Sunday, 20 July 2025

कविता. ५५७४. किनारों की मुस्कान संग।

                          किनारों की मुस्कान संग।

किनारों की मुस्कान संग अदाओं की लहर पुकार दिलाती है उजालों को सपनों की आहट अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग दिशाओं की महफिल आवाज दिलाती है उम्मीदों को खयालों की सरगम अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग आशाओं की उमंग खयाल दिलाती है कदमों को अल्फाजों की सौगात अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग तरानों की सोच अंदाज दिलाती है अदाओं को एहसासों की उम्मीद अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग इशारों की आहट बदलाव दिलाती है लम्हों को नजारों की महफिल अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग राहों की रोशनी कोशिश दिलाती है बदलावों को आवाजों की धून अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग उजालों की कहानी तलाश दिलाती है इरादों को लहरों की पुकार अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग लम्हों की सौगात सपना दिलाती है जज्बातों को उम्मीदों की समझ अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग अफसानों की सुबह कोशिश दिलाती है खयालों को एहसासों की धून अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

किनारों की मुस्कान संग उम्मीदों की आस अफसाना दिलाती है धाराओं को अंदाजों की सोच अक्सर अरमान देकर आगे जाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...