Saturday, 13 February 2016

कविता ४९९. बात के अंदर छुपी दास्तान

                                             बात के अंदर छुपी दास्तान
हर बात के अंदर एक बात छुपी होती है काश के लोग समझ लेते कि हर बात के अलग राज छुपा होता है जो जीवन को मतलब देता है
बातों के अंदर दास्तान का राज छुपा होता है जो एहसास बदल लेता है क्योंकि हर बार बातों को ही तो हम दास्तान बनाते है
बातों को समझ लेने कि हर बार जरुरत होती है जो जीवन को उम्मीदे दे जाती है बातों से ही तो जीवन कि नई आवाज होती है जो रोशनी देती है
पर अक्सर हमे जीवन मे वह आवाज सुनने कि कहाँ आदत होती है जो जीवन मे रोशनी देती है सिर्फ बिना जरुरी शोर मे ही जीवन कि कहानी बसी होती है
जीवन को हर मोड पर समझ लेने कि जरुरत होती है क्योंकि जीवन मे ही तो हमारी कहानी छुपी होती है जो जीवन को रोशनी देती है
बातों को समझ लेने कि कहानी आसानी से समझ नही आती क्योंकि शोर को समझ लेने कि हमारी आदत होती है जो जीवन कि सबसे बडी मुसीबत होती है
बातों को समझ लेने कि जरुरत हमे आसानी से कहाँ मेहसूस होती है उन्हे तलाश करने कि जीवन मे मेहनत हर बार करनी पडती है जो हमारी जरुरत होती है
जीवन कई बार हमे कितने रंग दिखा देता है कि कौनसा रंग चुने हमे कहाँ समझ आता है जीवन को परख लेना ही जीवन मे हर बार खुशियाँ दे जाता है
जीवन के शोर को सुनने कि हमारी आदत हो जाती है उसे बिना तोडे ही जीवन कि कहानी बनती है जब हम उसे तोड लेते है तो ही हमारी दुनिया बनती है
शोर ही तो जीवन को मतलब दे जाता है जो हमे हर पल हर मोड पर आगे ले जाता है काश के हम उस शोर को अनसुनी कर पाते तो ही हम दास्तान को सचमुच मे सुन पाते है

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