Sunday, 8 May 2016

कविता ६६७. पन्नों मे लिखा

                                             पन्नों मे लिखा
किसी किताब के पन्नों मे लिखा है क्या यह बात बस जीवन मे दुनिया को समझ लेने के लिए काफी है कई पन्नों का एहसास बिना जिये काफी नही होता है
क्या बिना गाये संगीत का एहसास काफी होता है आखिर संगीत को पढना जीवन को काफी नही होता है बिना गाये जीवन को समझ लेना आसान नही होता है
क्योंकि संगीत ही तो जीवन को ताकद दे जाता है जिसमे नई शुरुआत का एहसास ताकद देकर जाता है पर बिना समझ लिये उसमे मतलब छुपा होता है
जब तक हम ना समज ले जीवन मे कोई खुशियों का एहसास सही नही लगता है जो जीवन कि ताकद बनकर दुनिया को सजाता है जिसे समझ लेना जरुरी होता है
पन्नों को पढना काफी नही होता जब तक उन्हे ना पढे जीवन का कोई रस सही नही होता है वह रोशनी नही दे पाता है आगे नही ले जाता है
जीवन के कई रंगों को समझ लिये बिना कहाँ जीवन मे खुशियों का एहसास नही होता है वह ताकद नही दे पाता है क्योंकि वह मन को छू नही पाता है
पन्नों को समझकर आगे लेकर जाने कि चाहत मे ही तो वह दिशा आती है दुनिया कि सही खुशियाँ जीवन मे लेकर वही तो आ जाती है
जो जीवन मे कुछ कर पाता है वही तो जीवन कि खुशियाँ लाता है हमे आगे बढने कि आदत और ताकद हर दम देकर जाता है
जो जीवन मे जीना खुशियों को चाहता है वह उन पन्नों को जिन्दा कर जाता है क्योंकि उस किताब को समझ लेने मे ही तो दुनिया कि ताकद हासिल होता है
पन्नों को समझ लेना ही सही उम्मीदे देकर आगे बढ जाता है पन्नों कि उम्मीदे उनको जीने से ही हर बार नजर आती है क्योंकि वही हमे आगे ले जाती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

                          आशाओं की सरगम संग। आशाओं की सरगम संग खयालों की पहचान इशारा सुनाती है कदमों की सौगात अक्सर लम्हों की महफिल देकर जात...