Monday, 4 September 2023

कविता. ४९१९. मुस्कान अक्सर जज्बातों संग।

                                  मुस्कान अक्सर जज्बातों संग।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग आशाओं की पहचान दिलाती है कदमों को उजालों की सुबह एहसास दिलाती है लम्हों को खयालों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग लम्हों की कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों की समझ रोशनी दिलाती है नजारों को अरमानों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग कदमों की सोच दिलाती है उजालों को सपनों की सरगम परख दिलाती है आवाजों को अदाओं की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग किनारों की बदलाव दिलाती है तरानों को इरादों की सौगात तलाश दिलाती है अंदाजों को इरादों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग अल्फाजों की राह दिलाती है लम्हों को दास्तानों की पहचान तराना दिलाती है उम्मीदों को किनारों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग आवाजों की आस दिलाती है खयालों को अंदाजों की आस उमंग दिलाती है दिशाओं को बदलावों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग अरमानों की समझ दिलाती है किनारों को सपनों की आवाज धून दिलाती है दास्तानों को एहसासों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग लहरों की परख दिलाती है नजारों को दिशाओं की कहानी सरगम दिलाती है अदाओं को तरानों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग दास्तानों की आहट दिलाती है इशारों को आशाओं की सोच पहचान दिलाती है लहरों को कदमों की पुकार सुनाती है।

मुस्कान अक्सर जज्बातों संग किनारों की अदा दिलाती है खयालों को अंदाजों की आस सपना दिलाती है किनारों को अल्फाजों की पुकार सुनाती है।


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