Thursday, 24 March 2022

कविता. ४३९१. हर सुबह के एहसास संग।

                                                     हर सुबह के एहसास संग।

हर सुबह के एहसास संग आशाओं कि मुस्कान सहारा देती है नजारों से जज्बातों कि लहर कोशिश दिलाती है तरानों को अंदाजों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग अरमानों कि परख पहचान देती है किनारों से लम्हों कि मुस्कान इशारा दिलाती है कदमों को दास्तानों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग अंदाजों कि सरगम तलाश देती है खयालों से दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है लम्हों को बदलावों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग कदमों कि आहट सपना देती है जज्बातों से अफसानों कि सौगात आस दिलाती है दास्तानों को नजारों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग खयालों कि उम्मीद आस देती है तरानों से जज्बातों कि लहर रोशनी दिलाती है अदाओं को लम्हों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग नजारों कि पुकार कोशिश देती है कदमों से आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है किनारों को आशाओं कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग जज्बातों कि लहर रोशनी देती है अदाओं से अल्फाजों कि सोच इरादा दिलाती है आवाजों को लम्हों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग आवाजों कि धून कोशिश देती है अंदाजों से खयालों कि उम्मीद तलाश दिलाती है दास्तानों को नजारों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग दिशाओं कि उमंग किनारा देती है लहरों से दास्तानों कि सरगम इशारा दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि राह सुनाती है।

हर सुबह के एहसास संग दास्तानों कि सोच इरादा देती है लम्हों से अरमानों कि परख पहचान दिलाती है लहरों को अफसानों कि राह सुनाती है।

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