Wednesday, 18 January 2023

कविता. ४६९०. किनारों को अल्फाजों कि।

                                किनारों को अल्फाजों कि।

किनारों को अल्फाजों कि परख रोशनी दिलाती है लम्हों कि तलाश अफसाना सुनाती है जज्बातों से जुड़कर राहों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि आवाज आस दिलाती है नजारों कि पहचान अरमान सुनाती है उजालों से जुड़कर उम्मीदों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि कोशिश तराना दिलाती है लहरों कि सुबह दास्तान सुनाती है उम्मीदों से जुड़कर आशाओं कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि आहट खयाल दिलाती है कदमों कि सोच बदलाव सुनाती है लम्हों से जुड़कर तरानों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि सुबह दास्तान दिलाती है अरमानों कि पुकार पहचान सुनाती है अंदाजों से जुड़कर बदलावों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि राह कोशिश दिलाती है अंदाजों कि आस खयाल सुनाती है आवाजों से जुड़कर उजालों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि सौगात आस दिलाती है कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है आशाओं से जुड़कर खयालों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि समझ सरगम दिलाती है जज्बातों कि राह खयाल सुनाती है लहरों से जुड़कर आवाजों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि रोशनी परख दिलाती है लम्हों कि पुकार अरमान सुनाती है दिशाओं से जुड़कर दास्तानों कि मुस्कान दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों कि आस बदलाव दिलाती है लहरों कि सरगम सुबह सुनाती है दास्तानों से जुड़कर एहसासों कि मुस्कान दिलाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...