Tuesday 16 July 2024

कविता. ५२३५. सरगम कोई एहसास संग।

                           सरगम कोई एहसास संग।

सरगम कोई एहसास संग आवाज सुनाकर जाती है जज्बातों को कदमों की समझ सहारा दिलाती है लहरों को इशारों की कहानी अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग बदलाव सुनाकर जाती है दास्तानों को अदाओं की लहर मुस्कान दिलाती है लम्हों को खयालों की आहट अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग उमंग सुनाकर जाती है आवाजों को आशाओं की कहानी सौगात दिलाती है किनारों को सपनों की रोशनी अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग उम्मीद सुनाकर जाती है कदमों को अंदाजों की परख बदलाव दिलाती है अल्फाजों को नजारों की सुबह अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग दास्तान सुनाकर जाती है राहों को सपनों की आस अहमियत दिलाती है दिशाओं को उजालों की मुस्कान अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग तलाश सुनाकर जाती है अरमानों को राहों की आहट तराना दिलाती है नजारों को आशाओं की कोशिश अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग लहर सुनाकर जाती है तरानों को उम्मीदों की पहचान सुबह दिलाती है बदलावों को कदमों की आस अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग कोशिश सुनाकर जाती है खयालों को नजारों की सोच आहट दिलाती है उम्मीदों को किनारों की पुकार अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग सौगात सुनाकर जाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान लहर दिलाती है अल्फाजों को लहरों की समझ अफसाना दिलाती है।

सरगम कोई एहसास संग आस सुनाकर जाती है किनारों को अल्फाजों की पुकार सहारा दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं की सोच अफसाना दिलाती है।

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