Monday, 30 December 2024

कविता. ५३७२. सपनों को किनारों संग।

                             सपनों को किनारों संग।

सपनों को किनारों संग मुस्कान उमंग दिलाती है उजालों से आवाजों की धून एहसास दिलाती है लहरों को इशारों की सोच अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग पुकार सहारा दिलाती है कदमों से इशारों की समझ सरगम दिलाती है नजारों को दिशाओं की कहानी अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग परख सौगात दिलाती है राहों से आशाओं की पहचान अरमान दिलाती है तरानों को अदाओं की रोशनी अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग आहट कोशिश दिलाती है दास्तानों से अंदाजों की उम्मीद आहट दिलाती है राहों को आवाजों की धून अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग आस जज्बात दिलाती है नजारों से बदलावों की सोच अफसाना दिलाती है लम्हों को दास्तानों की सौगात अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग उम्मीद सुबह दिलाती है अरमानों से जज्बातों की कहानी तलाश दिलाती है किनारों को अंदाजों की परख अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग सोच आवाज दिलाती है उम्मीदों से अदाओं की पुकार अहमियत दिलाती है बदलावों को इरादों की कोशिश अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग सरगम तलाश दिलाती है अंदाजों से अरमानों की आहट लम्हा दिलाती है खयालों को कदमों की पुकार अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग रोशनी पहचान दिलाती है इशारों से नजारों की धून सौगात दिलाती है उजालों को राहों की सुबह अल्फाज सुनाती है।

सपनों को किनारों संग समझ खयाल दिलाती है लहरों से अंदाजों की समझ पहचान दिलाती है तरानों को अफसानों की सौगात अल्फाज सुनाती है।

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