Tuesday, 3 October 2023

कविता. ४९४८. उजालों की पुकार से।

                                   उजालों की पुकार से।

उजालों की पुकार से आशाओं की सुबह तलाश दिलाती है लहरों को इशारों की सौगात एहसास दिलाती है कदमों को अदाओं की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से अंदाजों की सरगम दिलाती है लम्हों को खयालों की कोशिश पहचान दिलाती है अफसानों को दिशाओं की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से आवाजों की समझ दिलाती है किनारों को सपनों की आस अरमान दिलाती है तरानों को उम्मीदों की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से अरमानों की राह दिलाती है खयालों को अंदाजों की पहचान आस दिलाती है नजारों को कदमों की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से दास्तानों की सोच दिलाती है सपनों को इशारों की समझ पहचान दिलाती है सपनों को नजारों की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से जज्बातों की रोशनी दिलाती है दास्तानों को अल्फाजों की सोच अफसाना दिलाती है इशारों को लम्हों की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से खयालों की आस दिलाती है नजारों को तरानों की कहानी बदलाव दिलाती है उम्मीदों को अरमानों की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से कदमों की आहट दिलाती है अरमानों की कोशिश पहचान दिलाती है आवाजों को एहसासों की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से किनारों की उमंग सरगम दिलाती है खयालों की समझ सरगम दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं की मुस्कान दिलाती है।

उजालों की पुकार से दास्तानों की सौगात कोशिश दिलाती है कदमों की आस अफसाना दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की मुस्कान दिलाती है।



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