Tuesday, 1 July 2025

कविता. ५५५५. किनारों की मुस्कान अक्सर।

                         किनारों की मुस्कान अक्सर।

किनारों की मुस्कान अक्सर उजालों की सुबह दिलाती है उम्मीदों को तरानों की सरगम इशारा दिलाती है सपनों की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर जज्बातों की आस दिलाती है अरमानों को लम्हों की अहमियत राह दिलाती है एहसासों की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर दिशाओं की कोशिश दिलाती है अंदाजों को नजारों की सौगात तलाश दिलाती है इरादों की आहट देकर जाती है‌।

किनारों की मुस्कान अक्सर अरमानों की उमंग दिलाती है धाराओं को जज्बातों की रोशनी तराना दिलाती है आशाओं की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर लहरों की कहानी दिलाती है अफसानों को दास्तानों की आवाज बदलाव दिलाती है अदाओं की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर अंदाजों की सोच दिलाती है खयालों को आवाजों की धून सौगात दिलाती है लम्हों की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर कदमों की पुकार दिलाती है इरादों को दिशाओं की महफिल कोशिश दिलाती है खयालों की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर राहों की आस दिलाती है बदलावों को अंदाजों की रोशनी लहर दिलाती है अल्फाजों की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर नजारों की परख दिलाती है उजालों को आशाओं की सुबह सपना दिलाती है तरानों की आहट देकर जाती है।

किनारों की मुस्कान अक्सर आशाओं की समझ दिलाती है एहसासों को अदाओं की उमंग कोशिश दिलाती है राहों की आहट देकर जाती है।

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