बारी जब हम आगे जाना चाहते है जीवन के नये एहसास जगे है पर कई जब ना समजे तो कई दोस्तों के अल्फाज रुके है काश के हम समज लेते हर लब्ज को जो जीवन मे ख़ुशियाँ देते है
पर हर बारी यह मुमकिन नहीं है की हर ज़बान को हम समज पाये इसीलिए तो भगवान ने यह एहसास दिये है जो जीवन को समजा देते है और जीवन मे एहसास दिये है
कभी कभी जब हम जीवन को जी लेते तो चेहरों को एहसास देते है ज़बान के अंदर कई तरह के ख़याल रखे है जिन्हें समजना बड़ा मुश्किल होता है
क्योंकि हमने आजकल बस अल्फाज समजे है चेहरों से भी ज़्यादा सिर्फ़ जुबान से निकले अल्फाज और कागज़ पे लिखे लब्ज पढ़े है जिन्हें हम कभी ना समज पाये वह एहसास चेहरे पे लिखे है
खतों के अंदर जो हम नहीं पढ़ सकते है उसी तरह के एहसास चेहरे पर हर बार लिखे है जिन्हें हम हर पल ना समजते है जीवन के अंदर वह एहसास हर बार लिखे है
पर कभी कभी कुछ लब्ज हम नहीं समज सकते है क्योंकि वह अनजाने है पर फिर भी हम चेहरों से उन्हें पढ़ सकते है क्योंकि कुछ लब्ज मन को प्यारे लगते है
अगर समज सके तो ज़रूरी होते है नये दोस्त बनाते है पर जब हम लब्ज नहीं समजे तो एहसास समजना ज़रूरी होता है इसीलिए तो लब्जों से ज़्यादा एहसास अहम होता है

कविता १६३. मुस्कान

                                                                मुस्कान
सुबह की हर किरन मे जीवन तो जिन्दा होता है उसकी हर बात मे नयी सुबह का आनंद मिलता है तब अगर उस पल हम हँस देते है तो ख़ुशी भरी सुबह का आनंद मिलता है
पर अगर सुबह को ना हँस दो तो डरने की कोई बात नहीं है क्योंकि फिर दुपहर को मुस्कुरा दो उस धूप से ही दुनिया महक जाती है कुछ लोगों को सुबह से ज़्यादा दुपहर की धूप भाँति है
उस तरह की सोच जो अलग होती है हर बारी जीवन के नये मौसम मे से अच्छे असर जीवन मे आते है किसी को धूप ही भाँति है पर अगर वह नहीं भाँति है
जीवन मे तरह तरह मौकों पर मुस्कान नहीं आती उसी तरह कभी कभी जीवन मे धूप भी नहीं भाँति कोई बात नहीं अभी भी मुस्कान की उम्मीद नहीं जाती है
जीवन मे उसके अंदर मुस्कान ज़रूर आती है उसके बाद श्याम जीवन मे आती है कभी कभी डूबनेवाले सूरज संग भी उम्मीदें आती है उन रंगों के साथ मुस्कान आती है
कभी कभी उस सीधे साधे रोशनी से ही जीवन में उजाला आता है हम जीवन में नयी सोच का अहसास तभी कर पाते है जब जब सूरज डूबने लगता है उस सूरज के संग हम जीवन जी लेते है उसे देखते रहना चाहते है
उससे ही हम नयी सोच पाते है की हर चीज़ जो प्यारी लगाती है क्युकी उसमे तो हम कई तरह की उम्मीदे और रंग लाते है श्याम के अंदर ही हम मुस्कान पाते है
सारे रंग उसी श्याम में हम कभी कभी नहीं पाते डूबते सूरज को देख हमारी आँखों में आँसू आते है हम चाहते है तब मुस्कान पर भी आँसू आते है
कोई बात नहीं क्युकी चाँद की रोशनी अभी बाकी है सितारों संग अक्सर वह हमें खुशियाँ दे जाती जो सूरज की तेज रोशनी नहीं कर पाती है वह चाँद कर पाता है
चाँद के अंदर की रोशनी मन पर असर कर जाती है जो दुनिया में सुहानी लगाती है वह भी सुंदर है अगर उससे हँसी आती है तो ठीक है
पर अगर चाँद भी ना हँसा पाया तो चिंता की बात होती है क्युकी दिन गुजर चुका है मुस्कान जरुरी है खुद से कह दो अभी हँसना जरुरी है क्युकी हर दिन मुस्कान जरुरी है


Friday 28 August 2015

कविता १६२ . सोच का आना और जाना

                                        सोच का आना और जाना
हर बारी जब कुछ कह दे तो अलग असर होता है कभी लोग समजते है हम को कभी कुछ भी फर्क नहीं होता है हर बारी जीवन के अंदर सॉसों का आना जाना होता है
उसी तरह से हर सोच का जीवन में आना जाना होता है जब सोच को समजो तो इसका अलग अलग असर होता है सोच को समजो तो उसका आना जाना होता है
सोच के भीतर अलग अलग खयालों का करवा होता है सोच के साथ चलो तो हर पल कुछ तो असर होता है पर उसी सोच को कुछ वक्त के बाद खोना पड़ता है
क्युकी दुनिया तो बदलती है उसके संग सोच को बदलना भी होता है जब जब हम दुनिया को समजे उसका कुछ तो असर होता है आते जाते लहरों सा वह असर कर के जाता है
दुनिया तो हर बार नई सोच भी लाती है उस सोच के अंदर वह नया अहसास लाती है पर जब कोई सोच जीवन से गुज़र जाती है हम सोचते है वह वापस नहीं आती है
पर जीवन की यह सच्चाई है की हर सोच वापस आती है वह जीवन पर कोई ना कोई असर तो कर ही जाती है उस सोच को समजे तो वह जब चली जाती है
हर सोच के अंदर नये ख़याल होते है जिन्हें हम हर बार समजना चाहते है सही सोच जिसके अंदर ख़याल आते है और खो जाते है पर कभी ना कभी तो लौट के आते है
पर बुरी बात तो यह होती है की बुरे ख़याल भी लौट के आते है जिन्हें हर पल हम जीवन से दूर रखना चाहते है पर क्या कहे जीवन मे तो हमेशा अलग अलग ख़याल हमारी सोच बनाते है
सोच तो आती है ओर जाती है पर जाने के बाद तूफ़ान की तरह लौट के भी वह आती है टिक पाता है वही जीवन मे खुदकी सोच होती है क्योंकि जीवन मे वह अक्सर काम आती है
जो अपनी सोच पे मज़बूत हो उस कोई सोच असर ना कर पाती है अपनी एक अच्छी सोच मे उसकी जिन्दगी कट जाती है सही सोच को रखना ज़रूरी है क्योंकि वह सोच सही दिशा दिखाती है

कविता १६१. धीरे धीरे से समजना

                                                              धीरे धीरे से समजना
जब जब हम जीवन में आगे बढ़ना चाहे धीरे धीरे हम जीवन को समजना है हालाकि मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं है जीवन को समजना इतना मुश्किल भी नहीं है
अगर धीरे धीरे समजो तो सारी  बाते समज आती है क्युकी धीरे से चलने से कई बार मुसीबते हल हो जाती है जब जब हम धीरे चलते है
कई बाते जो नज़रों से छूटी हो वह भी नज़र आती है जीवन के अंदर ही तो सारी दुनिया सिमटी हुई है उसे ध्यान से देखो तो हमें सबकुछ समज आता है
अक्सर जल्दबाजी में ही इन्सान गलती कर जाता है जब जब वह आगे बढ़ता है जीवन का मतलब नया नज़र आता है जब जीवन को समजे तो असरबहुत अलग होता है
जीवन के हर धागे में कुछ ना कुछ तो मतलब छुपा होता है फुरसत में अगर समजे हम उनको तो दुनिया का अलग मतलब नजर आता है
हर धागे में जीवन मे कोई उम्मीद तो पता है अगर तुम समजो जीवन को तो अलग ही असर नज़र आता है क्युकी हर धागे में तो अलग मतलब नज़र आता है
गौर से देखो उस धागे को तो उसमे दुनिया का अलग रंग मिल जाता है जो हमें अक्सर भाता है जीवन में हर मोड़ पे कोई ना कोई तो असर होता है
जीवन को परखो तो उसमे सचमुच कोई तो अहसास छुपा होता है जब जीवन जीते हो तो उसमे हमें हर पल कुछ ढूँढ़ना होता है
अगर उस तलाश को समजो तो ही जीवन का असर नज़र आता है क्युकी हर बारी जीवन में अलग अहसास होता है हर बारी गुथी होती है जिसे सुलज़ाना जरुरी होता है
जीवन मे हर तरह का रंग छुपा होता है अगर जीवन को समजो तो उसमे दुनिया की हर ख़ुशी का विश्वास भरा होता है धीरे धीरे से समजो जो जीवन खुशियाँ देता है 

Thursday 27 August 2015

कविता १६०. सच्चाई की सच्ची कहानी

                                      सच्चाई की सच्ची कहानी
क्या कह दे के जीवन की एक दिलचस्प कहानी है बड़ी पुरानी  लेकिन बार बार दुहरानी है जो सीधा जाता है उसको हमेशा सुनानी है
सच्चाई हर बार जीतेगी यही जीवन की कहानी है जिस पल हम जीवन को समजे तब नयी शुरुवात सुनानी है उसे फिर से समजे वह जरुरी कहानी है
क्योंकि हर बार जो सुनते है पर फिर से डर जाते है क्योंकि झूठ की ताकद भी तो नयी नहीं काफ़ी पुरानी है कई जमानों से चलती आयी तूफ़ान की वह कहानी है
झूठ चोट तो देता है सीने मे जिसका दर्द हर बार सुना है कई लोगों के जुबानी यू की दोहरानी पड़ती यह जीत की कहानी जो मन को समजाये और लढना सीखाये यह इसकी मेहरबानी है
हमे दोहरानी ज़रूरी लगे यह ऐसी कहानी है हर पल जो सच्चाई दिखाये वह जीवन की कहानी है हम बार बार सुनते है वह जीवन की निशानी है
क्योंकि उस कहानी मे जीवन की निशानी है चाहे जीतना हम ना समजे पर सच्चाई तो कभी ना कभी जीवन मे जीत जानी ही है
कोई यह ना कहे की हमने नहीं बताई इसीलिए दोहरानी यह कहानी है जिसे हम जानते है जिसे हर कोई जानता है फिर भी हमे बतानी है यह जीवन की सच्ची कहानी है
सच्चाई तो वह ताकद है जो लगती हर बार सुहानी है पर तभी जब वह जीत जाती है तब बनती उम्मीदों की निशानी है पर तब तक सच्चाई एक मुश्किलसी कहानी है
पर फिर भी एक बात तो सच है के हर बार जीत से पहले मुसीबतें तो आनी है जिनको अगर समजलो तो ही सच्चाई जीत जानी है
पर हर बार अगर सब जानते है सच्चाई तो मन को भानी है तो क्यू झूठ की सुनते सब वह झूठी कहानी है सच्चाई आख़िरकार जीत ही हर बार जानी है यही सच्ची कहानी है

कविता १५९. पल के अंदर का अहसास

                                                               पल के अंदर का अहसास
हर राह पर कोई ना कोई असर करता है वह पल जब हम कहते है जीवन में समज लेंगे हम जीवन जिस पल के अंदर हर बारी उम्मीदे होती है
उन उम्मीदों के खातिर ही तो हम हर दम जीते है पर फिर कभी कभी मन यह सोचने लगता है की हमने उस पल में क्या खोया क्या पाया है
वही सोच तो हम को अक्सर कमजोर बनती है जो पल में जीना सीखे वह बात तो हमेशा समज में आती है पल के अंदर तो दुनिया रहती है
पर जो पल को गिनना चाहे उसमे क्या बात होगी जीवन में अंदर भी कुछ अलग ही समज होगी पल को जियो पर उसको गिनना सही नहीं लगता है
जब गिनते हो तो वही पल काटे की तरह चुभता है पल के अंदर नयी दुनिया अक्सर बनी होती है  हर पल जब जब हम दुनिया को समजते है
उन पलों में भी दुनिया छुपी होती है पल को गिनना जब चाहते हो तो दुनिया उन्ही पलों में नहीं मिल पाती दुनिया पलों के गिनने में नहीं होती है
पल जब जब अलग रंग लाते है उन्हें आसानी से समजना नहीं होता जीवन को जो समजे तो उस जीवन के अंदर जीना जरुरी होता है
पर अक्सर गिनना शुरू रहता है पल के अंदर हर बार कुछ तो जीवन मिलता है उस जीवन को जो समजो तो उसमे मतलब रहता है
पल पल के अंदर अपनी दुनिया बसी होती है उन पलों को जियो ना गिनो उनके सुख दुःख तो उनमे दुनिया नयी मिलती है
हर बारी जीवन गिनना नहीं होता कभी कभी खो कर भी इंसान बहोत कुछ है पाता तो जी लो उस पल को जिसमे दुनिया भर की खुशियाँ बसी होती है जीवन को समजो उसमें करोड़ों की खुशियाँ बिन गिने हँसी में मिलती है 

Wednesday 26 August 2015

कविता १५८. जीवन का आगे बढना

                                            जीवन का आगे बढना
नदियाँ की धारा संग बहती हमारी जिन्दगी है जिसे हर पल हम बहने देते मज़ा तो उस धारा मे है जिसे आगे बढ़ता देखना चाहते है जीवन के साथ तो हम आगे चलते है
जीवन तो आगे बढ़ती चीज़ है जिसके संग हम आगे चलते रहते है उस जीवन के बढ़ने का मज़ा कुछ और ही है जिसे हम मन से आगे लाते है बढ़ते जाना तो आसान लगता है
हर बार कदम कदम हम आगे बढ़ना चाहते है हर पल को मन से जीवन को जीना जानते है जीवन तो आगे बढ़ता है हर कदम उस संग आगे जाते है जीवन की बहती धारा को जानते है
हर बारी जब वह बहती है जीवन मे ख़ुशियाँ सी रहती है जीवन को परखो तो दुनिया आगे बढ़ती रहती है जब जब हम दुनिया को समजे वह बहती हुईं ही मन को अच्छी लगती है
जीवन बहता जाये तो ही जिन्दगी अच्छी लगती है जीवन हर एक पल को हमे समजना पड़ता है उस जीवन के अंदर आगे तो बढ़ना होता है पर जीवन को धीरे धीरे आगे बढ़ना ज़रूरी है
जीवन के हर मोड़ पर चलते रहता है जीवन तो वह चीज़ है जिसमें आगे बढ़ना ज़रूरी है उस जीवन को समजे उसमें बढ़ना बहुत ज़रूरी है बहते रहना मजबूरी नहीं यह मन की चाहत है जो ज़रूरी है
बढ़ते बढ़ते आगे जाना जीवन कि एक चाहत है जो हर बार मन को ख़ुशियाँ देना हमारे जीवन मे बढ़ने से वही चाहत पूरी होती है वह चाहत है नयी उम्मीदों की वह आगे बढ़ने से ही आती है
जीवन तो हर पल हमे आगे लेता जाता है उस जीवन को अलग अलग मौकों का तोफा मिलता है आगे बढ़ना ही उसमें सबसे आगे ले जाता है आगे बढ़ना तो जीवन का रंग और उम्मीदों की डोरी है
बढ़ना ही चाहत है दिल की वही जीवन की एक आस है जो रुक जाये वह जीवन तो बस प्यास है बढ़ते रहना हर बार एक चीज़ ज़रूरी है बढ़ना धीरे धीरे सीखे यह जीवन मे ज़रूरी है
जो बढ़ना सीख गये उनके लिए जीवन सीधीसाधी बोली है जो बढना ना समजे उसके लिए जीवन एक पहेली है जिसे सुलझाने मे जिन्दगी गुजारना उनकी मजबूरी है

