Wednesday 29 May 2024

कविता. ५१८८. सपनों की सुबह संग।

                                सपनों की सुबह संग।

सपनों की सुबह संग तलाश पहचान देकर जाती है उजालों को आशाओं की आस सरगम सुनाती है नजारों संग खयालों की मुस्कान अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग आस परख देकर जाती है जज्बातों को कदमों की आहट सौगात सुनाती है एहसासों संग उम्मीदों की कहानी अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग लहर कोशिश देकर जाती है अंदाजों को बदलावों की आस अल्फाज सुनाती है अफसानों संग दिशाओं की सोच अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग समझ रोशनी देकर जाती है आशाओं को एहसासों की पुकार आवाज सुनाती है तरानों संग जज्बातों की कोशिश अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग उमंग दास्तान देकर जाती है किनारों को अल्फाजों की मुस्कान अफसाना सुनाती है राहों संग आवाजों की धून अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग पुकार आहट देकर जाती है एहसासों को अदाओं की सोच बदलाव सुनाती है किनारों संग लहरों की सरगम अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग आवाज नजारा देकर जाती है दिशाओं को राहों की समझ पहचान सुनाती है आशाओं संग उजालों की पुकार अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग सौगात इशारा देकर जाती है उम्मीदों को कदमों की उम्मीद मुस्कान सुनाती है एहसासों संग लहरों की कोशिश अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग सरगम लम्हा देकर जाती है इशारों को दास्तानों की सौगात इरादा सुनाती है नजारों संग अंदाजों की परख अरमान जगाती है।

सपनों की सुबह संग समझ अफसाना देकर जाती है कदमों को किनारों की अहमियत दास्तान सुनाती है अल्फाजों संग राहों की आस अरमान जगाती है।


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