Wednesday, 6 November 2024

कविता. ५३१८. लम्हा अक्सर एहसासों संग।

                         लम्हा अक्सर एहसासों संग।

लम्हा अक्सर एहसासों संग आशाओं की लहर दिखाता है जज्बातों को कदमों की तलाश देकर जाता है उम्मीदों को अरमानों की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग खयालों की मुस्कान दिखाता है किनारों को सपनों की सुबह देकर जाता है उजालों को सपनों की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग उजालों की सुबह दिखाता है इशारों को दास्तानों की परख देकर जाता है खयालों को दिशाओं की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग उम्मीदों की उमंग दिखाता है राहों को अंदाजों की मुस्कान देकर जाता है आशाओं को बदलावों की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग अरमानों की कोशिश दिखाता है नजारों को दिशाओं की कहानी देकर जाता है अल्फाजों को सपनों की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग आवाजों की धून दिखाता है लहरों को खयालों की सोच देकर जाता है इशारों को अदाओं की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग अफसानों की उमंग दिखाता है राहों को अरमानों की आहट देकर जाता है जज्बातों को कदमों की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग तरानों की रोशनी दिखाता है आशाओं को जज्बातों की कहानी देकर जाता है तरानों को अल्फाजों की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग अंदाजों की आस दिखाता है जज्बातों को किनारों की आहट देकर जाता है इशारों को नजारों की पुकार सुनाता है।

लम्हा अक्सर एहसासों संग बदलावों की समझ दिखाता है अंदाजों को बदलावों की सौगात देकर जाता है तरानों को उम्मीदों की पुकार सुनाता है।


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