कविता१५७ . यू ही कही बात का फसाना

                                 यू ही कही बात का फसाना
बातें जो हम कहते है उनमें कुछ तो मतलब होता है अगर हम कहे बिना मतलब के कहा है उसमें तो गेहरा मतलब होता है चाहे कोई कितना भी कह दे बात तो बिन मतलब होती नहीं
तूफ़ानों से आगे जब जाये कश्ती तो नहीं देती कोई इशारे पर यह समजने कि बात तो मन से समजनी है अनकही बातें भी कभी ना कभी तो कही जाती है बस वह हमे समज नहीं आती है
कभी कभी हम अनसुनी कर देते है उन्हें जिनके असर से जिन्दगी कई बार बदल जाती है फिर भी अनदेखा कर देते है जीवन को सभी हर बार आखिर वही बात तो जीवन मे आती है
हर बार जो हम समजे वह बात दिल से तो जीवन के जस्बात को हम समज पाते है जीवन तो एक डोर है जो मजबूती से बनी पर अनसुनी बातें ही तो गाठ नज़र आती है
हर चीज़ का तो कुछ ना कुछ मतलब होता है अगर उसे समजो तो ही जीवन का मतलब समजता है कितना भी कोई कह दे की हमने कहा है यू ही उस पर सोचना ज़रूरी होता है
जब जब हर बार बातों को समजे सही तरीक़े से समजना हर बार ज़रूरी होता है जीवन को हर मोड़ पर उन बातों से ही हम समजे जिनमे मतलब है हर बार छूपे रहते है
कितनी बार हम लोग तो कहते है कि जीवन की बातों को हम है समजते आगे बढ़ते है जीवन मे और हर बार जीवन की सोच मे नया मतलब समजते रहते है
पर एक बात तो समज ली है हमने कोई बात खाली नहीं जाती जीवन मे हर बात का कोई ना कोई मतलब तो होता है जिसे समजना जीवन का एक मक़सद होता है
जब जब हम जीवन को समजे यू ही किसी बात का किस्सा बड़ा होता है जिसे हर बार हम न सुने वही किस्सा बड़ा होता है नयी नयी सोच जिसके अंदर नयी कहानी होती है
कोई कह दे आपसे कह रहा हूँ यू ही हक़ीक़त तो यह है की मन मे मदत करनेकी चाह उसके है कही पे दबी हुईं कह नहीं पाया तो क्या हुआ दोस्तों क्या हम नहीं समज सकते वह बात जो रह गयी अनकही

Tuesday 25 August 2015

कविता १५६. माली के फूल

                                          माली के फूल
कोई फूल कभी उम्मीदों से जब हमारी तरफ देखता है उन फूलों को छूने का मन तो अक्सर होता है पर डर के माली से तो हम बस यही करते है
अपने ही छोटे से आंगन में प्यारे से फूल ही दिखते है फूलों को समजे तो दुनिया में वह खुशियाँ तो देते है पर प्यारे फूल तो वह होते है 
जो जीवन में अंग भर देते है वह फूल तो सिर्फ हमारी दुनिया जिन्दा करते है जब जब हम फूलों को समजे तो वह अपने बगीचे में ही अच्छे लगते है 
दूसरों के बगीचों के फूल जाने क्यों लोग चुनना चाहते है मन तो अक्सर करता है पर फिर मन हम से यह पूछता है अगर कोई हमारे संग यह कर दे तो क्या हमें सही यह लगता है 
अगर दूसरों के फूल चुनना चाहो तो पहले माली बन के खुद  उगाओ तो ही वह बात आप मन से समजते है पहले दिन तो चुन लो गे अपना बाग से आप पर दूसरे दिन मन कतराता है 
वह फूल उसी पेड़ पर प्यारा लगने लगता है जब जब हम जीवन को समजे उम्मीदों का कारवा संभलता है जब हम अपने फूल उगाये तो ही तो दूसरे की चीज़ की किंमत मन समजता है 
कोई सक्ती से रोके तो भी जो न समजते है वह प्यार से उगाने से समज जाते है पर वह माली भी कैसा माली है जो कोई फूल तोड़े तो गाली देकर जाता है 
सच्चा माली तो वह है जो पहले तो खयाल रखता है और टूटने पर मन से नये फूलों की उम्मीदों में खुश हो जाता है जो ग़ुस्सा हो वह माली तो अनाडी होता है
क्योंकि सही माली तो वह होता है जो उगे हुए फूलों के साथ टूटे हुए फूलों पर हँसना जानता है वही तो फूलों को सही तरीक़े से हर बार जीवन मे लाना जानता है
वह जैसे बनना जानता है वैसे ही वह टूटने का दर्द भी जीवन मे कई बार सहना जानता है उसके संग हर बार आगे बढ़ना जानता है

कविता १५५. दूसरे के ख्वाब

                                                                   दूसरे के ख्वाब
हर बार जब हम समजते है बातों को उनमें जीवन का कुछ तो असर होता है उस जीवन को समज लेते है तो उस मे अलग तरह का एक मंजर होता है
चाहे जीतना हम चाहे पर कुछ तो छूट ही जाता है अलग अलग चीज़ों का कुछ तो असर होता है पर हर चीज़ को दिल कहा समज पाता है कई बार दुनिया मे समजना पड़ता है
सही सोच को कहा दिल आसानी से सुन पाता है कई बातों के जंगल मे एक बात सही होगी जैसे कुछ फूलों की ख़ुशबू ही हमारे नसीब मे होगी दुनिया के हर फूल को हम कहा छू सकते है
कुछ फूलों की ख़ुशबू ही हमारे किस्मत मे होती है कुछ फूलों कि ख़ुशबू हम से दूर ही रहती है जो खुशबू हम से दूर ही रहती है वह हमे कभी नहीं मिल पाती है
जीवन में सबकुछ पाना तो मुमकिन ही नहीं पर कुछ बाते तो जीवन में हासिल हो जाती है जिनको हम समजे यह जरुरी नहीं पर याद वह अक्सर आती है
जब जब हम उनके संग चले वह बाते मन को नहीं समज में आती है उन्हें जीना थोड़ा मुश्किल है पर मन की कल्पना में वह जिन्दा हो जाती है
जिस पल हम जीवन को समज गये जीवन में नयी बहार आती है जिसे हर बारी हम नहीं समजते पर कभी तो हमे मिलती है और कभी तरसाती है
जो मिल जाये उसे हम छू ले यही सही राह जीवन की होती है जो ख्वाब हमने देखे है उनमे दुनिया अच्छे से जिन्दा होती है
हम जिन्हे समज सके उन ख्वाबों में खुशियाँ हर बारी पैदा होती है कुछ ख्वाब तो हासिल है जिनमे जीवन की उम्मीदे होती है
तो बस उन ख्वाबों को थाम कर ही हमारी दुनिया चलती है बुरा नहीं है की दूसरे ख्वाबों को भी समजो पर बुरा है की उनसे दुनिया जलती है 

Monday 24 August 2015

कविता १५४. आसानी से समजे

                                                                 आसानी से समजे
हम कभी आसानी से समजे कभी मुश्किलों से समजे पर तूने जो सिखाया है जिन्दगी वह आज तक हर बार हम है समजे मुश्किलों मे भी हमने रास्ते है समजे
चाहे कुछ भी कह दे जीवन को आज तक हम है बडे मुश्किलों से समजे फिर भी जीवन की हर धारा को हम दिल से है हम समजे जैसे भी पर फिर भी
उसे अपनाया तो है जिन्दगी हमें कई मोड़ दिखती जिनको हम चाहते है लेकिन याद नहीं रख पाते है हम तो बस यही चाहते है
की हमें मिल जाये कई साये अफ़सोस तो हमें बस इस बात का है चीजों को जिन्दगी में हम कभी बिन सीखे ना समज पाये पर फिर भी
जिन्दगी तुमसे ही तो अक्सर हमारी उम्मीदे बनी है जिन्दगी हमें तू ही तो समज सकी है जब जब हम जीवन में कही आगे बढ़ जाते है
जिन्दगी तुज से ही तो उम्मीदें पाते है उन्ही के अंदर हम दुनिया पाते है जो आसानी से हमें राह सीखते है पर अगर हम राह को युही सीख लेते
तो जीवन में बस खुशियाँ चुनते होते जब जब हम आगे बढे तो खुशियाँ देती है यह जिन्दगी पर फिर भी लगता है की अगर सीखना न पड़ता तो गम ही नही होते
लालच बुरी बला है मन जानता है जिन्दगी पर फिर भी कभी कभी कुछ ज्यादा ही उम्मीदे रखता है जिन्दगी से चाहता है की वह हमें समजे
चाहता है हम हर बार जीवन को बस चुटकीयो में काट ले हर बार तुज से आसान रास्ता माँगते है जिन्दगी मानते है की हम लालची है
पर फिर भी कभी तो हम सीखते बिना तकलीफ के कोई आसानसी राह भी क्युकी जिन्दगी हम तुम्हे ठीक से समजना  है पर हस कर कभी कभी आगे बढ़ना भी चाहते है 

कविता १५३. तूफ़ानों को पार कर जाना

                                      तूफ़ानों को पार कर जाना
तरह तरह के तूफानों से हम तो आसानी से लड़ लेते है पर कभी कभी यह तूफान भी हमें नया जीवन दे देते है तूफानों के साथ भी कभी हम समझौता करते है
तूफ़ानों के साथ भी हम आगे बढ़ा करते है जब जब हम उम्मीदें ले आये तो जीवन को साथ भी रख लेते है उन्हीं के सहारे हर बारी जीवन की कश्ती पार करते है
जब जब हम जीवन जीना चाहे उम्मीदों के किनारे मिलते है पर ख़ुशक़िस्मत वह दिन है जिसमें जीवन सीधा बहता है तूफ़ान के इशारे नहीं मिलते है
पर अक्सर ऐसा होता ही नहीं जीवन मे ग़लत इशारे भी मिलते है तो ख़ुशी से जी लो उस पल को जिसमें उम्मीदों के सिर्फ़ किनारे मिलते है आँसू से दूर ख़ुशियों के किनारे मिलते है
तूफ़ान के अंदर हमे नये इशारे करते है सारी उम्मीदें हमे आगे ले जाती है तूफ़ानों के पार हमे कई किनारे मिलते है क्यूकी वो एक दरिया है जिस मे तरह तरह के इशारे मिलते है
कभी कभी हम जीवन को समजते है तूफ़ानों से आगे बढ़ते है जीवन को जो आगे बढाये ऐसी तूफ़ानों को हर बार पार कर लेते है आगे तो हम बढ़ते जाएँगे तूफ़ान हमे ना रोक पाते है
तूफ़ानों को पार कर ले तो ही जीवन का मतलब पाते है जीवन तो तूफ़ानों से भरा है उसे हम ना कभी समजना चाहते है पर तूफ़ान तो जीवन देता रहता है
पर हम उसे कभी ना कभी तो समजना ज़रूरी है पर हम उस सोच को ही नहीं समजना चाहते है तूफ़ान तो वह होते जो जीवन को बदल ही देते है पर फिर भी वह जीवन मे आते है
वह रुख़ मोडे तो  मुड़ कर भी खड़े रहते है वह जीवन मे आगे बढ़ जाते है आसानी से राह कहा हम जीवन की चुन पाते है चोट तो हम हर बार खाते है पर हर बार संभल भी जाते है
तो तूफ़ानों से क्या डरना तूफ़ान भी हम हर बार पार कर जाते है जो जीवन को हँस कर जीना सीखले वह तूफ़ानों को पार करना चुटकी मे मुमकिन हम कर जाते है

Sunday 23 August 2015

कविता १५२. तराना लहरों का

                                                           तराना लहरों का
हर तराने के बीच में कोई ना कोई  फ़साना  तो होता  है जीवन को जब हम समजे जिसमे कोई ना कोई अफ़साना होता है
हर लहर के अंदर हमें अलग सोच को अहसास दिखता है हर पल जब हम समजे जीवन को तो मन पर कोई असर पुराना दिखता है
जब हम दुनिया को समजे उसमे कोई असर तो जरूर होता है हम उसे हर पल समजे तो जीवन में कोई असर और अफ़साना दिखता है
तराना तो  हर बार आगे बढ़ना अहम लगता है तो वह अफ़साना जो हमें समजता है जब जब हम आगे बढ़ जाये जीवन में नया तराना सुनने को मिलता है
जरुरी तो बस सुनना है जीवन में तो हर बार नया अफ़साना बनता है अगर हम सुन ले ग़ौर से तो जीवन को नया तराना मिलता है
जब जब हम जीवन को समजे तो जीवन का नया फ़साना बनता है तराने तो कई होते है आगे बढ़ना अहम सा लगता है
जो आगे चलते है सारी दुनिया उसे समजती है हर बारी जब हम आगे चलते है गिर जाये तो भी क्या फिर भी उम्मीद तो मन में रहती है
सारे जीवन को समजना मुश्किल है पर जीवन से ही तो दुनिया बनती है हर नये तराने को जब हम सीखे तो ही जीवन में खुशियाँ मिलती है
आगे बढ़ना तो दुनिया के लिए एक जरुरी उम्मीद बनती है जिसको हम मन से समजे तो दुनिया की सच्चाई दिखती है
जो हर तराने को समजे जो हर लहर संग आगे बढ़ जाये उसकी ही दुनिया बनती है उसे समजो मन से तो ही जीवन की खुशियाँ बनती है 

