Wednesday, 8 January 2025

कविता ५३८१. खयाल को अरमानों की।

                             खयाल को अरमानों की।

खयाल को अरमानों की पुकार पहचान दिलाती है लम्हों को किनारों की आहट मुस्कान दिलाती है राहों को बदलावों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की समझ सरगम दिलाती है अदाओं को दिशाओं की सरगम सौगात दिलाती है तरानों को उम्मीदों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की उमंग आवाज दिलाती है लहरों को इशारों की कहानी अहमियत दिलाती है अंदाजों को बदलावों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की सुबह एहसास दिलाती है जज्बातों को कदमों की आहट आस दिलाती है नजारों को इरादों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की रोशनी आहट दिलाती है अल्फाजों को उजालों की सुबह सहारा दिलाती है अफसानों को तरानों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की उम्मीद कोशिश दिलाती है आवाजों को सपनों की सोच अफसाना दिलाती है इशारों को जज्बातों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की सोच अफसाना दिलाती है नजारों को दास्तानों की पुकार एहसास दिलाती है आशाओं को अदाओं की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की राह अल्फाज दिलाती है किनारों को जज्बातों की कहानी अहमियत दिलाती है आवाजों को इशारों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की परख सहारा दिलाती है सपनों को एहसासों की रोशनी बदलाव दिलाती है अफसानों को राहों की तलाश दिलाती है।

खयाल को अरमानों की आस इशारा दिलाती है दास्तानों को अदाओं की कोशिश उजाला दिलाती है अल्फाजों को धाराओं की तलाश दिलाती है।

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