Monday, 24 March 2025

कविता. ५४५६. एक मुस्कान संग।

                               एक मुस्कान संग।

एक मुस्कान संग एहसासों की आस तलाश देकर जाती है जज्बातों को लहरों की पुकार सरगम की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग दास्तानों की समझ उम्मीद देकर जाती है उजालों को सपनों की आवाज उमंग की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग नजारों की कोशिश खयाल देकर जाती है इरादों को बदलावों की रोशनी तराने की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग आशाओं की सौगात आवाज देकर जाती है कदमों को अल्फाजों की दुनिया आस की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग अंदाजों की पहचान इरादा देकर जाती है जज्बातों को इशारों की आहट लम्हों की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग अरमानों की सोच बदलाव देकर जाती है अंदाजों को आशाओं की अहमियत दास्तानों की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग दिशाओं की कोशिश सहारा देकर जाती है अरमानों को कदमों की सौगात किनारों की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग कदमों की सरगम सपना देकर‌ जाती है एहसासों को किनारों की सुबह तरानों की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग अफसानों की सोच उम्मीद देकर जाती है अदाओं को लम्हों की अहमियत खयालों की धाराएं देकर जाती है।

एक मुस्कान संग अल्फाजों की उम्मीद तराना देकर जाती है दिशाओं को नजारों की सुबह अरमानों की धाराएं देकर जाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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