Saturday, 18 July 2015

कविता ८०. रंगों के अंदर

                                                                  रंगों के अंदर
रंगों के अंदर कई मतलब छुपे होते है रंग के साथ हम हर बार दोस्ती रखते है रंग के बीच में कोई ना कोई असर होता है
रंग के अंदर नयी नयी उम्मीदे हर बार मन को छू जाती है रंग जीवन के अंदर कोई ना कोई असर हमेशा कर जाते  है
रंग तो वह सोच है जो मन को बताती है की हर बार नयी उम्मीद जिन्दगी में आती है जब जब रंग मन को भाते है पर जब रंगों के अंदर नयी सोच आती है
रंग तो तरह तरह की बातें अंदर रखते है रंग हमारे जीवन में अक्सर असर कर जाते है वही रंग जो हम चाहते है उन्हें हम अक्सर भूल भी जाते है
रंगों की इस दुनिया में बस रंगों को समजना है हर बार हम कोई ना कोई रंग हमेशा पाते है दुनिया में अक्सर हम रंगों को समज लेते है
पर अफ़सोस तो इस बात का है की हम उन रंगों को नयी जीते जिन्हे हम हर बार जीना चाहते है जब जब हम नहीं समजते है
उन रंगों को अक्सर हम मन में कतराते है रंग तरह तरह के मतलब हमें दे जाते है रंगों की तो यह दुनिया है पर फिर भी रंग अलग अलग नज़र आते है
उन रंगों में छुपे हुए से कई मतलब दुनिया में नज़र आते है चाहे कितना भी चाहे हम पर फिर भी नहीं लोगों को समजा पाते है
रंग कभी गलत नहीं होते लोग गलत होते है पर वह रंगों पर ही हर बार इल्जाम लगते है सच तो है रंग तो बस प्यारा तोहफा है
जब सबके लिए होता है पर फिर भी लोग हमेशा रंगों को किसी का बना देते है पर रंग तो आजाद होता है वह फिर से कभी ना कभी आजादी पा लेता है 

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