कविता १५१. जीवन के खुशियाँ और गम

                                                             जीवन के खुशियाँ और गम   
फिर खुशियाँ हमें जीवन देती है जो जीवन में उम्मीदें लाती है सारी खुशियाँ जो दुनिया हमें दे देती है सारी खुशियों मन को तस्सली देती है
खुशियाँ जो मन को छू लेती है तो दुनिया को क्यों ना समजे हम जो हमें खुशियाँ देती है जब हमने हस के देखा हँसी से भरी दुनिया दिखती है 
पर जब जब आँसू आँखों में आये मुसीबतों पे हम चिल्लाये तभी लगता है दुनिया कितनी गलत है जीवन में उसे हम समज ना पाये 
पर हर बारी जब हम जीवन में कुछ ना कुछ पाते है खुशियाँ और दुःख जो साथ साथ चलते है जीवन के अंदर जो कुछ होता है 
उसे हम समज ना पाते है शायद मन मे अगर उम्मीदे रखे जिन्हे हम जिन्दा करना चाहते है जब जब जीवन में खुशियाँ आती है 
तब तो उसे थाम लेते है बस उसी तरह से हम गमों को ना थामे तो मन को खुशियाँ देते है पर हर बारी जाने क्यों हम गम को थम लेते है 
जब जब हम आगे बढ़ जाये तो खुशियों को याद रखे तो दुनिया में गम अपने आप ही खो जाते है जब जब हम आगे बढ़ते है 
खुशियाँ रहती है और जीवन में गम घट जाते है पर जिस पल हम दुनिया को समजे उस पल में हम जी जाते है और उसे हम कुछ इस तरह से समजते है 
की हम ख़ुशी या गम पाते है यह तो बस उन्हें ही समजना चाहते है पर हर मोड़ को जब हम समजे तो इस मोड़ को हम खुशियाँ दे जाते है 
मन में तो वह दुनिया रहती है जिसके अंदर हमें खुशियाँ मिलती है हम उन्हें ही ठीक से नहीं समज पाते है हम ग़मों को साथ ले जाते है 

Saturday 22 August 2015

कविता १५०. फलों को चुनना

                                                                   फलों को चुनना
फल जब जब हम चुनते बडे प्यार से हम चुनते है सही तरह के फलों को हम हमेशा ढूँढ़ते है जिन फलों को हमने चुना था
वह हमेशा सही होते है पर जब जब हम फलों को समजे उनमे सही चीजों की जरूरत होती है तो हर बारी जब फलों को समजते है
तभी तभी फलों के अंदर एक प्यास तो जिन्दा होती है जिसे चखना चाहते है हम दिल से पर अफसोस हर बार सही फल हम कहा चुनते है
तरह तरह के फलों के अंदर सही किसम के फल हम कहा चुनते है जीवन में जो हम चुनना चाहे वह सही फल पर हमें कहा मिलते है
जब जब हम आगे बढ़ते है जीवन में कुछ ना कुछ पाते है फलों में अच्छे  तरीके से चुनने पर भी हम गलत ही फल कभी कभी पाते है
फल तो बस वह होते है जिनमे हम सिर्फ सेहत चाहते है जहाँ सेहत की चाहत में भी हम इतनी मुश्किल पाते है वहाँ सोच के अंदर तो कई चीजे होती है
जिनमे हम अपनी दुनिया पाते है तो एक फल तो हम सही ना ढूँढ़ सके हम तो बाकि चीजे कैसे पायेंगे जब जब हम सही ढूँढ़ने निकलते है
अक्सर हमें मिलते है गलत चीजों के साये जीवन में हर सही तो काफी नहीं होता क्युकी जीवन हर चीज के साथ बना है
पर उसी जीवन में हर एक मोड़ हम कोई ना कोई तो सोच को समज पाये जब हम आसानी से बढ़ते है जीवन में मिलते है
हमें अलग से साये तो कभी कभी हम फुरसत में सोचे तो ही सही चीज को समज पाये जीना तो आसान नहीं होता है
जब तक हम चीजों के नहीं समज पाये तो जीवन को कैसे हम समज पाये जीवन तो आसान नहीं होता है पर जो फल को भी सही चुन ना सका
वह जीवन को कैसे आसानी से समज पाये पर कोशिश करेंगे तो जीवन में मिल जायेंगे उम्मीदों के साये जो हर पल मन को भाये 

कविता १४९. बात कहना

                                                                      बात कहना
बातों बातों में हम जो कुछ कह दे तो समजना अक्सर आसान नहीं होता जो कहना था वह लोग कह तो देते है पर उन्हें बदलना आसान नहीं होता
क्युकी जब कोई कुछ कहता है तो बस उसी में रहना चाहता है उस बात को समजना आसान नहीं होता जो सही मायने में समज जाते है
उन्हें उस बात को बताना जरुरी ही नहीं होता कुछ लोग होते है जिन्हे हम फुरसत में समजाते है उन्हें समजना जरुरी नहीं होता
वह बात जिसे हर पल हम मन से समज सकते है उसे समजाना जीवन की मज़बूरी नहीं होता जो समजना चाहता है
वह हर बात समजता है पर जो नासमजी में ही रहना चाहे उसे समजाना जीवन को सिर्फ दर्द है देता हमे तो बस आगे बढ़ना है
हमें सिर्फ बातों में कहने जाना ही जीवन में जरुरी है लगता पर फिर भी लोग उस बात को गलत तरीके से समज लेते है
उनका इस तरह से आगे बढ़ना जीवन में सही नहीं लगता जीवन के हर मोड़ पर कुछ तो अलग होता है जिसे समजना खुद से होता है
हर बार लोगों को समजाना मुमकिन नहीं होता हमें तो आगे बढ़ना है जीवन के अंदर आगे बढ़ना आसान नही होता तो दिल समजता है
हर बार हम जीवन को समजे तो जीवन का मतलब हर बार समजना हमें आसान और प्यारा नहीं लगता तो कुछ लोग को उसे समजना ही नहीं होता
तो उनको बस बात समजाकर हम आगे बढ़ जाये पर उन्हें जीवन में हर बार और हर राह पर समजना इतना आसान नहीं होता 

Friday 21 August 2015

कविता १४८. बात पूँछ लेना

                                      बात पूँछ लेना
बात को समजना आसान नहीं फिर भी समजने कि कोशिश मे रहते है क्योंकि नहीं समजे यह मान लेना भी आसान नहीं  होता है पर बेहतर तो वही है
कि हम मान ले दोस्तों की हमे समज नहीं आया क्योंकि बिन जाने चीज़ें समजने का जूठ जीवन मे ख़तरा बढ़ा देता है दुनिया तो ऐसी है के जिसमें हर पल दोस्तों हमे कुछ ना कुछ तो सुनना पड़ता है
तो क्या बुरा है की कह दे सबसे दोस्तों की जिसे समज ही नहीं पाये उसका क्या किस्सा है क्योंकि हर पल समजना तो आसान नहीं होता है हमारे लिए पर कुछ बातों को पूछकर समजना ज़रूरी होता है
जिन्हें समजने से हमारी दुनिया सुधरती है जिन्हें परखने से जिन्दगी आगे बढ़ती है तो क्यूँ न हम हर बात को हमारे लिए समजे क्यूँ न हम कह दे हम समज नहीं पाये है
जीवन मे तो दिखते बस उलझन के साये है जब जब हर बार बातों को हम आसानी से समज लेते है कई बार उसे पूछना ही ज़रूरी लगता है माना के लोग हँसते है
पर सही बात को समजना ज़रूरी लगता है जिस बात को समजना हम पाये उसे हर कदम पर समजना ज़रूरी लगता है जीवन की हर मोड़ पर आगे बढ़ना ज़रूरी है
क्योंकि जीवन नई राह दिखाता है उसे समजना हमारी मजबूरी है हर बार जो हम आगे बढ़ जाये राहों को समजना ज़रूरी है उन राहों से राहत पाना जीवन के लिए ज़रूरी है
जब जब हम जीवन को समजे उसमें बात समजना ज़रूरी है मुश्किल को जब हम ना समजे तो हर कदम बस मजबूरी है हमे समजना है जीवन मे हर बात को समजना ज़रूरी है
सारी चीज़ें जो ख़ुशियाँ दे जीवन मे नया मतलब देती है जब जब हम आगे बढ़ते है जीवन मे नई सोच आती है पर जब पूछेंगे तो ही बात समज मे आती है

कविता १४७ . जीवन का मतलब

                                                                जीवन का मतलब
जब समजा हमने जीवन को हर बार उसे दिल से मेहसूस करना होगा पर शायद कई बार हमने जीवन को आसानी से खेल लिया होगा बिन समजे ही उसे जी लिया होगा
जब जब हम आगे बढ़ते जाये जीवन कभी कभी ना समज के भी हमने आगे बढ़ा दिया होगा शायद इसीलिए तो बिन समजे ही कश्ती को पतवार मिल गया होगा
उप्परवाला चलाता है जीवन पर उसको हमे भी कभी कभी समज लेना होगा क्योंकि हमे ही तो जीना है कैसे हम कह दे बिन समजे ही हमे हर बार बिन समजे ही जीवन को जीना होगा
जब जब जीवन को समजे तो उसमें नयी सोच को समजना होगा पर हर बार ऐसा होता है जीवन को हम कुछ इस तरह से जीते है जी तो लेते है पर कुछ भी नहीं समजा होगा
कोई खुद से माने या ना माने पर जीवन मे हर हादसे पर हम तो जिये जाते है बिन समजे हम हर मोड़ पर हम कहे जाते है सारी दुनिया को अगर हम समजे तो वह जरुरी नहीं होगा
पर खुद को हम समजले तो जीवन में हर बार कोई मुश्किल नहीं होती जब जब हम समजे उसमे जीवन की नयी सोच जरूर होती है दिल से हर बार जब जीवन को समजना होगा
पर हमें दुनिया को नहीं बस खुद को समजना होगा जब जब आगे बढ़ जाये शायद उस पल जिस पल में हम जी पाये है उस जीवन को जीना होगा अगर हम समज लेते है तो
हर बार हमें जीवन में आगे बढ़ना होगा सारी राहों पर जब जब हम चलेंगे हर राह में खुशियों पर हमारा जीवन बसा हुआ होगा जीवन के हर एक रंग को समज कर ही जीना होगा
क्युकी यह तो अपना जीवन जीवन है जिसे मन से समज कर जीना होगा ताकि हर पल मतलब को जब जब हम समजे जीवन का एक तराना होगा जिसे हमें हर पल समज कर जीना होगा
तभी तो कोई मतलब बनेगा कोई सही फ़साना होगा जब जब हम जीवन को समजे तो जीवन को समजे तो नया मतलब अपने जीवन का हिस्सा सही तरीके से बनाना होगा 

Thursday 20 August 2015

कविता १४६. आसान जीवन

                                                                आसान जीवन
जिस मोड़ पर हम सोचे हम रुक नहीं सकते उस मोड़ पर हम हर बार कुछ ना कुछ तो हम जरूर है कहते जब जब हम जीवन को समजना चाहते है
जीवन के हर राह पर चीजों को समजना चाहते है हम चाहते है के जीवन काश आसान हो जाये पर सवाल तो यह है उसके लिए हम कुछ नहीं करते
जिस मोड़ के अंदर जीवन को हम समज लेते है राहों पर हम अक्सर जीवन को जीते है पर हम अपने डर को ना दूर करते है
ना हम अपने जीवन को आसानी से समजते है मुश्किल से हम जीवन को हर बार अपनाते है हर बार उसकी बात को अलग तरीके से दोहराते है
जीवन के अंदर हम बात को आसानी से समजते है मोड़ पे हम जब दुनिया को समजते है दुनिया में सारी सोच हम समजते है
पर फिर भी हम आसानी से दुनिया को जी कर दिखाते है मुश्किल से हम आगे बढ़ते है और दुनिया को आगे बढ़कर दिखाते है
क्युकी अक्सर अपनी गलत सोच पर हम सोचते रहते है उसी के अंदर हम अपनी राह को समजना चाहते है जिस पर हम अक्सर सोचते है
चीज़ों के अंदर कई बार हम जीवन को समजते है पर जाने क्यों हम जीवन की हर मोड़ को समजना चाहते है उसके अंदर  जीना चाहते है
जब जब हम आगे बढ़ते है दुःखों को समजना चाहते है उस कोशिश में जीवन को मुश्किल बनाते है आसान नहीं होता है जीवन को समजना यही सोच हम रखते है
आसान नहीं है सही सोच को रखना पर यही समज से तो हम जीवन मुश्किल बनाते है जिस जीवन को आसानी से समजे उसमे मुश्किल बढ़ाते है
अगर हम मन से कह दे की जीवन कितना आसान है तभी हम जीवन को आसानी से सुलजा पाते है अपने जीवन में खुशियाँ लाते है

कविता १४५. चीज़ के अंदर की दुनिया

                                                             चीज़ के अंदर की दुनिया
तरह तरह की चीजे जो मन पे असर कर जाती है उन्हें समजे है तो जीवन में कोई ना कोई आशाए जरूर जिन्दा हो जाती है
जब जब चीजों को समजे तो हर बार आशाए पैदा हो जाती है जीवन के अंदर मन के भीतर सही सोच ही जिन्दा हो जाती है
चीजों को जो समजे उस जीवन में खुशियाँ आती है पर अक्सर हम मन में कोई बात छुपा देते है जिससे खुशियाँ खो जाती है
चीज तो वह काम की होती है जिसमे खुशियाँ जिन्दा होती है अच्छाई संग चले तो हर दम जीवन में खुशियाँ हासिल होती है
हर चीज जिसे हम हर पल समजे उसमे दुनिया जिन्दा होती है चीजों के अंदर नयी नयी सोच हमारे लिए प्यारी लगती है
चीजों में जब जब हम जीवन को समजे बहुत खूबसूरत दुनिया होती है क्युकी वही चीज तो सही होती है जिसमे छुपी दुनिया होती है
चीजों के साथ जब जब हम दुनिया को समजे तो उन चीजों के भीतर हमारी नयी दुनिया होती है दुनिया तो वही होती है
जो जीवन में खुशियाँ तो हर पल मिलती है जब जब सही चीज़ को हमारी दुनिया चुनती है अच्छाई को बस तुम चुन लो तो जीवन में खुशियाँ होती है
हर चीज के अंदर हमारी एक नयी दुनिया होती है अहम तो हर बार हर चीज़ होती है अगर उस चीज़ को समजे तो ही सही दुनिया होती है
चीज कोई आसान बात नहीं उसमे अलग ही दुनिया होती है पर सिर्फ किंमत से उसे ना परखो आखिर उसमे ही तो सही खुशियाँ होती है 

Wednesday 19 August 2015

कविता १४४. पूरी बात

                                                                        पूरी बात
कुछ नयी बाते जिनमे हम जीना चाहते है वह हमें समजा दे हम क्या कहना चाहते है हम जानते है हम हर दम जीना चाहते है
सोचते है जाने क्यों उसी बात से जुड़े है हम जिसको हर दम हर राह पर समजना चाहते है जीवन के कई मोड़ तो आते जाते रहते है
हम हर मोड़ को बार बार समजना चाहते है कुछ बातों से हम ऐसे जुड़े है की हर बार जीवन से जिसमे असर हम समजना चाहते है
हर बात में कोई तो असर है जिसमे हम जीवन की धारा को हर बार देखना चाहते है जीवन तो वह सोच है जिसमे हम जीना चाहते है
पर एक बात के अंदर की कोई दूसरी बात हम समजना चाहते है क्युकी हमने देखा है अक्सर लोग बात अधूरी ही कहते है
जिन्हे हम हर बार समजना चाहते है बाते तो अक्सर जाने क्यों लोग अधूरी ही बताते है जिन्हे समजे हम उन बातों के ही कई मतलब निकलते है
एक बात के अंदर ही हम अपनी दुनिया बसा के आगे चलना चाहते है जब जब हम बातों को समजे उनमे जीवन को समजना चाहते है
पर कभी कभी कुछ बातों को तो हम अनदेखा कर देना चाहते है जिन्हे समजे उन बातों के अंदर हम जीवन को सिर्फ समेटना नहीं चाहते है
हम जानना चाहते है जीवन को हर बार उसे हर बात में परखना चाहते है जब जब हम जीवन को समजे उसे हर बात में जीना चाहते है
पर आधा सच तो गलत लगता है तो उसे पूरा समजना चाहते है ऐसी ही कोशिश में जिये है हम की हम जीवन को समजना चाहते है 

