Monday, 10 March 2025

कविता. ५४४२. इशारों को जज्बातों की।

                            इशारों को जज्बातों की।

इशारों को जज्बातों की रोशनी पहचान दिलाती है तरानों को बदलावों की आहट सरगम दिलाती है कदमों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की आवाज उम्मीद दिलाती है किनारों को अरमानों की कोशिश मुस्कान दिलाती है लम्हों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की उमंग अरमान दिलाती है लहरों को खयालों की पुकार एहसास दिलाती है इरादों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की राह अफसाना दिलाती है आशाओं को अंदाजों की पहचान तलाश दिलाती है नजारों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की कोशिश सुबह दिलाती है अल्फाजों को उजालों की सोच एहसास दिलाती है दिशाओं की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की आस लहर दिलाती है आवाजों को धाराओं की समझ अहमियत दिलाती है उम्मीदों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की अदा पुकार दिलाती है कदमों को अफसानों की आस दास्तान दिलाती है राहों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की अहमियत तराना दिलाती है सपनों को आशाओं की महफिल उमंग दिलाती है नजारों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की परख आवाज दिलाती है दास्तानों को नजारों की अदा उजाला दिलाती है किनारों की सौगात दिलाती है।

इशारों को जज्बातों की उमंग उजाला दिलाती है एहसासों को राहों की पहचान तराना दिलाती है आवाजों की सौगात दिलाती है।

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