Tuesday, 5 November 2024

कविता. ५३१७. इशारों को लम्हों की।

                                इशारों को लम्हों की।

इशारों को लम्हों की आहट एहसास दिलाती है सपनों को अरमानों की कोशिश पहचान दिलाती है उजालों को आवाजों की धून सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की कहानी सहारा दिलाती है लम्हों को खयालों की समझ परख दिलाती है किनारों को अल्फाजों की आस सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की कोशिश पहचान दिलाती है नजारों को दिशाओं की सौगात तलाश दिलाती है लहरों को जज्बातों की उमंग सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की पुकार अफसाना दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान रोशनी दिलाती है उम्मीदों को कदमों की कहानी सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की सुबह अरमान दिलाती है दिशाओं को राहों की कहानी अहमियत दिलाती है अफसानों को किनारों की पुकार सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की आस नजारा दिलाती है बदलावों को राहों की उमंग सोच दिलाती है जज्बातों को आशाओं की मुस्कान सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की उम्मीद तराना दिलाती है दास्तानों  को एहसासों की आहट सपना दिलाती है खयालों को राहों की सोच सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की परख अंदाज दिलाती है तरानों को आवाजों की धून कोशिश दिलाती है धाराओं को अरमानों की सुबह सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की आवाज पुकार दिलाती है कदमों को अंदाजों की लहर दास्तान दिलाती है एहसासों को अदाओं की पहचान सरगम दिलाती है।

इशारों को लम्हों की उमंग बदलाव दिलाती है उम्मीदों को किनारों की सौगात आवाज दिलाती है अंदाजों को लहरों की आस सरगम दिलाती है।

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