Wednesday, 11 January 2023

कविता. ४६८३. कदमों कि सोच से।

                                        कदमों कि सोच से।

कदमों कि सोच से इशारों कि आहट एहसास सुनाती है तरानों को अरमानों कि पुकार आस दिलाती है लम्हों को खयालों कि मुस्कान नजारा देती है।

कदमों कि सोच से दिशाओं कि समझ आवाज सुनाती है लम्हों को खयालों कि कोशिश तलाश दिलाती है आशाओं को राहों कि पहचान नजारा देती है।

कदमों कि सोच से लहरों कि सरगम अदा सुनाती है दास्तानों को दिशाओं कि कहानी अफसाना दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि परख नजारा देती है।

कदमों कि सोच से अदाओं कि कोशिश तलाश सुनाती है आवाजों को राहों कि समझ सरगम दिलाती है खयालों को इशारों कि सौगात नजारा देती है।

कदमों कि सोच से दास्तानों कि परख पहचान सुनाती है लम्हों को अफसानों कि सौगात अंदाज दिलाती है तरानों को उजालों कि समझ नजारा देती है।

कदमों कि सोच से एहसासों कि सुबह दास्तान सुनाती है अंदाजों को जज्बातों कि सोच राह दिलाती है अरमानों को दिशाओं कि कहानी नजारा देती है।

कदमों कि सोच से अरमानों कि पुकार किनारा सुनाती है आवाजों को राहों कि समझ कहानी दिलाती है लहरों को जज्बातों कि आस नजारा देती है।

कदमों कि सोच से किनारों कि मुस्कान अल्फाज सुनाती है उजालों को बदलावों कि सोच खयाल दिलाती है लम्हों को दास्तानों कि कहानी नजारा देती है।

कदमों कि सोच से खयालों कि रोशनी लहर सुनाती है इशारों को दिशाओं कि कोशिश अरमान दिलाती है तरानों को उजालों कि बदलाव नजारा देती है।

कदमों कि सोच से आवाजों कि धून पहचान सुनाती है अरमानों को अदाओं कि परख अहमियत दिलाती है उम्मीदों को किनारों कि सुबह नजारा देती है।

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