Tuesday, 11 March 2025

कविता. ५४४३. उजालों से सोच अक्सर।

                           उजालों से सोच अक्सर।

उजालों से सोच अक्सर अफसाना सुनाती है राहों को दास्तानों की अहमियत सरगम सुनाती है सपनों को अंदाजों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर बदलाव सुनाती है किनारों को कदमों की समझ जज्बात सुनाती है तरानों को इशारों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर दास्तान सुनाती है खयालों को नजारों की सोच अरमान सुनाती है एहसासों को कदमों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर लहर सुनाती है किनारों को आशाओं की कोशिश इशारा सुनाती है अदाओं को अफसानों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर आवाज सुनाती है लम्हों को खयालों की सुबह तलाश सुनाती है‌ उम्मीदों को अरमानों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर अंदाज सुनाती है इरादों को जज्बातों की पुकार पहचान सुनाती है नजारों को दिशाओं की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर अल्फाज सुनाती है दास्तानों की रोशनी बदलाव सुनाती है इशारों को जज्बातों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर मुस्कान सुनाती है आशाओं की महफिल सरगम सुनाती है अंदाजों को इरादों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर आवाज सुनाती है तरानों की पहचान दास्तान सुनाती है लहरों को किनारों की आस सुनाती है।

उजालों से सोच अक्सर बदलाव सुनाती है एहसासों की पुकार खयाल सुनाती है लम्हों को अल्फाजों की आस सुनाती है।


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