Tuesday, 29 April 2025

कविता. ५४९२. राहों को अरमानों की।

                           ‌राहों को अरमानों की।

राहों को अरमानों की सोच खयाल सुनाती है आशाओं की महफिल अक्सर अल्फाज दिलाती है अंदाजों को सपनों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की उमंग तराना सुनाती है इशारों की पहचान अक्सर उजाला दिलाती है लहरों को किनारों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की आस आहट सुनाती है कदमों की कोशिश अक्सर जज्बात दिलाती है दिशाओं को आशाओं की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की कोशिश सौगात सुनाती है दास्तानों की समझ अक्सर बदलाव दिलाती है तरानों को इरादों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की सुबह अफसाना सुनाती है एहसासों की आहट अक्सर तलाश दिलाती है लम्हों को नजारों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की पहचान अंदाज सुनाती है लहरों की कहानी अक्सर आवाज दिलाती है कदमों को जज्बातों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की आवाज मुस्कान सुनाती है अदाओं की धून अक्सर दास्तान दिलाती है आवाजों को कदमों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की रोशनी सरगम सुनाती है उजालों की रोशनी अक्सर लहर दिलाती है उम्मीदों को खयालों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की उम्मीद एहसास सुनाती है बदलावों की परख अक्सर आस दिलाती है दास्तानों को नजारों की पुकार दिलाती है।

राहों को अरमानों की महफिल लहर सुनाती है इशारों की अहमियत अक्सर अंदाज दिलाती है किनारों को उम्मीदों की पुकार दिलाती है।


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