कविता १४3. एक चोट

                                                                     एक चोट
चाहे कुछ हम कह दे तो जीवन मे फ़र्क़ तो होता है चाहे जीवन कैसा भी मुड़ जाये जीवन का एक मक़सद तो होता है जीवन की किसी धारा मिली मतलब तो छुपा होता है
कहते कहते कभी कभी बिन मतलब की बातें जीवन करने लगता है हर कदम हर सोच मे अलग मतलब ही निकलता है जो जीवन पे असर कर जाता है
जीवन के अंदर जो कोई असर हो जाता उसमें जीवन का कोई ना कोई हिस्सा होता है उस पर असर तो ज़रूर होता है जब हम जीवन को समजे उसमें चोट लगा वह हिस्सा तो आता है
कभी अपनी चोट उठे पर कभी कभी दूसरे की चोट से भी दर्द हमें होता है उस चोट को हर बार जो हम समजे तो उसमें अलग ही मतलब होता है कभी कभी अपने मन से ज़्यादा मन दूसरे को समजता है
उस चोट के अंदर जीवन का नया रुप लाती है क्योंकि कभी कभी गैरों की चोट भी मन का दर्द बन जाती है तभी उस पल जिन्दगी संभल पाती है हमारे लिए हमेशा रोशनी लाती है
चोट वह है जो जीवन मे नया कुछ सिखाती है पर संभल के कुदो तुफानो मे क्योंकि तुफानों मे कई बार कश्ती भी किनारा छोड़ ग़लत दिशामे मुड़ जाती है
सारी उम्मीदें जीवन को नई सोच लेकर आती है हर बार जो हम तुफानों से बिन सोचे टकराये तो कश्ती टूट भी जाती है तो लढना तो है पर हर मोड़ मे संभलकर भी चलना ज़रूरी है
चोट वह है जिसको समज कर आगे बढ़ना ज़रूरी है उस पर कोई ना कोई मलहम भी ज़रूरी है जब हम जीवन को समजे तो सही दिशा को समजना भी जीवन की समजदारी है
चोट वह चीज़ है जिसे हमें धीरे से सुलझानी है एक ग़लत कदम पड़ जाये तो चोट नासूर बन जानी है संभलकर चलो वरना बदल जाती जीवन कि कहानी चोट को संभालकर आगे जाने की कहानी है

Tuesday 18 August 2015

कविता १४२ एक आहट

                                   एक आहट
कभी कभी खामोशी मे भी एक आहट सुनाई देती है उसे क्या समजे यह हमारी सोच पर निर्भर होता है उसे समजे या समज ही ना पाये हर मोड़ पर आप उसे क्या समजते है
ख़ामोश से ख़यालों मे दुनिया के अल्फाज होते है जिन्हें हम जीवन मे हर पल समजा करते है सोचते है हम काश जीवन आसानी से जाता तो हर आहट मे हम मुश्किल को अक्सर समजते है
क्योंकि हर आहट पर कोई तो अहसास पाते है हर बारी जीवन मे ख़ुशियाँ मन मे हम पाते है उनको समजे तो जीवन मे नई आशाएँ लाते है हर सपना जो हम समजे तो उसे आहट में पाते है
उन आहटों को समजलो तो उनमें हम दुनिया का कोई हिस्सा हर बार ज़रूर पाते है आहट तो वह होती है जिसमें हम दुनिया जी लेते है हर आहट को हम अच्छे से जी लेते है
अगर उसमें कोई अच्छाई हम ढूँढ़ लेते है तो उसी आहट मे राहत भी समज लेते है हम हर बार आहट के अंदर कोई ना कोई ख़याल चाहते है पर आहट मे कुछ तो तलाश होती है
जब हम उस हल्की से आहट मे दुनिया को समज लेते है हर आहट के अंदर हम जीवन को समज लेते है उस आहट के अंदर नयी उम्मीद हर बार हम हमेशा रखते है
आहट मे हमे दुनिया की नई सोच को जीना सिखाना है हमे उस आहट को चाहना अपने मन को अपनाना होगा जीवन मे हर आहट मे उम्मीद को जिन्दा रखना होता है
आहट मे हर बार जीवन को समजना होगा उसे सही तरीक़े से हमें आगे बढ़ाना ज़रूरी होता है जब जब हम आहट मे दुनिया को समजते है उस आहट मे जीना ज़रूरी होता है
हर आहट मे हमें जीवन को समजना ज़रूरी होता है क्योंकि आहट ही तो जीवन की वह शुरुआत है जिसे हमें जीवन को सही तरीक़े से जीना होगा उसे हर बार समजना होता है
आहट मे जीवन को हर बार समजना होता है आहट मे ही सही बात को जो समज जाये उसके लिए जीवन को समजना कभी मुश्किल नहीं होगा भले आहट को समजना मुश्किल हो पर उसे समजना ही अक्सर सही होता है

कविता १४१ दिल का बयान

                                               दिल का बयान
हर पल जीवन का कोई किस्सा दिल से जो बयान होता है अफ़साना बन जाता है जो दिल बयान करता क्यूकी दिल जूठ नहीं कहता दिल हाल बयान करता है
जिसे कुछ लोग ना समजना पाये पर कई लोगों के दिल की बातों को अक्सर समज भी पाते है जो समजेंगे जीवन को उस मे हर मोड़ नया ही पाते है
जब दिल तूफ़ान दिखता है मन मे काटा सा चुभ जाता है हर मोड़ पर अक्सर सोचे हम एक तुफानसा मन मे आता है दिल मे तो कई क़िस्से होते है इस जहाज़ के कई हिस्से होते है
पर जो तूफ़ान को पार कर जाता है जीवन को नया अहसास सिखाता है दिल को जो कहना है वह एक दिन कहकर ही रहता है क्यू रोके उसको जो जीवन की राहों मे आधार नज़र आता है
दिल मे कई मतलब है जिनका तूफ़ान नज़र आता है पर दिल तो आख़िर वही है जिसमें शिशे की तरह जीवन का सार नज़र आता है जीवन की राह पर जब दिल सच कहना चाहता है
तो मुश्किलों की दीवार नज़र आता है उस दिल को अगर चुप करो तो दुनिया मे तूफ़ान आ जाता है क्यूकी कभी ना कभी दिल सच तो कह ही जाता है जीवन मे तूफ़ान लाता है
क्यूकी दबे हुए पानी को जब छोड़ा जाता है उसमें जो ताकद वह पाता है उसे कोई ना रोक पाता है जब जीवन आगे बढ़ता है दिल उसे समज नहीं पाता है
जब झूठ का सहारा लेते है तो दर्द हमारे दिल को तडपाता है जब जब हम जीवन को समजे नई उम्मीद सी लेकर आता है जी लेते है सचाई से तो ही दिल तसल्ली पाता है
दिल तो सच की राह ही चाहता है चुप रहना उस दिल को कभी ना भाता है वह सच कहता है और हर बार सच सुनना चाहता है हर तूफ़ान से लढ के आगे बढ़ना चाहता है
क्यू रोके उस दिल को जो सच के लिए लढना है आख़िर सच तो कभी ना कभी बाहर आता है क्यू ना आज ही कह दे उसे जो कल मजबूर मे कहना ही ज़रूरी हो जाता है

Monday 17 August 2015

कविता १४० दिल कि उम्मीद

                                          दिल कि उम्मीद
दूर से कोई किस्सा याद नहीं आता है पर पास कभी कभी तो पास का किस्सा भी दूर से ही ज़्यादा भाता है बात सही हो तो हर किस्सा उम्मीद दे जाता है पर ग़लत बात का हर किस्सा ग़लत ही नज़र आता है
जो जीवन को हम परखे उम्मीदों का हिस्सा हर मोड़ पर नज़र आता है पर हम उम्मीद भुला दे तो जीवन मे कुछ भी नहीं भाता है हर दो राहे पर उम्मीद जब हम खोजे तो ही दिल उसे ढूँढ़ पाता है
हर मोड़ पर बिन उम्मीदों के बस काटों का ही शृंगार नज़र आता है दुनिया मे जो काँटों मे से रस्ता ढुँढे उसे ही जीवनरस एक अमृतसा लगता है और मन को भाता है
जीवन मे ख़ुशियों की लकीरे बस वही हाथों पर पाता है जिसे उम्मीदों के सहारे जीवन मे आगे बढ़ना आता है ,दिल ही तो अपना साथी बने जब उसे उम्मीदों का किनारा मिलता है
बिन उम्मीद के जीवन तो नाव है जिसे ना पतवार ना किनारा मिलता है हर मोड़ पर वह उम्मीदों का ही सहारा ढुँढता है हर बार हमे नई नई उम्मीदों का सहारा मिलता है
जब हम कुछ याद करे तो वह उम्मीद भरा हो तभी तो जीवन को सहारा मिलता है दुःख भरे पलों से क्या खाक सहारा मिलता है ख़ुशियाँ पाना मुश्किल सही पर नामुमकिन फसाना नहीं होता है
अगर दिल चाहे तो जीवन को सही राह दिखाता है अगर वही सही सोच जीवन को उजाला देगी अगर दिल को सहारा दे तो जीवन मे नयी रोशनी ज़रूर शामिल होती है पर मन मे जो दिल है
उसी दिल के सहारे तो हम जीवन मे आगे बढ़ते है वही हमे समजाता है कि हम जीवन मे कैसे हमे उम्मीदों का सहारा हर दम जीवन मे होता है वह हमे ख़ुशियाँ देते है
जीवन के हर मोड़ पर नई सोच हम हर बार जीवन मे दिल के सहारे हम नई सोच दिखाते है दिल के अंदर प्यारी सोच हर बार हमारे सोच मे यह दिल कि नई सोच जीवन पर असर कर जाती है
क्यूकी दिल ही है जो जीवन मे ख़ुशियाँ पर हर बार असर कर जाता है दिल के अंदर जो चीज़ हम पर असर कर जाती है वही तो है हमारी उम्मीद जो हमे भाँति है

कविता १३९. मंज़िल पर किस्सा

                                                     मंज़िल पर किस्सा
हर मंज़िल पर कुछ तो जरूर लिखा होगा जिसके अंदर कोई ना कोई कहानी का किस्सा तो जरूर बनाया हुआ होता है जब जब हर मोड़ पर कोई तो जीवन का हिस्सा लिखा होता है
हर मंज़िल पर जाने क्यों हर सोच पर कोई ना कोई कहानी का हिस्सा जरूर बना होगा कभी कभी हर मोड़ पर नया तरीका लिखा होता है जिसको समजे तो जीवन का मतलब छुपा होता है
किसी मंज़िल के अंदर कहानी का नया हिस्सा बना होता है जिसे हम समजे तो जीवन का एक नया दिलचस्प  किस्सा लिखा हुआ हर पल मिलता है
जिस मोड़ पर जीवन को समजो तो उसमे जीवन का नया हिस्सा दिखाई देता है जब जब हम आगे बढ़ना चाहे तो मंज़िल पर कोई अलग किस्सा दिखाई देता है
जिस किस्से में हम जी चुके हो वह हिस्सा मन को फिर से प्यारा सुनाई देता है हर मंज़िल को जीवन की नयी दुआ देती  है जब जब हम समजे जीवन सच है
तो उसमे नयी शुरुवात सुनाई देती  है मंज़िल के अंदर नयी शुरुवात दिखाई देती है जो जीवन को हर पल जिन्दा जाने क्यों कर देती है शायद जीवन के हर हिस्से पर अहसास दिखाई देता है
उस मंज़िल को जिसको हम समज न सके उसी का अल्फाज दिखाई देता है जब जब हम आगे चलते है नया जीवन उम्मीद देता है
और उसी जीवन के हर मोड़ पर फिर से जीने की उम्मीदों का मतलब हर बार दिखाई देता है जीवन की एक नयी शुरुवात वह दिखाता है
जीवन के हर मंज़िल में नयी उम्मीदों को  शुरुवात वही देता है पर जब जब हम जीवन को समजे तो वह जाने क्यों जीवन की  नयी पुकार दिखाई देता है
हर मंज़िल पर नयी किसम की सोच दिखाई पड़ती  है जिसमे जीवन की एक नयी सोच भी जिन्दा होती है मन को खुशियाँ आसानी से देती है
पर अफ़सोस तो इस चीज़ का है की वही सोच कभी कभी इस छोटे से जीवन में दुःख भी जरूर दे जाती है मन में तकलीफे भी देती है 

Sunday 16 August 2015

कविता १३८. सोच जिसमे दुनिया नहीं बसती

                                                        सोच जिसमे दुनिया नहीं बसती
नये नये किनारों से हर रोज़ एक नयी सोच मिली उस सोच के सहारे दुनिया कि हर बात संभलती जो सोच हम जीवन के हर पथ पर रखते है वह दुनिया मे आसानी से नहीं संभलती
जब जब हम आगे बढ़ते जाये वह सोच हमेशा आगे चली है सोच तो वह है जिसमें अपनी अच्छाई हर बार है जगती जब जब हम सोचे तब तब दुनिया मे है नयी उम्मीद जगती
सोच तो वह शुरूवात है जिसमें जीवन की बुनियाद है बनी पर हम हर बार सोचते रहते है की नयी सोच हमे आगे ले जायेगी सोच तो अलग अलग होती है उनमें जीवन दिखता है
उसी सोच के अंदर नयी राह हर बार नहीं होती अलग अलग सोच उनमें नया ख़याल भी होता है कभी कभी उस सोचके अंदर नयी शुरुवात होती है उस सोचके अंदर  नयी दुनिया नहीं होती है
पर जब हम गलती से नयी सोच होती है जिसमे कोई असर नहीं होता क्युकी शायद नयी सोच में नयी शुरुवात नहीं होती है जीवन के अंदर कोई नयी सोच नहीं लाती है वह सिर्फ बात करती है जीवन को आगे बढ़ना नहीं सीखाती
जब जब हम आगे बढ़ते है जीवन में नयी शुरुवात नहीं होती है सोच के अंदर अलग तरह की शुरुवात जरूरी होती है सोच के अंदर कोई दुनिया नयी दुनिया नहीं बनती
पर जब हम सोच के अंदर नयी दुनिया नहीं पाते तो जीवन में खुशियाँ नहीं मिलती जो सोच नयी दुनिया दे वह बस परछाई बनती है जिसमे उम्मीद नहीं मिलती
सोच के भीतर जो दुनिया होती है वह जीवन पर कुछ ऐसा असर करती है की जीवन में नयी दुनिया उस तरह से बनती है की खुशियाँ नहीं होती
चाहे कुछ भी कहे कोई पर अपनी सोच तो अक्सर अहम है होती जो ले जाती है अपनी दुनिया को आगे जिसमे कई बार खुशियाँ की कोई भी कमी कभी भी हमें महसूस नहीं होती
सोच तो बस वही सही है जिसमे दुनिया है बड़ी प्यारी दिखती जब जब उस सोच को समजे उसके अंदर उम्मीदे हर बार खो जरूर है जाती 

