Wednesday, 9 July 2025

कविता. ५५६३. नजारों की पुकार संग।

                           नजारों की पुकार संग।

नजारों की पुकार संग आवाज अरमान जगाती है अफसानों को एहसासों की समझ इशारा दिलाती है उजालों की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग पहचान तराना जगाती है खयालों को उम्मीदों की अहमियत उमंग दिलाती है अदाओं की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग आस अफसाना जगाती है अंदाजों को बदलावों की लहर आवाज दिलाती है राहों की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग तलाश कोशिश जगाती है दिशाओं को कदमों की सौगात अल्फाज दिलाती है आशाओं की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग सरगम अहमियत जगाती है लहरों को अरमानों की परख उजाला दिलाती है एहसासों की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग उम्मीद सपना जगाती है इशारों को उजालों की पहचान तलाश दिलाती है अल्फाजों की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग सुबह बदलाव जगाती है अंदाजों को खयालों की राह इशारा दिलाती है तरानों की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग तलाश इरादा जगाती है उम्मीदों को अल्फाजों की दुनिया कोशिश दिलाती है आशाओं की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग समझ आवाज जगाती है कदमों को दिशाओं की महफिल उमंग दिलाती है अंदाजों की सोच सुनाती है।

नजारों की पुकार संग सोच अंदाज जगाती है किनारों को अरमानों की लहर दास्तान दिलाती है खयालों की सोच सुनाती है।

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कविता. ५६०८. अरमानों के एहसासों की।

                       अरमानों के एहसासों की। अरमानों के एहसासों की पुकार इरादा देकर जाती है खयालों को सपनों की कोशिश तलाश दिलाती है उजालों ...