Sunday, 2 February 2025

कविता. ५४०६. उम्मीद कोई एहसास संग।

                          उम्मीद कोई एहसास संग।

उम्मीद कोई एहसास संग आशाओं की मुस्कान देकर जाती है जज्बातों को बदलावों की तलाश अफसाना सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग आवाजों की पुकार देकर जाती है कदमों को अरमानों की सरगम अहमियत सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग सपनों की कोशिश देकर जाती है किनारों को अंदाजों की पहचान इशारा सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग किनारों की अदा देकर जाती है खयालों को राहों की सौगात मुस्कान सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग दास्तानों की सरगम देकर जाती है उजालों को आवाजों की आहट एहसास सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग तरानों की सुबह देकर जाती है अफसानों को दिशाओं की अहमियत अंदाज सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग खयालों की रोशनी देकर जाती है इशारों को तरानों की पहचान कोशिश सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग नजारों की समझ देकर जाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया बदलाव सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग सपनों की आहट देकर जाती है लहरों को अरमानों की आस खयाल‌ सुनाती है।

उम्मीद कोई एहसास संग दिशाओं की परख देकर जाती है धाराओं को अंदाजों की आवाज सौगात सुनाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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