कविता १३७. सीधी राह की मंज़िल

                                                            सीधी राह की मंज़िल 
कभी जो कुछ कह दे तो खास नहीं लगता पर कभी कभी जो अल्फाज होते है उनमे अहसास नहीं होता जब जब हम आगे बढ़ जाये जीवन में सीधा रास्त्ता नहीं मिलता
पर पर कभी टेढ़ा रास्त्ता ही जीवन में सीधा हमें है दिखता जब जब आगे बढ़ जाये उम्मीदों की शुरुवात नहीं रूकती टेढ़े जीवन में भी सीधी राह की आस नहीं रूकती 
जब जब हम आगे जाते है जीवन में कोई आवाज नहीं सुनाई पड़ती क्युकी अल्फाजों के बीच में आवाज कुछ इस तरह से छुप जाती है की अहसास नहीं बन सकती 
जब जब जीवन को तलाशे उनमे हर तरह की सोच जो पैदा होती है वह अहसास मन में जरूर बना देती है तलाश तो उस सोच की है जिसमे दुनिया जिन्दा होती है 
हम हर बात को समजले तो दुनिया आसान नहीं होती क्युकी दुनिया की हर बात जो अहम होती है उसमे जीवन की सही शुरुवात आसान और सीधी नहीं होती 
जब जब हमारे पाव मंज़िल को छूते है वह कोशिश आसान नहीं होती  जो दुनिया को रोशन कर दे वह राह हमें सही तरह की मंज़िल हर बार जीवन में नहीं देती 
सीधी साधे रास्त्तो पर हमें अलगसी दुनिया हमेशा है दिखती टेढ़ी राह पर चलना आसान लगता क्युकी दुनिया वह आसानी से है चलती पर ध्यान से देखोगे तो समजोगे की 
वह दुनिया आखिर में बरबाद है करती मुश्किल राहो पर ही हमेशा सही तरह की दुनिया है हमें हर बार हर मोड़ पर सच्चाई हमें है दिखती 
यह आप पर है क्या चुनते है क्युकी कोई राह भी आसान नहीं होती जो राह आसान हो उसमे अलग तरह की दुनिया हमें अक्सर है दिखती 
सीधी राह पर चलनेवालों को हमेशा मंज़िल है मिलती क्युकी मंज़िल तो वह चीज़ है जिसके बिना हमारी दुनिया हमेशा खाली खाली सी और अक्सर अधूरी है दिखती 

Saturday 15 August 2015

कविता १३६. दूसरों को समजना

                                       दूसरों को समजना
जो चीज़ चाहते है उसे हर बार समज भी ले तो कई बार हमे लगता है कि हम खुद को ही नहीं जानते है जब खुद को नहीं समजे हम तो किसी ओर चीज़ को क्या जानते है
हम अपने दिल को नहीं समजते तो दूसरी चीज़ों को क्या खाक जानते है पर हर बार जब जब हम मन को नहीं समजते जीवन को क्या समजायेंगे जो बात मन मे आयी
कभी वक्त मिला और बैठ भी गये तो मन कि आवाज़ नहीं सुन पायी किसी कोने मे बैठा है जहाँ जीवन कि आवाज़ भी नहीं सुनाई पड़ पायी मन के अंदर छुपी हुई जो आहट आयी
जब मन के बात को ही हम फुरसत नहीँ दे पाते है जाने क्यू जीवन मे दूसरों के मन के बारें मे बताते है जब हम जीवन को समजे तो पहले खुदको समजना ज़रूरी है
पर हमने अक्सर देखा है उन्हें कहते हुए के वह गैरों को आसनी से समज लेते है जो दूसरों को हर पल समजना चाहे तो खुद को ही क्यू ना कभी कभी समजले
पर लोगों को दूसरों को समजने से ज़्यादा दावा करने की चाहत नज़र आती है क्योंकि जब समजना चाहे तो जीवन मे नये मोड़ आते है उन्हें वह अपने लिए ही समज लेते
पर वह लोग तो अक्सर दिखावा चाहते है वरना खुद की जगह जाने क्यू दूसरों को समजने का दावा करते समज भी ले तो ख़ुशी होती पर वह तो दूसरों को समजने मे वक्त कहा गवाते है
जब जब वह लोग कुछ भी कहते है उसे हम ही न समज पाते है वह अपने मन से ही सोचकर दूसरे कि ज़बान बताते वह नहीं समजते है मन को पर दावा करते जाते है
झुटे दावों को देखकर हम अजरज मे पड़ जाते है सारे दावे बस ऐसे है जिनमें वह लोग दुनिया को ग़लत इशारे दे जाते है वह नहीं समज पाते है अपनी सोच को नहीं समजते
पर अफ़सोस तो इस बात का है वह अपनी ग़लत सोच के चलते दूसरों कि सोच भी अपनी सोच के साथ पल पल धीरे धीरे बदलते जाते है नयी ग़लत सोच लाते है

कविता १३५. प्यारी कहानी

                                        प्यारी कहानी
जब हमने सोचा कोई नया मोड़ आया है अक्सर हमने देखा है जीवन ने पुरानी कहानी को दोहराया  है जाने क्यू हमने अक्सर यही सोचा और पाया है पुरानी कहानी को जीने मे हमे मज़ा आया है
पर फिर भी कभी कभी दिल मे यह भी ख़याल आया  है नयी कहानी मे भी शायद जीवन का मज़ा कही तो हमने पाया  है हर मोड़ पर चलते चलते जीवन ने यह सिखाया है
जो पाया है वही सही है और अगर उसे समजे तो ही इन्सान जीवन का असली मज़ा समज पाया है  हर कदम पर हमे आगे ला पाया जिसे हम समजले वह जीवन कभी कभी ही नज़र आया है
जीवन तो बदलता रहता है पर हर पल हमे समजना पड़ता है पर हद तो यह होती है उसी पुरानी कहानी को फिर से समजना पड़ता है जिसे समज चुके थे हम एक बार उसे भुला देते है
हम अक्सर उसी कहानी को फिर से समजना पड़ता है क्योंकि उसी कहानी का अक्सर जीवन मे वजूद होता है हम जब जब हमेशा कहते है उस सोच को समजना ज़रूरी है
क्योंकि जिसे हम पीछे रख चुके है वह कभी कभी उस पल कि मजबूरी है पर उसे जीवन जब जिन्दा कर दे फिर से तो मन से मन भी कहता है उस कहानी को दोहराना ज़रूरी है
पुरानी कहानी हर बार ऐसी नहीं होती जिसमें जीवन कि उम्मीद खो चुकी होती है जब जब हम वही कहानी दोहराते है उसकी ज़रूरत हमे होती है इसीलिए हम जीते है
वही कहानी जो ज़रूरी होती है जीवन मे आगे बढ़ने कि चाहत अहमसी होती है जो अक्सर आगे बढ़ने कि उम्मीद जो हमे दिशायें दिखाती है पर कभी कभी जीवन मे पुरानी कहानी ही सही होती है
कहानी के अंदर दोनो दिशाए होती है उन दिशाओ के अंदर नयी कहानी होती है उसी समय दूसरी दिशामे पुरानी कहानी होती है जिसे जिन्दा करने कि उम्मीद मन को सुहानी लगती है
पुरानी कहानी जो जीवन को जिन्दा करती है उसी कहानी के अंदर जीवन कि एक नयी शुरूवात सुहानी दिखती है पुरानी कहानी को ही जीवन कि सलाह समजकर अगर प्यार से देखे तो जीवन कि सबसे प्यारी कहानी दिखती है

Friday 14 August 2015

कविता १३४. तितलीसा सपना

                                                  तितलीसा सपना
जीवन में कई तरह के सपने तो होते है कुछ छू कर आसमान दिखाते है जिन सपनों को समजो उन से ही दुनिया बन जाती है सपनों के अंदर दुनिया समाती है
हर बार जीवन मे एक उम्मीद सी लाती है लेकिन सपने भी तितली कि तरह है फूलों पे उड़ते रहते है कभी इस फूल को समजते है कभी किसी और फूल पर चलते है
जीवन तो वह सपना है जो हर बार रंग बदलता है उस सपने को समजले जिस मे हमारी दुनिया रहती है पर हर बार सपने कि तितली अलग फूल ही चुनती है
पर ऐसा भी नहीं होता की हम बिन सपने के रह जाते है नया सपना हमारी ओर नयी तितली बन के आता है जिसे जीने की कोशिश मे फिर से हम जुट जाते है
नये नये सपने तो हर बार हमे बेहलाते है क्यू ना देखे हम उस सपने को जो खुद ही पास हमारे आते है पर काश की वह हमेशा पास ही रहते पर वह दूर निकल भी जाते है
नादान नहीं है पर फिर भी हर सपने को हम चाहते है पूरा हो या ना हो फिर भी चोट उसी से खाते है सपना तो वह तितली है जो हर मोड़ को जागती है नयी आहट मन मे आती है
तितलीसा तो वह सपना है जो हर इन्सान के पास जाता है सबको लुभाता है और फिर निकल भी जाता है उसके ख्वाब मे अगर हम डूबे रहे तो जीवन मे यह तकलीफ़ लाता है
क्योंकि अगला सपना जो मन को पास बुलाता है उम्मीदों से उस सपने के ओर हर बार दिल निकलता रहता है हर बार सपने के अंदर जीवन का मतलब प्यारासा नज़र आता है
रोज़ नये सपने के अंदर जीवन हर बार जिन्दा हो जाता है हर बार जीवन हमे नयी नयी ख़ुशियाँ दे जाता है पर कई बार हमे असर कर जाता है
जीवन एक तितली कि तरह है जो हमे बदलना समजाता है अगर हम बदलना समज गये तो जीवन को आगे बढ़ाना आता है जीवन का मज़ा जिन्दा हो जाता है

कविता १३३. लब्जों के अंदर

                                                                लब्जों के अंदर
जब जब लब्जों के अंदर नयी दुनिया दिखती है उन लब्जों के अंदर कई तरह की जिन्दगी दिखती है हर बार लब्जों के अंदर नयी दुनिया दिखती है
जिस को जीने से हमें नयी मंज़िल सी मिलती है हर बारी जीवन के अंदर कोई अलग तरह की सोच भी लाती है हर बारी जीवन में नयी नयी सोच सी जगाती है
एक लब्ज ही काफी है जिससे दुनिया बदलती है जब जब हम जीते तब तब दुनिया नया रंग देती है हर बारी वह जीवन को बदलसा देती है
जब जब हम समजे जीवन को उसमे नयी शुरुवातसी होती है हर सुबह हमें नया तराना देती है जब जब हम जागे तब तब इस दुनिया में सुबह ही  होती है
जीवन में हर मोड़ पर नयी दुनिया ही होती है लब्ज जगाये उस जीवन को जिसमे धरती जिन्दा होती है लब्ज तो वह होते है जिनके अंदर दुनिया जिन्दा होती है
लब्ज के अंदर कई तरह के भाव छुपे होते है उनके लब्ज जो बनते है उस प्यारी सोच जो मन के अंदर होती है जब जब जीवन के अंदर असर भी रखती है
लब्ज तो वह सोच है जो दुनिया को अच्छे से जिन्दा रखती है क्युकी अक्सर नये नये लब्जों से ही दुनिया बनती है जो लब्जों को समज चुकी हो वही सही सोच होती है
लब्जों के भीतर भी एक उम्मीद होती है जो हर बार हमें जिन्दा रखना चाहती है तो प्यारे लब्ज ही सुना करो जिनसे दुनिया बनती है
जब जब हम दुनिया को समजे हमारी सोच सही से जिन्दा रहती है क्युकी वह सोच सही तरह के लब्ज जीवन में रखती है अगर उन लब्जों को समजो तो
दुनिया उन्हें जिन्दा रखती है क्युकी उन लब्जों के साथ ही तो हमारी दुनिया हर बार बनती है और बिघडती है सही लब्जों की अक्सर हमें तलाश होती है 

Thursday 13 August 2015

कविता १३२. कुदरत की अच्छाई

                                                                कुदरत की अच्छाई
पत्तों के अंदर तेजीसे हवा की बजह से आती है जब जब वह आवाज सुनी है दुनिया कुछ अलगसी मन को लगती है
जब जब पत्ते हिलते है दुनिया में नयी खुशियाँ सी आती है जिनको हम समज गये वह दुनिया उम्मीदों से ही बनती है
यह तो बस हम पर है की हर चीज़ हमें क्या कह जाती है जिस चीज़ को हम मन से समजे वह हमें हर पल खुशियाँ दे जाती है
हर हर मौसम की आहट की बजह से जो महसूस हो पाती है दुनिया तो हर एक मोड़ पर कुछ ना कुछ असर कर जाती है
जाने क्यों जीवन में फिरसे खुशियाँ हमारे लिए तो बस हर मौसम की आहट लाती है जीवन एक ऐसा गीत है जिसमे कोई
नयी उम्मीदसी जीवन में आती है हर बार जो हम जीवन को समजे जीवन में एक नयी रोशनीसी आती है जब जब हम सारी बातें समजे तो उन्हें समज पाना ही जीवन की जीत होती है
जब हम कुदरत की सिर्फ सुंदरता देखे अपनी जीत तो होती है उस जीत की मन से हर बार तारीफ होती है दुनिया कुछ भी कहे या ना कहे
दुनिया तो रंग बिरंगी होती है जिसमे कभी जीते है और कभी कभी हार से भी मुलाकात होती है चाहे जो भी हो जाये दुनिया की बस यही रीत होती है
उसे जीनेवालों में जो हसना सीखे उनकी ही हर बार मन से जीत होती है जब जब हम आगे बढ़ जाये उम्मीदों की उम्मीद होती है
कुदरत में खुशियाँ ढूढो तो हर बार हमारी खुशियों से मुलाकात हर बार और हर मोड़ पर कही ना कही तो जरूर जीवन में होती है 

