Wednesday, 31 August 2022

कविता. ४५५०. उजालों कि सुबह अक्सर।

                                      उजालों कि सुबह अक्सर।

उजालों कि सुबह अक्सर अरमानों संग आवाज दिलाती है अदाओं कि कोशिश से अंदाजों कि तलाश अल्फाज सुनाती है कदमों कि आहट नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर जज्बातों संग अहमियत दिलाती है लहरों कि सरगम से खयालों कि पहचान इशारा सुनाती है तरानों कि रोशनी नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर दिशाओं संग सौगात दिलाती है लम्हों कि पुकार से एहसासों कि रोशनी आस सुनाती है दिशाओं कि अहमियत नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर लहरों संग बदलाव दिलाती है दास्तानों कि परख से आवाजों कि धून सोच सुनाती है राहों कि सरगम नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर सपनों संग खयाल दिलाती है नजारों कि सौगात से आशाओं कि सरगम दास्तान सुनाती है जज्बातों कि सोच नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर आशाओं संग पहचान दिलाती है आवाजों कि आस से इशारों कि सोच अल्फाज सुनाती है दिशाओं कि समझ नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर इशारों संग कोशिश दिलाती है लहरों कि सरगम से किनारों कि मुस्कान राह सुनाती है लम्हों कि पहचान नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर कदमों संग एहसास दिलाती है दिशाओं कि राह से लम्हों कि पुकार कोशिश सुनाती है तरानों कि लहर नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर दिशाओं संग किनारा दिलाती है लम्हों कि सरगम से खयालों कि सोच बदलाव सुनाती है अंदाजों कि परख नजारा देती है।

उजालों कि सुबह अक्सर उम्मीदों संग अफसाना दिलाती है नजारों कि सोच से इरादों कि पहचान आस सुनाती है राहों कि सौगात नजारा देती है।

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