Wednesday 3 July 2024

कविता. ५२२२. आवाज किसी लहर संग।

                            आवाज किसी लहर संग।

आवाज किसी लहर संग आशाओं की तलाश दिलाती है जज्बातों को कदमों की पहचान संग उमंग दिलाती है लम्हों को खयालों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग अंदाजों की परख दिलाती है उजालों को बदलावों की मुस्कान संग कोशिश दिलाती है इशारों को अरमानों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग नजारों की कहानी दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं की पुकार संग सौगात दिलाती है एहसासों को किनारों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग अरमानों की मुस्कान दिलाती है राहों को सपनों की सुबह संग खयाल दिलाती है उजालों को एहसासों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग अल्फाजों की उम्मीद दिलाती है खयालों को अंदाजों की परख संग सोच दिलाती है लहरों को नजारों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग सपनों की आस दिलाती है अरमानों को दास्तानों की कोशिश संग मुस्कान दिलाती है तरानों को जज्बातों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग दिशाओं की रोशनी दिलाती है नजारों को लम्हों की सरगम संग खयाल दिलाती है अफसानों को आशाओं की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग दास्तानों की सोच दिलाती है इरादों को उम्मीदों की कहानी संग सुबह दिलाती है जज्बातों को एहसासों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग अल्फाजों की कोशिश दिलाती है राहों को अरमानों की अदा संग तलाश दिलाती है अंदाजों को उजालों की समझ सुनाती है।

आवाज किसी लहर संग एहसासों की आहट दिलाती है खयालों को इशारों की सोच संग बदलाव दिलाती है किनारों को सपनों की समझ सुनाती है।

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