Monday, 17 October 2022

कविता. ४५९७. किनारों से आशाओं कि।

                                             किनारों से आशाओं कि।

किनारों से आशाओं कि लहर आस सुनाती है कदमों कि आहट अक्सर अरमानों कि पुकार संग रोशनी दिलाती है खयालों को अंदाजों कि सौगात अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि सरगम पहचान सुनाती है दिशाओं कि समझ अक्सर जज्बातों कि सोच संग राह दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि सुबह अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि कोशिश राह सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर एहसासों कि मुस्कान संग तलाश दिलाती है नजारों को खयालों कि सरगम अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि सोच पुकार सुनाती है अदाओं कि परख अक्सर खयालों कि सौगात संग कोशिश दिलाती है इशारों को लम्हों कि आहट अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि पहचान उमंग सुनाती है लहरों कि सरगम अक्सर सपनों कि आस संग बदलाव दिलाती है कदमों को दास्तानों कि परख अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि बदलाव सपना सुनाती है उजालों कि सुबह अक्सर अंदाजों कि सरगम संग तलाश दिलाती है आवाजों को अदाओं कि पुकार अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि सौगात तलाश सुनाती है नजारों कि सोच अक्सर दास्तानों कि परख संग सहारा दिलाती है लम्हों को खयालों कि सोच अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि सरगम कोशिश सुनाती है तरानों कि सुबह अक्सर दिशाओं कि सोच संग इशारा दिलाती है नजारों को उजालों कि सुबह अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि पुकार खयाल सुनाती है इरादों कि सौगात अक्सर जज्बातों कि मुस्कान संग पहचान दिलाती है अदाओं को नजारों कि सोच अल्फाज देती है।

किनारों से आशाओं कि सुबह दास्तान सुनाती है एहसासों कि रोशनी अक्सर अरमानों कि राह अफसाना दिलाती है खयालों को अंदाजों कि समझ अल्फाज देती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...