Tuesday, 22 April 2025

कविता. ५४८५. आवाजों की धून संग।

                         आवाजों की धून संग।

आवाजों की धून संग एहसास दिलाती है कदमों को लहरों की पुकार अफसाना दिलाती है एहसासों की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग कोशिश दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया परख दिलाती है खयालों की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग नजारा दिलाती है किनारों को अंदाजों की आस बदलाव दिलाती है अफसानों की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग मुस्कान दिलाती है इरादों को उम्मीदों की सौगात तलाश दिलाती है दिशाओं की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग अंदाज दिलाती है उजालों को कदमों की सुबह अरमान दिलाती है तरानों की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग उजाला दिलाती है खयालों को नजारों की पहचान सहारा दिलाती है एहसासों की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग जज्बात दिलाती है अल्फाजों को बदलावों की सोच सौगात दिलाती है किनारों की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग सरगम दिलाती है इशारों को सपनों की पुकार अरमान दिलाती है लहरों की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग सुबह दिलाती है उम्मीदों को किनारों की अहमियत मुस्कान दिलाती है आशाओं की राह दिलाती है।

आवाजों की धून संग सोच दिलाती है अफसानों को इशारों की तलाश आहट दिलाती है कदमों की राह दिलाती है।

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कविता. ५५५४. आशाओं की सरगम संग।

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