Tuesday, 30 June 2015

कविता ४३. फूल

                                                                     फूल 
फूलोंने कहा है नये नये रंग हर बार हमारे मन को छू लेती है और फूल में नये सुंदर रंग जिंदगी दिखाती है 
चुने बस उस फूल में मासूमीयत मन में आती है उन फूलो की खूबसूरती मन को खुशियाँ देती है 
हर बार जब फूलों में वह खूबसूरती मन को ख़ुशी देती है नाजुक तरह के फूल हमेशा मन को अच्छी सोच देते है 
फूलों के सारे रंग हमें रोज ख़ुशी दिलाते है फूल हमेशा नाजुक ही नहीं होते है कभी कभी फूलो में काटे है 
वह हमेशा दर्द देते है फूल बहोत मासूम दिखते है पर उनमे तरह तरह के रंग और रूप हमेशा भाती है 
फूल में कई मासूम रूप उनके अंदर पाते है फूल वही जो तरह के रूप हमें दिखाते है हर फूल जो मन को छूते  है 
हर बार रोशनी देते है फूल जो हर तरह के रूप में खुशियाँ देते है फूलो में कई रूप है जिन में हम जिन्दगी पाते है 
फूल जो हमें खुशबू देते है फूल तो कितनी तरह की चीज़े अंदर पाते है फूलो में जो नये नये रूप छुपे है 
मन को ख़ुशी दिलाते है फूल जो दिखते  है सुंदर हर बार हमे अच्छे लगते है फूलो के मासूम रूपों पर हम हर बार इतराते है 
ऐसा कोई पेड़ हम लगाये तो उसकी खुशबु को हम मन से पाते है उन सारे फूलों को देखकर पेड़ बहोत सुंदर दिखते है 
माना की वह फूल कुदरत का करिश्मा है पर हम ऐसे इतराते है जैसे हमने ही वह फूल बनाये है 
जब के सबकुछ सिर्फ कुदरत बनती है फिर भी हम उन फूलो में खुशियाँ पाते है उन फूलों में जिनमे सपने सजे हो हम उन फूलो को पाते है
फूलों में जो रंग छिपे हर बार हम पाते है उन रंगों में हम खुशियाँ पाते है फूल जो बहोत सुंदर लगते है 
की हर बार हमे जो मन में खुशियाँ देते है फूल जो कुदरत बनाती है उसे हम आसानी से अपनाते है पर फूल खूबसूरत लगते है 
पर अगर कुदरत की बनायीं खूबसूरत चीज़ हम अपनाते है पर वही कुदरत जब कुछ अलग दे हम कतराते है 
काश के हम सब कुछ उसी तरह हसकर अपनाते जैसे हम उन खूबसूरत फूलो को अपनाते है और जिन्दगी भर इतराते है 

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