Wednesday, 29 January 2025

कविता. ५४०२. किनारों संग कोशिश अक्सर।

                       किनारों संग कोशिश अक्सर।

किनारों संग कोशिश अक्सर अंदाजों की तलाश से एहसास देकर जाती है जज्बातों को आशाओं की पुकार सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर दिशाओं की उमंग से अफसाना देकर जाती है आवाजों को कदमों की आहट सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर खयालों की सोच से‌ पहचान देकर जाती है नजारों को राहों की अहमियत सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर इशारों की सुबह से अरमान देकर जाती है अदाओं को लहरों की आस सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर बदलावों की रोशनी से इशारा देकर जाती है अरमानों को लम्हों की धारा सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर दास्तानों की आस से उजाला देकर जाती है कदमों को अफसानों की उमंग सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर खयालों की लहर से सौगात देकर जाती है इशारों को अल्फाजों की उम्मीद सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर जज्बातों की पुकार से एहसास देकर जाती है आवाजों को धाराओं की धून सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर अरमानों की तलाश से जज्बात देकर जाती है इरादों को सपनों की आहट सुनाकर जाती है।

किनारों संग कोशिश अक्सर नजारों की समझ से तराना देकर जाती है एहसासों को अंदाजों की पुकार सुनाकर जाती है।

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