Thursday, 17 November 2022

कविता. ४६२८. इशारों कि सौगात से।

                                        इशारों कि सौगात से। 

इशारों कि सौगात से कोशिश अक्सर सोच दिलाती है तरानों को अरमानों कि सुबह दास्तान सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से उमंग अक्सर खयाल दिलाती है अदाओं को नजारों कि पहचान पुकार सुनाती है दिशाओं को कदमों कि आहट बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से तलाश अक्सर आस दिलाती है लहरों को एहसासों कि रोशनी सपना सुनाती है आवाजों को राहों कि मुस्कान बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से लहर अक्सर कोशिश दिलाती है अंदाजों को जज्बातों कि मुस्कान परख सुनाती है उजालों को आशाओं कि सोच बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से समझ अक्सर इरादा दिलाती है नजारों को दिशाओं कि कहानी कोशिश सुनाती है लहरों को किनारों कि परख बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से उम्मीद अक्सर परख दिलाती है राहों को इरादों कि सुबह अफसाना सुनाती है अल्फाजों को जज्बातों कि आस बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से तलाश अक्सर खयाल दिलाती है अदाओं को किनारों कि सोच पुकार सुनाती है लम्हों को दास्तानों कि सुबह बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से सोच अक्सर रोशनी दिलाती है आवाजों को राहों कि तलाश आवाज सुनाती है एहसासों को अदाओं कि पुकार बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से अरमान अक्सर लहर दिलाती है खयालों को नजारों कि मुस्कान सरगम सुनाती है आशाओं को दिशाओं कि आस बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से उमंग अक्सर परख दिलाती है इरादों को दास्तानों कि रोशनी पहचान सुनाती है आवाजों को सपनों कि लहर बदलाव देती है।

इशारों कि सौगात से समझ अक्सर तराना दिलाती है खयालों को अंदाजों कि परख एहसास सुनाती है दास्तानों को उम्मीदों कि राह बदलाव देती है।

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