Friday, 11 July 2025

कविता. ५५६५. किनारों की पहचान अक्सर।

                          किनारों की पहचान अक्सर।

किनारों की पहचान अक्सर आशाओं की सरगम सुनाती है तरानों की आहट संग अफसानों की सोच सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर अंदाजों की मुस्कान सुनाती है खयालों की सरगम संग आवाजों की धून सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर दिशाओं की अहमियत सुनाती है अदाओं की कोशिश संग लहरों की कहानी सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर नजारों की उमंग सुनाती है जज्बातों की रोशनी संग एहसासों की रोशनी सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर उजालों की तलाश सुनाती है इशारों की पुकार संग कदमों की आस सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर अल्फाजों की राह सुनाती है अफसानों की सोच संग उम्मीदों की पुकार‌ सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर अदाओं की कोशिश सुनाती है बदलावों की सुबह संग आशाओं की सरगम सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर लम्हों की अहमियत सुनाती है उम्मीदों की सौगात संग अरमानों की कोशिश सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर बदलावों की समझ सुनाती है इशारों की समझ संग अल्फाजों की दुनिया सपना दिलाती है।

किनारों की पहचान अक्सर लहरों की कहानी सुनाती है दिशाओं की तलाश संग जज्बातों की आस सपना दिलाती है।

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