Saturday, 28 May 2016

कविता ७०८. हर राह को समझ लेना

                                            हर राह को समझ लेना
हर राह को समझ लो तो उसमे एक एहसास होता है जो जीवन कि बातों को परख लेना चाहता है क्योंकि राह पर ही समय गुजर जाता है
राह ही हर पल उलझन देती है उसे समझ लेने से ही तो जीवन कि खुशियाँ होती है जिसे समझ लेने कि हर पल जरुरत होती है
राह ही तो हमे नई शुरुआत लगती है जो हमे आगे लेकर चलती है जीवन कि सोच ही तो उसकी ताकद होती है जो रोशनी देकर आगे चलती है
पर कई राहों से ही तो हमारी किस्मत बनती है जीवन कि नई सुबह हर पल हमे खुशियाँ देकर आगे बढती रहती है जो हमे खुशियाँ देकर चलती है
राहों मे ही कई बार किस्मत कि तलाश रहती है क्योंकि राह ही तो जीवन कि किस्मत बनती है जो हमे आगे लेकर चलती है
राह मे ही तो कई किस्से होते है जो साँसे देकर आगे बढते है जो जीवन को हर बार उम्मीद देकर चलते है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत होती है
जीवन कि कहानी हर पल बदलती रहती है जिसे समझ लेने को जीवन को अक्सर वक्त लगता है जिसका जीवन पर अलग असर होता है
राह ही तो दुनिया को समझकर आगे बढती है वह हमारी ताकद होती है जो हमारे जीवन कि सबसे आस होती है
राह को समझ लेना है ही तो जीवन कि जरुरत होती है कोई अलग सोच ही हमारी किस्मत बनती है जिसे परख लेने कि जरुरत होती है
राह को समझकर आगे जाना ही हर पल कि ताकद होती है तलाश होती है जीवन कि हर मोड और हर मौके कि आदत होती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

                          आशाओं की सरगम संग। आशाओं की सरगम संग खयालों की पहचान इशारा सुनाती है कदमों की सौगात अक्सर लम्हों की महफिल देकर जात...