Tuesday, 1 April 2025

कविता. ५४६४. एक सुबह की रोशनी।

                        एक सुबह की रोशनी।

एक सुबह की रोशनी संग किनारों से अल्फाजों की उमंग सहारा दिलाती है खयालों संग आशाओं की महफिल आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग एहसासों से अंदाजों की पुकार इशारा दिलाती है लहरों संग कदमों की मुस्कान आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग‌ उम्मीदों से किनारों की समझ उजाला दिलाती है लम्हों संग अफसानो की आहट आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग अरमानों से नजारों की सोच अफसाना दिलाती है दास्तानों संग उम्मीदों की सौगात आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग बदलावों से इशारों की तलाश कोशिश दिलाती है राहों संग उजालों की सरगम आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग कदमों से खयालों की आहट तराना दिलाती है आशाओं संग जज्बातों की पहचान आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग दिशाओं से उम्मीदों की सौगात तलाश दिलाती है अदाओं संग इरादों की आस आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग लहरों से उजालों की आहट खयाल‌ दिलाती है इशारों संग एहसासों की सोच आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग लम्हों से राहों की कोशिश उमंग दिलाती है खयालों संग कोशिश की अहमियत आवाज दिलाती है।

एक सुबह की रोशनी संग उजालों से अंदाजों की पुकार इरादा दिलाती है कदमों संग सपनों की आस आवाज दिलाती है।


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