Friday, 28 February 2025

कविता. ५४३२. इशारों को उजालों की।

                            इशारों को उजालों की।

इशारों को उजालों की रोशनी तराना देती है कदमों को अल्फाजों की दुनिया अफसाना देकर जाती है सपनों को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की कोशिश नजारा देती है लहरों को खयालों की सरगम दास्तान देकर जाती है अरमानों को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की आहट मुस्कान देती है लम्हों को किनारों की सोच अहमियत देकर जाती है जज्बातों को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की तलाश सरगम देती है एहसासों को दिशाओं की आहट अल्फाज देकर जाती है आशाओं को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की अंदाज सौगात देती है आवाजों को धाराओं की उमंग मुस्कान देकर जाती है नजारों को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की सुबह अरमान देती है दास्तानों को लहरों की कोशिश एहसास देकर जाती है अंदाजों को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की समझ सपना देती है उम्मीदों को अदाओं की दुनिया पहचान देकर जाती है किनारों को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की सोच खयाल देती है इरादों को बदलावों की पुकार आवाज देकर जाती है लम्हों को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की परख दास्तान देती है तरानों को अरमानों की सोच जज्बात देकर जाती है आशाओं को आस नयी सुनाती है।

इशारों को उजालों की पहचान तलाश देती है किनारों को उम्मीदों की आहट अफसाना देकर जाती है राहों को आस नयी सुनाती है।

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