Monday, 18 April 2016

कविता ६२८. सही गीत को चुनना

                                               सही गीत को चुनना
हर गीत को समझ लेना अलग एहसास होता है हम क्या सोचे यह हमारा एहसास होता है गीत को मतलब तो हमारे हरकत से ही होता है
गीतों मे हम क्या चुने यह हम पर ही होता है आखिर जीवन मे कौनसा रस्त्ता हम चुने यह हम पर ही तो होता है जो हमे उम्मीदे देकर जाता है
गीत के बोल ही तो जीवन को कोई मतलब देते है जो सुंदर मन से कहे जाते है जो गीत गलत मन से बोले वह उलझन ही हर बार लेकर आते है
गीत जब जब चुनते है तभी तो हम जीवन कि उलझन समझ पाते है जिसमे हम खुशियों कि सौगाद हर बार हर पल पाते ही है
पर कभी कभी गीत मे गलत सोच हम पाते है उनसे ही गलत मोड पर जाते है गीत को परखकर लेते है तो ही हम जीवन मे खुशियाँ पाते है
जीवन मे गीत तो कई आते है और जाते है कुछ गीत ही मन मे कोने मे रह जाते है जीवन कि नई दिशाए देकर आगे जाते है
गीतों मे कई मोड तो आकर जाते है जिन्हे हम परखकर आगे जाना चाहते है गीत ही तो जीवन को ताकद बनकर आगे आता है
सही गीत साँसे देकर आगे जाता है गीत ही तो जरुरत बन जाता है क्योंकि वह संगीत मन को शांती दे जाता है वह हमारे मन मे सच्चाई जिन्दा करता है
पर कुछ गीतों मे कुछ ऐसे मोड होते है जो जीवन मे सिर्फ मन को बेहलाते है सही राह से भटककर हम किसी और ओर खींचे चले जाते है
गीत सिर्फ संगीत नही होते वह जीवन कि वह साँसे होते है जो हर मोड पर हर पल नई रोशनी देकर आगे चली जाती है

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