कविता १३१. मर्जी

                                                                        मर्जी
जाने कहा से कोई हवा सी मन को छूती है जीवन के हर मोड़ पर दुनिया अलग सी दिखती है हर बारी में जीवन को समजे दुनिया अलग सी लगती है
जिसे हम छू ले वह हर चीज़ अलग सी लगती है आगे बढ़ते जायेंगे हम  हर बार दुनिया यही बस कहती है जिसे समजे हम वह जीवन है
पर जिसे दुनिया समजाये वह जीवन की दास्तान अलगसी लगती है जब जब हम आगे बढ़ते है दुनिया हर बार रंग बदलती है जिसे परखे उस दुनिया में वह नया रंग सा भरती है
बड़ा मजा है इस जीवन में जब अपनी मर्जी चलती है वरना जाने क्यों हर बार यह दुनिया हमें नडती है जैसे हम आगे बढ़ते है बस उम्मीदे ही जगती है
इस दुनिया के हर मोड़ पर नयी शुरुवात ही जीवन को जिन्दा करती है पर अपनी मर्जी से सब जीना चाहते है पर हर किसी को कभी न कभी तो औरकी भी सुननी पड़ती है
तब दिखती  है सचाई क्या है जिन्दगी इन्सान को कितना सुख और कितना दुःख देती है जब जब हम आगे बढ़ जाये दुनिया खुशियाँ देती है
जिसे हर पल हम समज रहे है वही दुनिया हमारी मुठीसे जब फिसलती है तभी इस जीवन के हर मोड़ पर सचाई सी हमेशा दिखती है
जब जब हम आगे बढ़ जाये दुनिया हमें सिखाती है हर बार अपनी मर्जी नहीं होती जो यह सीखा जीत उसीके नसीब में आती है
जो सिर्फ अपनी मर्जी से जिया है वह खाक कर सका कुछ हासिल है वह तो बस सन्नाटों में जिया है वह करता है कुछ नहीं हासिल है
जीवन को जो समजो तो दुनिया हमारे मर्जी से कम पर दुसरे के मर्जी से हर पल और हर बार आगे बढ़ती है और चलती है 

Wednesday 12 August 2015

कविता १३०. कुछ चीजों का किनारा

                                     कुछ चीज़ों का किनारा
जब जब हम आगे बढ़ जाये कुछ पीछे तो छूट ही जाता है मन नादान परिंदा होता है जो आगे भी बढ़ जाता है
जीवन के हर राह पर कोई ना कोई दिख जाता है जिसे साथ लेना चाहते थे पर वह इन्सान पीछे ही रह जाता है
जीवन की यह कश्ती जाने क्यू छोटीसी ही लगती है जो जीवन को जाने कितने राहों पर उम्मीदें भी देती है
पर अफ़सोस तो इन बातों का है की फिर भी कुछ ना कुछ छूट ही जाता है जब जब हम सबकुछ साथ लेना चाहते है
तो सबकुछ छुटता ही नज़र आता है इस जीवन को तो कुछ किनारों पर कभी कभी कुछ छोड़ना भी अच्छा लगता है
सारी चीज़ें साथ ले न सके हम मुश्किल से कुछ साथ ले पाते है उन चीज़ों को साथ रख कर आगे बढ़ जाना अच्छा लगता है
जीवन जितना दे सकता है उसमें ही कभी कभी मनाना पडता है जो पाया है उसमें ख़ुश रहना ही सीखना पड़ता है
सबकुछ तो हम पा लेते है पर साथ सब रखनाh नहीं हो पाता है क्यूकी इस जीवन का हर सपना एक साथ नहीं देखा जाता है
आगे तो बढ़ते जाना है पर पीछे छूटी  चीज़ों को भुलाना नहीं अच्छा लगता है पर भुला देते है हम उनको क्यूकी सब खो देना उस से भी बुरा लगता है
तो पीछे जो चीज़ें दिलको छूती है उनको भुलाना आता है कश्ती को डुबाने से कुछ चीज़ों का किनारा बनना अच्छा है

कविता १२९. दिल समज न पाया

                                         दिल समज न पाया
हर बार जो समजाया फिर भी दिल समज न पाया जो पहले से जानते हो उन्हें क्या कहना और हमने क्या समजाया
जब जब हम आगे जाये हमे जीवन ने समजाया आगे बढ़ना बड़ा अहम है उनका कहना हमारी समज मे आया या फिर ना आया
जब जब जीवन मे जीते है जीवन ने वही किस्सा दोहराया हम कहते है उन लोगों से जिनको सुनना नहीं है पर हमने वह दोहराया
हम हर बार समजाते रहते जो हमे कोई क्या समजाये समजे हुए वह सारे लोग फिर भी जाने क्यू बार बार वही समजाना पड़ता है
पर यही तो जीवन का अफ़साना होता है जीवन मे हर बार काम को बिना बजे दोहराना पड़ता है और सुनना पड़ता है
जब जब हम जीवन को समजे उसे सही तरीक़े से समजना और समझाना पड़ता वह हर बार अपनी मर्ज़ी से ही चलता है
गेहराई से अगर हम समजे तो जाने क्यू जो काम नहीं है ज़रूरी उसे भी जीवन मे दोहराना पड़ता है फिर से उस जीवन को समजना पड़ता है
जीवन तो ऐसी चीज़ है जिससे बार बार कुछ सीखना होता है शायद इसीलिए हर चीज़ को दोहराना पड़ता है आगे जाना है मन को
फिर भी मन को कभी कभी पीछे जाना पड़ता है पर उसके आगे दौड़ लगाना पड़ता है जब जब हम आगे बढ़ते जाते है
जीवन को समजना पड़ता है और कभी कभी उसो बार बार दोहराना पड़ता जीवन के कुछ मसल्लों का पार कर जाना पड़ता है


Tuesday 11 August 2015

कविता १२८. कोई सवाल

                                                       कोई सवाल
कभी किसी सवाल को हम समज ना पाये जो जवाब को हमारा ढूँढ़ना ज़रूरी है पर अक्सर उसे भुला के आगे चले जाते है
लोग अक्सर ढूँढ़ते है जवाबों को दुनिया मे हम उन्हें ढूँढ़ने से बेहतर समजते है क्यू न हम आगे बढ़ जाये जाने क्यू ढूँढ़ने से बेहतर हम आगे बढ़ जाये
जीवन के हर मोड़ पर अगर आगे बढ़ जाये तलाश से बेहतर है क्यू ना जिन्दगी को अपने दम पर अपने तरीक़े से जीये जाये
जीवन के अंदर हम हर बार अपने से जी ले तो ख़ुशियाँ पाये हर मोड़ पर हमे मिले जीवन मे जाने कितने साये अगर उनके पीछे हम भागे
तो जीवन उन्न्ही  के पीछे ही बस बीत जाये कैसे हम जीये जब आसान नहीं होगा ढूँढ़ना उन चीज़ों को जो सवाल जागे तो क्यू ना हम उम्मीदों को समजे
क्यू हर बार हम सवालों के पीछे भागे आख़िर उम्मीद ही जीवन का फसाना बनेगी सवालों से ज़्यादा उम्मीदो से ही जिन्दगी बनेगी
सवाल तो कई हमेशा मिलेंगे उनके भरोसे कहा जिन्दगी गुज़ार लेंगे हर बार जो हम जिन्दगी को जीयेंगे चाहे उसे कितना हसके जीना चाहे हमे बस आँसू ही मिलेंगे
सवाल जो मन को तसल्ली दे ऐसे कभी होते नहीं हर बार जीवन को सवालों की नहीं जवाबों तलाश है जो हमे अक्सर मिलते नहीं
तो क्यू सुने सवालों को उनसे कुछ हम हासिल नहीं कर पाये अगर हम आगे चलते गये तो अपने आप सुलज जायेंगे वह साये
सवालों को छोड़ो बस आगे चलते जाते है तभी मिलते है हर बार किसी ना किसी तरह से हमे ख़ुशियों के साये जिन्हें पाकर मन हर बार मुस्कुराये



कविता १२७ . नयी और पुरानी कहानी

                                               नयी और पुरानी कहानी
जब कोई कुछ कहने से पहले ही समज जाता तो मन मे शक सा होता है मन कहने लगता है की कही हम किसी को भूले तो नहीं
जब जब जीवन आगे बढ़ता है मन तब तब रुकके कहता कही कोई बात छूती है फिर भी हमने भुला तो नहीं दी
जब जब वह उन बातों को दोहराता है मन कहता है कई बार इस जीवन की दौड़ मे कई कहानियाँ पीछे छोड़ी होगी
जिनमें हम जीना चाहते है वह बात भी गलती से जीवन के हाथों से चुपके से निकल भी शायद किसी मोड़ पर गयी होगी
पर फिर से दोहराने पर अक्सर लगता है क्या कोई गलती होगी हो सकता है अनजाने मे किसीने बात दोहराई होगी
फिर मन बस हँसकर कहता है जीवन मे जो अच्छा लगे वही सही है हमारे मन के लिए क्यू सोचे हम कहा चल दीये
जिन्दगी के अंदर नयी शुरुआत हमेशा सुहानी है पर हर शुरुआत के पीछे छुपी जीवन की कोई कहानी है जो हमे समजनी है और समजानी है
जीवन के अंदर हर मोड़ पर समजनी एक नयी कहानी जिसमें हमे समजना है की बात वही पुरानी है
समजनी नयी चीज़ें हमे जो हमे शायद लगे की यह चीज़ें थोड़ी पुरानी है जीवन की लिखनी एक कहानी है
हर कहानी की कोई भी शुरुआत हो पर वह कहानी अच्छे आख़िर से लगती बड़ी ही सुहानी है जीवन की निशानी है
जो अगर गेहराई से देखे तो मन को लगती बड़ी प्यारी और सुहानी है जीवन की एक अलग कहानी है जो नयी और पुरानी है

Monday 10 August 2015

कविता १२६. खुशियो मे बदलना

                                                               खुशियो मे बदलना
नदियाँ की किस्मत है उसको बहते रहना है जीवन के हर मोड़ का भी निश्चित उसी तरह से बहना है
जब जब हम आगे चलते है तय उसी तरह से चलना है कैसे जीते है बस यही हमे तय करते रहना है
पर कितना भी रोना ना चाहे फिर भी आँसूओं का आना जाना  होता है सच कहो तो जिसे छोड़ के आगे बढ़ना चाहते है
उनके लिए ही दिल मे रखा ख़ास कमरा है ख़ुशी तो आती जाती है पर उस पर ना हमारा कुछ कहना है
पर काश ग़म एक रस्ता खो दे पर यह कभी ना होना है हम हँसकर जी लेंगे यह बस हमारा कहना है
सच कहे तो ग़म को दूर रखने के चक्कर मे आजकल उनका ही जीवन मे बस हर बार रहना है
जीवन ने तो ना भी दीये हो पर उनका दिल मे चुपके से रहना है जीवन के हर मोड़ पर अक्सर हमारा मुश्किल लढना है
पर कभी कभी हम यही सोचते है यही सोच सबसे ग़लत रखते  है ग़म से तो हम निकलेंगे ही यही जीवन का सही कहना है
हर बारी जब हम हँसते है उस हँसी को बस साथ रखना है कितना भी मुश्किल लगता हो पर ऐसे ही मुमकिन बच पाना है
आँसू तो आ जाते है पर हमे ही अपनी ताकद और सुजबूज से उन्हें खुशियो मे बदलना है

कविता १२५. आँखें और लब्ज

                                                                 आँखें और लब्ज
काश लब्ज आसानीसे  गिरते पत्तों की तरह तो कई बार हम बातों को समज जाते लब्ज तो तोफा होते है उस दिल का
जिसके अंदर हम अपना जहाँन रखते है लब्ज हर बात को समजाते है पर जब वह नहीं निकलते है तो हम जीवन का सबसे बड़ा इम्तिहान देते है
जीवनमे लब्ज हर बार साथ दे यह ज़रूरी तो नहीं पर हम कहा यह बात समज जाते है जब जब आँखें लब्जो की जगह लेती है
अक्सर इशारे बेईमान हो जाते है पर हम कहा समजते  है आँखों को अच्छी तो हमे ज़बान लगती है जो हम से सीधे से तो कुछ कहती है
हमे आँखों की बात खाक समजती है हर लब्जों पे यकीन करते है हम पर जीवन को नहीं समजते है
क्यूकी दुनिया मे ऐसे लोग कहा जो हमे समजाने मे वक्त गवाया करते है हर कोई अपने ही धुंद मे खड़ा है
किसीको इस नहीं तो उस मुसीबत ने घेरा है हमे कहा वह लोग समजा पाते है इशारे समजले यही उम्मीद रखते है
अफ़सोस तो यह है की हम उन्हें समजते ही नहीं और बिना बजह परेशान करते है खुद ही समजते तो अच्छा होता
क्यूँकी फिर लब्ज आँखों की जगह होठों से बयान होते है जो हमे हर बार जीवन को समजनेमे मुश्किल तरीक़े देते है
लब्ज तो सक्त होते है वह मनको कभी भी चोट दे कर ही जीवन के हर क़िस्से को बयान करते है

Sunday 9 August 2015

कविता १२४. कोई नयी कहानी

                                                              कोई नयी कहानी              
हर मोड़ पे जीवन कोई नयी कहानी लिखता है अगर गेहराई से समजो तो सारी किताबे सारी फिल्मे पीछे रह जाये
ऐसी ही कोई दिलचस्प कहानी लिखता है हर बार जीवन मे  जब हम आगे बढ़ जाते है तो हमे उम्मीदों के तराने देता है
पर जब वह कोई अच्छीसी कहानी को मोड़ देता है और कोई उन पे अच्छे तरीकों से सोचता है अच्छा लगता है
हमे हर बार जब उस पर कोई प्यार से लिखता है तब पता चलता है आख़िर जीवन है क्या जो ख़ुशियों के साथ ग़म देता है
वही तो किसी कहानी मे जीवन का रंग देता है बिना जीवन के क्या कोई कहानी सुना सकता है
हर बारी जीवन ही है जो दुनिया को जिन्दा करता है बिन जीवन के जो बन जाती है वही कहानी हमने नहीं है देखी
जीवन ही वह कहानी है जो हमने सीखी और परखी जब जब हम जीवन को समजले उसके अंदर एक शुरुआत है दिखती
उस कहानी कि जो सुन्दरता का मतलब है समजती वह जीवन कि एक धारा है जो अब तक बाकी है पर हर नयी सोच के साथ जागी है
जीवन को समजो तो अलग तरह कि बातें जीवन के अंदर नयी सोच लाती है जीवन को समजो तो जीवन ही एक कहानी है
जिसे लिखनेवाले कह गये वही ख़ुशियों की जीवन एक निशानी है वह सबसे  ज़्यादा प्यारी कहानी है जो जीवन मे आनी जानी है

