Thursday, 19 May 2016

कविता ६९१. किसी पल कि आवाज

                                             किसी पल कि आवाज
किसी पल किसी आवाज को समझकर जीवन को पीछे लेकर जाने कि चाहत तो होती है पर क्यूँ करे वह बात जो नामुमकीन होती है
जीवन आगे बढने का नाम है पिछली बाते बदल लेना बात बडी मुश्किल लगती है पिछली बाते समझ लेना जीवन कि शुरुआत की जरुरी चीज होती है
पिछली बाते तो हर बार बस वही होती है जो बदल लेना एक ऐसी बात है जो गलत ख्वाईश होती है जो जीवन कि दिशाए बदलकर रखती है
हमे हर बार जीवन को समझकर पलों को बांध लेने कि जरुरत होती है पर पल कभी नही बंध पाते उडना उनकी फिदरत होती है
पिछली बाते कहा मुड पाती है क्योंकि वही रुक जाना उनकी जरुरत होती है जीवन कि बाते हर पल हर मोड पर बदलती जाती है
पिछली बाते तो उस मोड पर ही रख देने कि जीवन को जरुरत होती है जो दुनिया को समझकर उसकी दिशाए बदलकर रहती है
पीछे दिखती हुई घटना को बदलकर रखने कि जीवन को हर पल अहमियत होती है जो जीवन कि धारा को बदल देने कि जरुरत होती है
पिछली बातों को बदल देने कि जीवन कि चाहत हर मौके पर अहम होती है जो जीवन कि ताकद बनकर जीवन कि तलाश बदल देती है
पीछे कि बाते समझ लेना जरुरत होती है जो जीवन को परख लेना ही एक बात बडी अहम होती है जो जीवन बदल देती है
पिछली बाते समझ लेना ही तो जीवन कि कहानी बनाता है जो चीजे हर मोड को  समझकर आगे बढ जाने कि जरुरत होती है

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