Tuesday, 15 December 2015

कविता ३७९. बहार और तुफान

                                           बहार और तुफान
बहार को समज लेना हर बार आसान है पर जो हमारे तुफानों को समज ले वही हमारा सही साथी है क्योंकि तुफान तो अक्सर आते जाते रहते है
पर वही हमारा साथी है जो तुफानों मे कई बार उम्मीदे दे जाता है बहार तो जीवन मे आती जाती है पर उस से भी ज्यादा तुफान से लढने कि जरुरत जीवन मे हर बार नजर आती है
तुफान से ज्यादा अहम कोई चीज नही लगती जब तुफान आता है तभी तो दुनिया मे उम्मीदे ढूँढनी होती है जीवन को मतलब तो बस तभी मिलता है
जब दुनिया को आगे ले जाने कि उम्मीद हर बार होती है तुफानों से लढने से ही तो दुनिया बनती है तो जब जीवन से हम आगे चलते जाते है तुफान से लढते है
उस पल जो हमारा साथ दे उनसे ही हर मोड पर हमारी दुनिया बनती है बहार चाहे कितनी भी अहम हो पर तुफान से लढने से ही हमारी दुनिया जिन्दा होती है
तुफान मे जो साथ दे वही साथी तो जीवन को भाता है बहार को हर बार जीवन दे जाता है कहानी तो तुफानों कि होती है बहारों को तो इन्सान बस जीना चाहता है
बहार से ज्यादा जीवन को तुफान से ही कतराना होता है जीवन को तो तुफानों से ही हर बार लढना होता है बहार से ज्यादा तुफान मे ही जीवन का असर होता है
बहार तो जीवन को मतलब हर मोड पर देता है कुछ तो रोशनी दिखती है तुफान से ही तो वह छिन जाती है जो साथी तुफान मे हमारा साथ निभाता  है
वही तो जीवन को उम्मीदे आसानी से दे जाता है जो तुफानों का मतलब बदलता है वही जीवन मे रोशनी कि वजह बन जाता है तो तुफानों का साथी ही असली साथी कहलाता हैै
तो जो तुफानों मे साथ दे वही जीवन का सही साथी होता है क्योंकि हम तुफानों से ज्यादा डरते है बहारों से तो हम हर पल जीवन को उम्मीदों से भर ही पाते है

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