Sunday 21 July 2024

कविता. ५२४०. कदमों की पुकार अक्सर।

                            कदमों की पुकार अक्सर।

कदमों की पुकार अक्सर सपनों को इशारा देती है जज्बातों को अंदाजों की कोशिश सहारा देती है नजारों को दिशाओं की पहचान तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर अरमानों को उमंग देती है किनारों को अल्फाजों की समझ खयाल देती है उजालों को बदलावों की मुस्कान तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर आशाओं को रोशनी देती है आवाजों को बदलावों की आहट देती है सपनों को एहसासों की सोच तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर दास्तानों को आस देती है खयालों को इशारों की कहानी तलाश देती है लहरों को अफसानों की समझ तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर तरानों को पहचान देती है लहरों को आवाजों की अदा अहमियत देती है राहों को अरमानों की परख तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर अफसानों को नजारा देती है दास्तानों को लहरों की सुबह सपना देती है इरादों को अंदाजों की सोच तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर दिशाओं को मुस्कान देती है उम्मीदों को किनारों की सोच सरगम देती है अल्फाजों को आशाओं की उमंग तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर लम्हों को अंदाज देती है अरमानों को सपनों की आहट पहचान देती है उम्मीदों को दास्तानों की सरगम तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर आवाजों को समझ देती है एहसासों को जज्बातों की मुस्कान कोशिश देती है लम्हों को खयालों की सुबह तराना देती है।

कदमों की पुकार अक्सर उम्मीदों को सौगात देती है राहों को दिशाओं की कहानी सरगम देती है बदलावों को अफसानों की सौगात तराना देती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५२७१. किनारों की आहट अक्सर।

                              किनारों की आहट अक्सर। किनारों की आहट अक्सर अरमानों संग पुकार दिलाती है लहरों को इशारों से आवाजों की धून एहसास ...