Wednesday, 23 April 2025

कविता. ५४८६. राहों को बदलावों की।

                             राहों को बदलावों की।

राहों को बदलावों की पुकार मुस्कान दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की समझ कोशिश सुनाती है उजालों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की रोशनी तलाश दिलाती है जज्बातों को अरमानों की सोच खयाल सुनाती है तरानों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की लहर उम्मीद दिलाती है कदमों को नजारों की आहट एहसास सुनाती है सपनों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की सरगम पहचान दिलाती है दास्तानों को लहरों की आस अरमान सुनाती है जज्बातों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की कहानी कोशिश दिलाती है इशारों को उम्मीदों की आहट पहचान सुनाती है दिशाओं की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की समझ एहसास दिलाती है किनारों को अंदाजों की उमंग तराना सुनाती है खयालों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की सोच इशारा दिलाती है उम्मीदों को आशाओं की महफिल पुकार सुनाती है अफसानों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की उम्मीद तलाश दिलाती है दिशाओं को लम्हों की सौगात अल्फाज सुनाती है इरादों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की आवाज सोच दिलाती है उम्मीदों को अल्फाजों की दुनिया अहमियत सुनाती है किनारों की सुबह दिलाती है।

राहों को बदलावों की आस अफसाना दिलाती है अरमानों को नजारों की पुकार कोशिश सुनाती है लम्हों की सुबह दिलाती है।


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