Wednesday, 5 March 2025

कविता. ५४३७. लम्हों को एहसासों की।

                             लम्हों को एहसासों की।

लम्हों को एहसासों की पुकार उजाला दिलाती है तरानों को बदलावों की समझ किनारा देकर जाती है आवाजों की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की उमंग अफसाना दिलाती है लहरों को खयालों की सरगम सपना देकर जाती है अंदाजों की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की कोशिश उम्मीद दिलाती है नजारों को इशारों की आहट अफसाना देकर जाती है राहों की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की अहमियत अल्फाज दिलाती है जज्बातों को धाराओं की सोच बदलाव देकर जाती है अदाओं की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की आस कोशिश दिलाती है राहों को दास्तानों की समझ अरमान देकर जाती है नजारों की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की रोशनी अदा दिलाती है इरादों को कदमों की सौगात पुकार देकर जाती है दिशाओं की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की मुस्कान परख दिलाती है खयालों को सपनों की आहट इशारा देकर जाती है आशाओं की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की दास्तान अल्फाज दिलाती है अफसानों को तरानों की सोच पहचान देकर जाती है जज्बातों की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की आस उजाला दिलाती है किनारों को कदमों की सौगात तलाश देकर जाती है अंदाजों की धून सुनाती है।

लम्हों को एहसासों की कोशिश सपना दिलाती है जज्बातों को बदलावों की पुकार रोशनी देकर जाती है आवाजों की धून सुनाती है।

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