Sunday, 24 April 2016

कविता ६४०. दस्तक कि आवाज

                                                   दस्तक कि आवाज
दस्तक जो दिल मे हर बार होती है जो जीवन कि उम्मीद होती है पर कई बार गलती से वही दस्तक अनदेखी रह जाती है जीवन का मन बदलकर मुश्किल बनकर दिख जाती है
हर दस्तक मे ही दुनिया कि उलझन का जवाब छुपा रहता है जो जीवन कि दिशाए   बदलकर आगे बढता हर बार हर पल नजर आता है
हर दस्तक के अंदर जीवन का मतलब छुपा है पर कौनसा मतलब सही और कौनसा मतलब गलत होता है जो जीवन पर असर  कर के ही जाता है
कोई दस्तक जीवन को मकसद तो दे ही जाती है हमे जीवन को कई बार कई मोड पर समझ लेने कि जरुरत हर पल होती ही है जो हमे रोशनी कि धारा ही देकर जाती है
हर दस्तक को समझकर ही तो जीवन कि ताकद होती है जो जीवन के हर पल को मतलब देकर आगे लेकर चलती रहती है जीवन को समझ लेती है
हर दस्तक का कुछ तो मतलब लिखा होता है जो जीवन मे छुपा होता है क्योंकि हर दस्तक जीवन का दरवाजा खोलने का इशारा होती है
एक दस्तक जीवन कि एक नई शुरुआत होता है जिसमे दुनिया को समझकर आगे ले जाने कि जरुरत हर पल हर मोड मे होती है
क्योंकि दस्तक ही तो जीवन का सच्चा तोहफा होती है जो हमे आगे लेकर जाती है जो हमारी दुनिया बदलकर आगे बढती है
हर दस्तक जीवन कि एक दुआ होती है जो उसे हर बार उम्मीदे और हर पल नई सोच  देकर आगे बढती चलती जाती है
क्योंकि दस्तक मे वह आवाज छुपी होती है जो हर मोड पर जीवन का अंदाज बदलकर आगे चली जाती है क्योंकि दस्तक ही तो सबसे जरुरी होती है

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