कविता १२३ . जीवन के अंदर के रंग

                                     जीवन के अंदर के रंग
जानो क्यू जब हम जीवन को जो रंग समजना चाहते है लोग हर पल उसी सोच से कतराते है हर पल जब जब हम समजाये लोग अलग सोचना चाहते है
कतराते है हर बारी पर जीवन को ना समजना चाहते है जब जब हम जीवन को समजे हमे नये नये रंग ही बेहतर लगते है
पर लोगों के पास वक्त नहीं है कहते बस यही है पर जीवन मे डरकर ही अंदर से कतराते है हर बार जो हम समजाते है
पर लोग नहीं समज पाते है की रंग तो अहम है पर लोग उनकी अहमीयत कहा कभी समज पाते है क्योंकि रंग ही अहम है
रंग जो जीवन को जिन्दा कर जाते है पर  जब जीवन को रंग मिलते है वह ख़ुशियाँ भी दे जाते है
उन रंगों को समजलो तो वह जीवन बनाते है रंग तो वह चीज़ है जिसमें रंग हमेशा कोई ना कोई असर तो ज़रूर कर देते है
जीवन के हर सोच पर जो बातों को समजते है वह हर मोड़ पर रंगों को चाहते है समजो उस जीवन को जिसमें आप रहते है
रंग को अंदर हम हर बार दुनिया की कमी को समजते है क्योंकि रंग ही है जो दुनिया के हर मोड़ को आसानी से जिन्दा कर देते है
रंग तो वह चीज़ है जिस को हम अगर समज पाते है ममता और प्यार को आसानी से जीवन का हिस्सा बनाते है
जब हम जीने लगते है रंग ही सब से खूब नज़र आते है रंग कई चीज़ों को आसानी से समजना हमे कई बार सिखाते है
रंग तो हर तरह के होते है जो जीवन को हर जीवन बना पाते है हमे जिन्दा कर जाते है

Saturday 8 August 2015

कविता १२२. ग्यानी

                                                                        ग्यानी
हर मोड पर चलते है उस मोड पर रहनेवाले हर परिंदों को समजने की कोशिश भी करते है इन्सान को समजना बडा मुश्किल लग रहा है
तो आजकल फुरसत मे हम परिंदों को ही समज लेते है वह सोच जो हमने थी सही समजी खुद जियो और जीने दो दूसरों को उसे
आजकल इन्सान कहा समजते है दूसरोंकी हर बात पर तोहमत ही लगा देते है इन्सान को समजना हम मुश्किलसा पाते है
जो खुद आसानी से पाना चाहते है पर अगर दुसरे को मिल जाये तो हर पल चिल्लाते है खुद को पाना चाहते है यह समज लिया है हमने
पर जाने क्यू कुछ दूसरों से छिन भी लेना चाहते है जानते है वह खुदा सोया तो नही है हर गुनाह की कोई ना कोई तो सजा जरुर बनी है
फिर भी जाने क्यू हर बार गुनाह कर जाते छोटीसी एक जीत उनके लिये अपने आपको सही समजने का सबब बन जाती है जब के हम
ठिक से दुनिया को समजे तो झूठ कि जीत बार बार नजर आती है
ईश्वर को कोई लोभ नही है वह सबका पालनहार है वह ग्यानी है
सबको मौका है चाहे मन हो या कोई मानी है हर जीत हमारी तोफा है उसका जो पालनहार है हर किसीको मौका मिलता है
पर इसका मतलब यह नही की हम स्वयम् बहुत बडे ग्यानी है हम तो समजे दुनिया को तोफे को जो पदक समजले वह जीवन मे अग्यानी है
हम समजे हर जीत को उस की भेट तो ही मुश्किल रुक जानी है जीवन भर बस जो माँगता रहे वह किस तरह का इन्सान है उसकी बात क्या सुननी है

कविता १२१. जीवन की धारा

                                                                   जीवन की धारा
कोई नयी सोच हम को जीवन देती हर बार जीवन को कोई समज नयी समज भी देती है हर बार हमे जीवन नये तरीके से सीखाती
हर चीजों को समजना चाहता है हम जीवन के अंदर हर रंग मे रोज नयी सोच जिन्दा हो जाती है जब जब हम समजेंगे जीवन को
तो जीवन की नयी धारा जिवित हो जाती है जीवन को समजो हर पल तो जिन्दगी फिर से जिन्दा कर जाती है हर बारी जब जीवन को
तुम को जीवन के अंदर नयी शुरुवात हर धारा से ही मिल पाती है उस हर एक धारा के अंदर जीवन को नये असर दे जाती और समजाती है
जीवन को जब जब हम समजे नयी रोशनी जिन्दा हो जाती है हम जब जब आगे बढ जाती है वह तो बस एक धारा है जो जीवन को रोशन कर जाती है
पर धारा तो बहती रहती है वह कहा रुक पाती है पर जब जीवन को समजो तो उसको अंदर हर तरह की नयी धारा जरुर आती है
जब धारा को हम समजे तो सारी दुनिया समज आती है धारा कभी एक नही रहती वह धारा तो हर बार बदलती जाती है
वह जीवन की तरह ही होती है जो पहले तो जिन्दा होता है और बाद मे हर पल बदलता जाता है और हमे खुशियाँ तोहफो मे देता है
पर जीवन ऐसी चीज है जो दुनिया मे नये नये खेल दिखाती है खुशीयों के साथ कभी कभी वह जीवन भी दे जाती है
जीवन को समजो तो हम हर बार खुशियाँ पा जाते है उसके अंदर के गमों को भी हम हर बार हर पल खुशियाँ समज कर जी लेते है

Friday 7 August 2015

कविता १२०. मन के अंदर

                           मन के अंदर
हर बार जब जब हम मन के अंदर कुछ सोच लेते है बार बार हम जीवन कि चाह को हम समजते है
जीवन की हर सोच पर  फिर से हमने सोचा एक ओर तो हम कहते है थक चुके है जीवन से इतना कहने  से भी उसे खोने कि हालात मे हम कितना डर जाते है
मन के अंदर कई तरह के खयाल होते है पर थके हुए जीवन को हम हर बार समजते है पर जब हम खो देगे  इस खयाल से डरते है
तो उस जीवन को चाहते है यह कहने से क्यू कतराते है मुश्किल है पर इस जीवन मे उम्मीदों के तराने है बडा प्यारा है यह जीवन
जिसमे हर मोड पर अफसाने है जीवन को मन से अगर जियो तो हर मुश्किल के बाद तराने है हर बार जो हम जीवन को समजते है
तब हम समजे ऐसे सोच के नये फसाने है जिस जीवन को चाहते है हम जाने क्यू उसे ही मुसीबत कह देते है
जीवन कि है एक रित हमारी जिसे हम चाहते उससे ही कतराते है खो देने का कुछ ऐसा डर है मन को की जीने से ही डरता है

कविता ११९. नयी सुबह

                               नयी सुबह
सूरज के किरणों के अंदर नयी सुबह दिखती है पर हम जब हम आगे चलते है दुनिया हर पल बदलती है
जीवन के उजियारेसे अँधियारे तक हमे हर बार आना और जाना होगा उस जीवन के अंदर हमे कई बातों को समजना होगा
हर रोशनी के अंदर हमे जीवन को समजना बहुत जरुरी होता है जब हम आगे बढ जाते है तब उसे समजना अहम होता है
सूरज को हर पल हम समजे तो जीवन को समजना है जरुरी होता जब जब हम उजियारों को समजे तभी तो जीवन  होता है
उनका आना जाना जब जब हम जीवन को समजे उजियारों का होता है आना पर जब जीवन मे मुश्किल आती है
जरुरी होता है जीवन को समज पाना जीवन को हर मोड पे तो होता है तरह तरह का रंग दिखाना हमे हर बार तो जरुरी होता है
खुशियों को है समज पाना हर बार रोशनी के खातिर हर बार हर पल हमे है चलना और जरुरी है जीवन मे संभलना
जब जब हम पार करेंगे अँधेरे रोशनी के आयेंगे किनारे हर पल जब हम जीवन समज लेंगे तभी मिल जायेगे वह किनारे
पर हमने तो जीत को ढुढा है और खो दिये है शांती के साये जब जब हम जीवन को समजे तो हर बार यही उम्मीद पाये
हार मे भी जो जीवन मे आगे बढना सीखे वही जीवन को शांती और खुशीयों के तोफे आसानी हर बार दे जाये

Thursday 6 August 2015

कविता ११८. सही राह चलना

                                  सही राह चलना
हम जो कुछ कह दे या आप कुछ कह दे फर्क नही पडता अगर सूर वही हो तो गीतों के बदलने से कोई फर्क नही पडता
जब जब हम आगे बढ जाये जीवन मे नया मतलब है हर बार बनता जो हम करना चाहते है उससे हमारा जीवन है बनता
पर फिर भी जब लोग कोई गलत राह से उसी मकसद को पाते है तो कितना गलत लगता है जीवन के बारे मे यह कहना
जीवन के हर मोड पर है मुश्किल है समजना हर बार हम कहते है मकसद तो अहम है पर अगर गलत तरीके से चले तो
बडा उलझन भरा है जीवन उसमे आगे बढना क्युकी सही मंजिल काफी नही है जरुरी होता है हर बार सही तरीके से चलना
जब जब हम आगे बढ जाते है आसान नही है सही राह से चलना  जीवन मे जरुरी है चीजों को समजना और सही से चुनना
सिर्फ हर मोड पर हमे नही होता चलना जरुरी है सही तरीके से आगे बढना जीवन को भी जरुरी होता है ले जाना
बस हम सही है यह काफी नही है सही रस्त्ते को अपना कर यह जरुरी है  की दुनिया को जताना काफी नही है बस आगे बढ जाना
क्युकी जरुरी होता है जीवन का आगे निकल जाना जब जब हम आगे बढते है जरुरी है सही तरीके को आजमाना
जीवन के अंदर हमे हर बार नयी नयी सोच को है समज लेना उससे भी जरुरी है सही राह मन से हर बार चलना


कविता ११७. इशारों मे जीवन

                                  इशारों मे जीवन
जब हम कुछ  कह जाये चुपके से आप समज लेना यही तो जीवन है जिसमे है इशारो का आना जाना
जब हम जीवन मे चलते है हर बार इशारो का ही हर जगह पर आना जाना जाने क्यों इन्सान कहने से यू डरते है की
उन्हे ही समजते है अपना अहम गहना उनके संग ही रहते है हम पर हर बार जरुरी है उनका आना जाना
जब जब हम जीवन को समजते है हर बार जरुरी है उन्हे समजना अगर हम समज पाये जीवन को तो जरुरी है की
हम समज जाये उन इशारों का कहना हर बारी हर मोड पर जीवन अलग ही होता है कुछ कहना
अगर हम आसानी से समजले तो क्या बूरा है बातों का मुँह पर कहना जीवन जो आगे ले जाये वह लगता है गहना
पर फिर भी लोगों से डरके हम ने उलझाया है हर पल अपना जीवन जब जब हम समजाये वह इशारा है सबसे बेहतर सपना
पर वह तो ऐसा सपना है जिसमे हर पल उलझा है जीवन अपना क्यूकी वह इशारा जो हम को समजा दे जीवन वह नही बना अपना
इशारों के अंदर हम उलझे है हम तो आजकल सोचते है काश सीधी बात होता बचपन की तरह जीवन अपना
कर सकते है आसानी से पर हम डरते है सुलझाने से हर बार उलझा जीवन अपना

Wednesday 5 August 2015

कविता ११६. इन्सान को ना समज पाये

                                              इन्सान को ना समज पाये
कुदरत को ना समजे हम पर शायद हम इन्सान को भी ना समज पाये यह हर पल लगता है क्योंकी जीवन मे दिखते है कुछ अलग साये
इन्सानों मे हमने तरह तरह के रुप है पाये जिन्हे हम किसी तरीके से भी जीवन मे नही समज पाये हर बार हम जब आगे बढ जाये
इन्सानों के अलग किसम के रुप हमेशा जीवन पर असर कर जाये जो सोचा था उससे भी अलग सोचनेवाले इन्सान हर बार हम जीवन मे पाये
जब जब जीवन आगे बढ जाये उसे हम कहा समज पाये जीवन के हर मोड पर हमे इन्सान हर बार कुछ अलग ही दिखने लगते है
बूरा नही हर बार पर हम कुछ ना कुछ तरिको से समजते है कभी अच्छे कभी बुरे तरीके के इन्सान मिलते है जो जीवन मे हर बार कुछ अलग दिखाते है
जीवन का अलग मतलब समजाते है इन्सान तो बार बार जीवन अलग तरीके से समजाते है हर तरह के नये नये जीवन के सपने हमे दिखाते है
कभी कभी साथी भी धोका दे जाते है पर नये लोग ही जन्म जन्म के साथी जैसी साथ निभाते है जीवन पथ पर हर बार हम अलग ही सोच रखते है
उसे जीवन के बदलाव के संग बदलते है हम जब जब जीवन को समजे वह उम्मीदों से अच्छा लगता है पर उम्मीदों का सपना कभी कभी मन को ना सच्चा लगता है
पर कुदरत के संग जैसे हम समजोता करते है उसी तरह हम जीवन पथ पर चलते है कभी कभी उठते है कभी गिरते रहते है

कविता ११५. खुद को समजाना

                                      खुद को समजाना
जब जब हम कुछ सोचे आप बात को सही किया करो हम माने या ना माने बात को समजाया करना
दिल यही चाहता है की हम हर बार सही हो आप उस बात को समज ही लेना ऐसा अक्सर होता है
मन सच को नही अपनाता है उसे कभी कभी हमारे खातिर बार बार कह देना और मन मे उम्मीदों के किनारे भी रखना
कभी कभी जीवन मे ऐसा भी होता है सच सामने होता है और मन उसे नही अपनाता है उस पल उसे बार बार कहना जरुरी होता है
आप उसे दोहराते रहना यही मन का कई बार होता है कहना क्युकी तुफानों से तो वह लढ जाता है पर उम्मीदों मे ही कभी कभी कुछ कम पड जाता है
कुछ जल्दी ही हार मान लेता है उस मन को आप फिर से उम्मीदे देना हर बार जब जीवन जिन्दा रहता है
वह उम्मीदों को साया देनेवाले काश आप जीवन मे होते हर बार जब जीवन कोई दोस्त चाहता है वह उससे उम्मीदे पाते है
जब जब हम जीवन को जीना चाहते है उसके अंदर उम्मीदों को चुपके से मन को छू लेते है जीवन मे हर मोड पर हम यही उम्मीद करते है
काश कोई ऐसा होता जो उम्मीदों को जिन्दा करता खुशकिस्मत तो वह लोग होते है जो जीवन मे वह लोग पाते है
पर जादा तर ऐसा नही होता तो बेहतर तो यही होगा की हम खुद को ही समजाले खुद ही खुद को मौका देकर दूर करे वह दुःख के साये

Tuesday 4 August 2015

कविता ११४. हम रोना छोड़ दे तो

                                                       हम रोना छोड़ दे तो
हम समज नहीं सकते ऐसी बातों में भी जिन्दगी मजा देती है अगर हम रोना छोड़ दे तो जिन्दगी कम ही सजा देती है हम जब समज ले तो जिन्दगी हमें नयी सोच सीखा देती है
पर जीवन में रोना हर बार तो होता है और वही से हमारी मुसीबत शुरू होती लोग अक्सर यही सोचा करते है जो रोते है उनके आँसू बहते है
पर हमसे पूछे तो बस दिल यह कहता है जीवन में रोना तो तब होता है जब हमसे उम्मीदों का खो जाना होता है उम्मीद का बिछड़ना मन को दुःख देता है
पर सचमुच में हम तो बस वही देखते है जिनमें आँसू का होना होता है पर जब हम मन में उम्मीद रख के रोते है वह तो दुनिया से कुछ पल का रूठना और मनाना होता है
जिसे अगर कोई मन से उम्मीदों को खो दे तो ही वह सचमुच का रोता है उसकी आँखों में आँसू हो ना हो पर उसका जीवन साँस के संग होते हुए भी जीवन का खो जाना होता है
हर बार जब हम उम्मीदों से देखे तो जीवन में कोई ना कोई किनारा तो होता है पर जब हम सहारा ढूढे जीवन बिन सहारा होता है
जो किसी ओर के लिए सहारा बने उसका तो सहारा उप्परवाला होता है पर जो उम्मीदों को खो दे वह उस खुदा को कभी ना पाता है
जब जब हम आगे बढ़ जाये उम्मीदों के साथ ही अपना आना जाना होता है तो उन उम्मीदों को मत खोना फिर चाहो तो रो दो फिर भी खुशियाँ का जीवन में आना होता है

