Saturday, 21 May 2022

कविता. ४४४८. लम्हों से अक्सर।

                                    लम्हों से अक्सर।

लम्हों से अक्सर सपनों कि लहर इशारा देती है। उम्मीदों को आवाजों कि धून पहचान सुनाती है नजारों से अफसानों कि सौगात आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर आशाओं कि मुस्कान तलाश देती है कदमों को दास्तानों कि सुबह एहसास सुनाती है तरानों से दिशाओं कि उमंग आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर अंदाजों कि सरगम कोशिश देती है किनारों को अंदाजों कि राह अहमियत सुनाती है जज्बातों से बदलावों कि सोच आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर नजारों कि आस दास्तान देती है इशारों को उजालों कि परख पुकार सुनाती है आवाजों से इरादों कि मुस्कान आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर आवाजों कि धून लहर देती है तरानों को किनारों कि सोच अरमान सुनाती है अंदाजों से खयालों कि बदलाव आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर अदाओं कि रोशनी खयाल देती है खयालों को उम्मीदों कि सौगात बदलाव सुनाती है नजारों से अफसानों कि राह आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर इरादों कि तलाश बदलाव देती है कदमों को दिशाओं कि सोच कोशिश सुनाती है अदाओं से खयालों कि सरगम आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर जज्बातों कि मुस्कान रोशनी देती है तरानों को अंदाजों कि राह नजारा सुनाती है उजालों से आवाजों कि धून आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर कदमों कि आहट कोशिश देती है बदलावों को किनारों कि समझ अरमान सुनाती है राहों से आशाओं कि उम्मीद आस दिलाती है।

लम्हों से अक्सर अंदाजों कि लहर तराना देती है नजारों को एहसासों कि तलाश इरादा सुनाती है अदाओं से दास्तानों कि राह आस दिलाती है।

 

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