Tuesday, 10 December 2024

कविता. ५३५२. एक खयाल किसी इशारे संग।

                         एक खयाल किसी इशारे संग।

एक खयाल किसी इशारे संग आशाओं की धून अरमान जगाती है इरादों को उम्मीदों की कहानी कोशिश दिलाती है लम्हों को तरानों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग आवाजों की उमंग अल्फाज जगाती है उजालों को सपनों की आस एहसास दिलाती है जज्बातों को कदमों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग किनारों की सोच मुस्कान जगाती है अफसानों को आशाओं की रोशनी तलाश दिलाती है सपनों को अरमानों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग दास्तानों की सुबह उमंग जगाती है लहरों को नजारों की सुबह पहचान दिलाती है अल्फाजों को अंदाजों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग कदमों की आस अफसाना जगाती है बदलावों को दिशाओं की आस नजारा दिलाती है राहों को सपनों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग अंदाजों की आवाज इरादा जगाती है किनारों को लहरों की सुबह सरगम दिलाती है दिशाओं को उजालों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग लम्हों की पहचान तलाश जगाती है दास्तानों को आवाजों की अहमियत उम्मीद दिलाती है नजारों को आशाओं की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग एहसासों की राह अंदाज जगाती है जज्बातों को इरादों की सोच ‌किनारा दिलाती है अरमानों को नजारों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग उजालों की अदा अहमियत दिलाती है आशाओं को बदलावों की सौगात तलाश दिलाती है अदाओं को किनारों की पुकार सुनाती है।

एक खयाल किसी इशारे संग अरमानों की कहानी सरगम दिलाती है नजारों को खयालों की मुस्कान अफसाना दिलाती है कदमों को अदाओं की पुकार सुनाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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