कविता ११३. बात जो नहीं समजते है

                                                     बात जो नहीं समजते है
जब कोई बात हम कहते है हमें लगता है की शायद बस हम ही कहते है दिवारों को लोग कहते है की कान होते है तो फिर हमारी बात दीवारे क्यों नहीं समज पाती यही हम हर बार सोचते रहते है
क्युकी जो लोग चाहते है वही सिर्फ लोग सुनते है दिवारों के कान अनचाही बातों को लेकर कुछ कम ही सुनते है जिसे हम समजते है उसे वह भी समजते है
पर उसे सुनना चाहते ही नहीं तो कैसे किसीको समजते है जीवन जब हम सुनना ही नहीं चाहते तो अच्छे खासे कान भी बहरे हो जाते है
जीवन को समजना हम जरुरी समजते है पर जब बात मन चाही ना हो तो कितनी आसानी से उसे अनदेखा करते है यह जीवन है
जिस में लोग कहते कुछ और पर सचमुच में कुछ और ही करते सब देख रहे है लेकिन जाने क्यों अनदेखा कर लेते है कभी कभी जब काटे किसी ओर को चुभते है
लोग जाने क्यों सोच लेते है की उन काटो को ना देखे  क्युकी वह काटे तो बस दुसरो को चुभते है पर काश की वह समज पाये की वह काटे नहीं है
वह तो खंजर होते है और जो एक बार उनसे काटना सीख ले वह अक्सर उन्हें सिर्फ चुभाते रहते है जीवन में वह खंजर हमें भी कभी ना कभी जरूर चुभते है
जो दूसरो के गमों में नहीं रोते वह अपने गम पर तो अक्सर रोते है क्युकी गम तो एक आग की तरह हर ओर जाता है तो वह गम उन्हें भी मिलने आते है
पर अफ़सोस तो इस बात का है की बाकी लोग तब तक  आगे बढ़ जाते है तो फिर वही लोग रोते है इस बात को की काश हम दूसरों के गम में ही रो देते

Monday 3 August 2015

कविता ११२. बातों के अंदर की बाते

                                                           बातों के अंदर की बाते  
कुछ लोगों से हम कुछ कह दे वह आसानी से सुनते है पर कुछ लोग हमारी कही बातों पर सवाल भी करते है दोनों में क्या सही है
हम तो बस उतना समजते है दोनों ही बातों में लोग सही होते है हर बात कोई टोके यह सही नहीं होता पर गलती पर भी ना टोके तो वह दोस्त नहीं होता है
तो कुछ जगह कोई टोके वह लोग सही होते है वह कुछ लोग बार बार टोकने पर भी गलत नहीं लगते है जो अच्छे से टोके वह भी एक तरीका है
पर कुछ लोगों की तारीफ भी लगती एक धोका है और कुछ लोग तो सिर्फ टोकने के लिए ही बने होते है उनके हर बातों के बस बेमतलब किस्से होते है
सब से जरुरी तो इन्सान की नियत होती है जो जीवन को बनाती है और जीवन को समजती है सही नियत की कोई भी हरकत सही होती है
गलत नियत की कोई भी बात बस मन को दर्द देती है लोगों को हम समजे यह अहम होता है क्युकी जीवन का मतलब तो उनमे ही होता है
जीवन में दोस्त मिले यह जरुरी नहीं होता पर दुश्मन को दोस्त ना समजे वही जरुरी होता है हर बार हमें सिर्फ यही समजना है
की सही इन्सान से गलत इन्सान को अलग करना है जीवन में हर बार इन्सान को समज नहीं सकते है जो हम चाहते है
उस सोच को हम समजते है पर हर बात के अंदर की कई बाते हम नहीं समज सकते है क्युकी कई बार गलत बात को  हम सही समजते है
जीवन पथ की गाड़ी को गलत पैयो से चलाते है और फिर हर बार यही समजते है की हम सही तरह की सोच दुनिया में नहीं रखते है
अगर हम सही दोस्त बनाये तो जीवन पथ पर हर बार हम सही दिशा में चलाते है और उस दिशा को हर बार हम समजते है 

कविता १११. काली और सूखे फूल

                                                                   कली और सूखे फूल
कली में दिखती है वह हर बात जिसे हम जीना चाहते है वह नाजुकसी चीज़ को हम समजना चाहते है पर कली के अंदर कोई तो रूप है
जिसे हम छूना चाहते है जब हम उस बारे में सोच लेते है उसके अंदर का जीवन हम महसूस करते है हम शायद जीवन की शुरुवात को जीना चाहते है
हम समजना चाहते है वह जीवन की उस अनमोल मोके को समजना चाहते है कली के अंदर की रोशनी दिखने लगती है उसे समजना जरुरी होता है
कली के भीतर कई तरह की उम्मीदे छुपती है शायद वह जीवन की शुरुवात दिखाती है कली के भीतर नया अजूबा वह कली छुपाती है
जिसे देखते रहने की मन में एक चाहत सी उठती है जब जब हम कली को समजे हमें दुनिया समजती है जिन्दगी को समजने की दो राहे होती है
एक शुरुवात और आखिर उन दोनों से ही तो जिन्दगी समजती है शायद इसीलिए बूढे की बाते भी प्यारी लगती है क्युकी जवानी तो जीवन है
पर वह जीवन नहीं समजा पाती है बचपन की किलकारी में शुरुवात का मतलब होता है कोशिश  की पुकार वह हर बार सुनाती है
वह हमे आसानी से मेहनत सिखाती है बुढ़ापे की लाठी हमें समजाती है आखिर सबको चाहिये जीवन में एक शांती है वह सुगुन की चाह बताती है
जीवन पथ पर मेहनत तो हर बार करनी पड़ती है पर आखिर में शांती के लिए तो सारी मेहनत होती है जीवन तो हर बार कई रंग दिखाती  है
पर बुढापा और बचपन पूरा अर्थ चुपके से बताता है तभी तो कली देखते है या सूखे फूल उनकी निशान हम किताबों में रखते है वह हमें सारा जीवन सीखाते है 

Sunday 2 August 2015

कविता ११०. खुशियाँ ठहरती है

                                                               खुशियाँ ठहरती है 
देखे हम खुशियाँ हर पल उन्हें हम नहीं समजते है खुशियोंके  अंदर हम उन्हें हमेशा मेहसूस नहीं करते हर पल जब जब हम खुशियोंको  समजे उन्हे जिन्दा रखने की कोशिश करते है
खुशियाँ तो जीवन में होती है पर उन्हें समजने में मुश्किल होती है क्युकी हम उन्हें हमेशा के लिए चाहते है उन तरीकों को ढूढ़ना नामुमकिन सा होता है 
ख़ुशी तो जीवन को दिशा देती है पर वह कायम नहीं होती है वह बनती है और वह बिगड़ भी जाती है खुशियाँ तो अलग दिशाओ में दिखती है 
खुशियाँ के अंदर तरह तरह की सोच भी जिन्दा होती है जब जब खुशियाँ जीवन में आती है वह हमें कुछ इस कदर अपना बनाती है 
की हर साँस और हर सोच में खुशियाँ जीवन दे जाती है चाहते है हम उनको और उनमे ही जीवन जी लेते है उन्हे हर पल और हर मोड़ पर हम समज लेते है 
उन खुशियों के अंदर हमारी दुनिया साथ लेती है जब जब खुशियाँ हमारे जीवन को उम्मीदे देती है हमें वह नये नये मोड़ दिख लाती है 
खुशियों के अंदर हमें दुनिया मिल जाती है हमें लगता है यह ख़ुशी अब मरते दम हमारा साथ जरूर निभाती है पर सच में यह नहीं होता है 
खुशियाँ तो कुछ पल की साथी होती है वह काफी समय तक चाहे तो रुक जाये पर आखिर में हमारा साथ छोड़ ही देती है 
और जब वह चली जाती है जीवन से तब मन को एक चोट सी लगती है हम नहीं समज पाते है की खुशियाँ क्यों हमें यू धोका देती है 
पर सच तो है वह हमें धोका नहीं देती है हम सब जानते है मन के भीतर से की खुशियाँ को बारिश की तरह आती जाती है कभी नहीं ठहर सकती है 

कविता १०९. जीवन का मकसद

                                                          जीवन का मकसद
हर चिंगारी का मतलब होता है हर जीवन का मकसद होता है हम समजे या ना समजे पर वह पूरा तो होकर रहता है
जीवन की इस दौड़ धुप में जाने कितनी बार हम वह कर जाते है जो हमारे जीवन का मतलब होता है जब जब हम आगे बढ़ते है 
जीवन रस को समजना मुश्किल लगता है पर चिंता की कोई बात नहीं है ईश्वर तो हम से करवाही लेते है जो ईश्वर का मकसद होता है 
जीवन बिना अर्थ नहीं होता है हर जीवन का मतलब होता है समजो चाहे या ना समजो जीवन तो नदियाँ की तरह बहता है 
सागर से मिलना जिस का मतलब होता है उसी तरह जीवन में भी कुछ ना कुछ मतलब होता है जिसको हर पल हम समज नहीं सकते है 
पर याद तो हम को रखना पड़ता है जीवन के हर मोड़ पर जाने क्यों नयी नयी मुसीबतों के बजह से जीवन बिन मतलब लगता है 
जीवन के हर रंग को समजे वही जीवन का एक अलग सा अर्थ होता है जब जब हम आगे बढ़ जाये तो जीवन में कुछ और ही मिलता है 
जीवन को हर पल जो समजे उसके अंदर जीवन के कई खयालो का भी कुछ तो नतीजा होता है जीवन के अंदर जो जीना सीखे उनका ही यह जीवन होता है 
जब जब हम आगे बढ़ जाये जीवन में कई तरह की सोच को समजना पड़ता है उस सोच के अंदर जाने क्यों जीवन का मतलब दिखाता है 
जीवन के कई रंग है जिनमे हमें जीवन का अलग अलग सा मतलब दिखता है पर कभी कभी वह छुप जाते है और जीवन  का ना कोई मतलब दिखता है ना कोई मकसद दिखता है 
जीवन तो उस ईश्वर की देन है जिसमे जीवन की उम्मीद दिखती है जीवन को अगर हम समजे तो जीवन का हमेशा एक मकसद होता है 

Saturday 1 August 2015

कविता १०८. फूल और काटो में से एक

                                                       फूल और काटो में से एक
जीवन सिर्फ काटो को ही नहीं कभी फूलों को भी समजना होता है काटो को तो हम समज लेते है पर फूलो को ही कभी कभी भुला देते है
जीवनको तो दोनोंको बराबरी का मौका देना होता है जीवन को समजो तो उसमे भी नये तरह का जीना होता है फूलों की मासूमियत में जीवन का मजा होता है
पर अक्सर काटो से जुड़ कर रोने में भी हमारा वक्त गुजरता है जब जब नाजुक फूलों को छू ले तो जीवन में नयी नयी उम्मीदों का आना होता है
पर फूलों को अनदेखा कर के जानेसे क्यों जीने में मुसीबतों का आना होता है हर मोड़ पे जब हम जीवन को समजे उसमे नये मोड़ का आना होता है
कोमल चंचल फूलों को जब जब हम छू लेते है सारी प्यारी नाजुक चीज़ों के अंदर हर बार हमे  दुनिया में सिर्फ खुशियाँ मिलती है
हर बार सुंदर नाजुक चीज़ों में दुनिया के कई तरह रूप मिलते है फूलों के संग हम काटो को भी हम समजते है पहले तो काटो को समजने की जरूरत होती थी
अब फूलों को ही हम नहीं समजते  काटो से ही इस कदर प्यार हुआ है की दुनिया में फूलों की ही कदर नहीं करते जाने कब हम फूलों और काटो को दोनों को चाहेंगे
कभी कभी हम  फूलों की तो कभी काटो की कदर करते है इस जीवन में हर मोड़ पर हम अपना जीवन जीते है काटो की राहों पर चल कर फूलों को समजते है
तो जब हमें दोनों को अपने साथ रखना है जाने क्यों हम उनमे से एक को हर बार चुनते है जब जब हमें दोनों हासिल है
हम जीवन में क्यों सोचा करते है फूलों को जीने की जगह काटो पर चलने की जगह हम दोनों में से एक को अक्सर चुनते रहते है 

कविता १०७. दिशा बदलती है

                                                               दिशा बदलती है
दिशा और राहे  हर बार बदलती रहती है हर बार हमारे जीवन की मजधार बदलती रहती है उसे समजो जिस सोच में नयी बाते होती है
वह दिशा हर बार हमें कई बाते बताती है जब जब हम राह को समजो जीवन में उम्मीद तो आती है पर राह बदलना तो सोच ही होती है 
दिशा और राहों पर हम हर बार समजते है सारे जीवन पर अलग अलग से असर भी होते है हर बार हम जिसे समजे वह राह नहीं मिलती है 
दिशा बदलती है और नये किनारे देती है जब जब हम आगे बढ़ जाये उम्मीद तो होती है जिस दिशा को हम समजे वह अपना मोड़ बदलती है
सारी दिशा के अंदर नये किनारों की एक राह सी दिखती है जिसे हम समजे वही उम्मीद हमें हर बार रुलाती है क्युकी उम्मीद तो बदली हुई सी होती है 
हर बार उस राह को समजे जिसमे नयी तरह की सोच भी दिखती है सोच के भीतर नयी नयी उम्मीद सी जिन्दा रहती है 
जब जब दुनिया बदलती है हर बार सुबह से रात भी होती है हमे समजने की जरूरत है की क्या रात दिन से कुछ कम होती है 
वह नींद देती है वह दुनिया में चैन देती है वह रातों को हर पल सपने और खुशियाँ देती है हर सपने में नयी नयी तरह की आशा देती है
हर बार जो चलती है जीवन में तरह तरह के मतलब देती है हम जो सोचे हर बार दुनिया उम्मीद देती है हम जो चाहे तो दिशाये बदलती है
जब जब आगे बढ़ना चाहे जिन्दगी यही समजाती है दुनिया की सोच बदलती है हर बार दुनिया की मंज़िल बदलती है 

कविता. ५११५. उजालों से अरमानों की।

                             उजालों से अरमानों की। उजालों से अरमानों की परख सुबह दिलाती है नजारों को किनारों संग अंदाज सहारा देती है दिशाओं ...