Sunday, 27 April 2025

कविता. ५४९०. किनारों की आवाज संग।

                           किनारों की आवाज संग।

किनारों की आवाज संग मुस्कान इशारा दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया सरगम सुनाती है तरानों की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग उम्मीद खयाल‌ दिलाती है उजालों को सपनों की पुकार पहचान सुनाती है अंदाजों की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग सुबह अफसाना दिलाती है नजारों को दिशाओं की कोशिश बदलाव सुनाती है आशाओं की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग सरगम सोच दिलाती है कदमों को अरमानों की तलाश दास्तान सुनाती है अदाओं की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग समझ तराना दिलाती है अंदाजों को अफसानों की सोच कहानी सुनाती है इरादों की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग उमंग कोशिश दिलाती है बदलावों को धाराओं की आस अरमान सुनाती है एहसासों की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग रोशनी सपना दिलाती है अफसानों को इरादों की सुबह लम्हा सुनाती है जज्बातों की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग तलाश मुस्कान दिलाती है नजारों को लहरों की पुकार अहमियत सुनाती है उजालों की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग अदा आस दिलाती है राहों को दास्तानों की पहचान अफसाना सुनाती है दिशाओं की आहट देकर जाती है।

किनारों की आवाज संग पुकार लहर‌ दिलाती है इशारों को उम्मीदों की सौगात खयाल सुनाती है अरमानों की  आहट देकर जाती है।

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कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...