Wednesday, 9 November 2022

कविता. ४६२०. आशाओं को अदाओं कि।

                                      आशाओं को अदाओं कि।

आशाओं को अदाओं कि समझ सपना सुनाती है नजारों कि सोच अक्सर जज्बातों कि तलाश दिलाती है लम्हों को खयालों कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि सौगात तराना सुनाती है लहरों कि सुबह अक्सर दिशाओं कि समझ दिलाती है खयालों को उजालों कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि लहर मुस्कान सुनाती है इरादों कि आस अक्सर बदलावों कि सौगात दिलाती है जज्बातों को कदमों कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि पहचान आवाज सुनाती है दिशाओं कि समझ अक्सर अरमानों कि रोशनी दिलाती है आशाओं को जज्बातों कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि सरगम बदलाव सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर एहसासों कि सोच दिलाती है इरादों को अदाओं कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि सुबह दास्तान सुनाती है अदाओं कि परख अक्सर दास्तानों कि अदा दिलाती है अल्फाजों को उजालों कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि परख अरमान सुनाती है दिशाओं कि सौगात अक्सर इरादों कि कोशिश दिलाती है जज्बातों को लम्हों कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि राह तलाश सुनाती है आवाजों कि धून अक्सर अफसानों कि परख दिलाती खयालों को इशारों कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि रोशनी किनारा सुनाती है लहरों कि सुबह अक्सर तरानों कि सरगम दिलाती है कदमों को अदाओं कि पुकार देती है।

आशाओं को अदाओं कि कोशिश इशारा सुनाती है लम्हों कि आहट अक्सर अल्फाजों कि मुस्कान दिलाती है बदलावों को दिशाओं कि पुकार देती है।

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