Tuesday, 8 July 2025

कविता. ५५६२. अफसानों की मुस्कान संग।

                          अफसानों की मुस्कान संग‌।

अफसानों की मुस्कान संग सपनों की लहर सरगम सुनाती है एहसासों की सोच अक्सर आशाओं की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग नजारों की आस सौगात सुनाती है अंदाजों की पहचान अक्सर दास्तानों की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग आवाजों की धून खयाल सुनाती है जज्बातों की समझ अक्सर उजालों की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग बदलावों की पुकार उमंग सुनाती है तरानों की लहर अक्सर इशारों की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग कदमों की पहचान कहानी सुनाती है इरादों की सुबह अक्सर उम्मीदों की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग अंदाजों की आहट एहसास सुनाती है अरमानों की समझ अक्सर किनारों की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग अदाओं की सोच किनारा सुनाती है बदलावों की आस अक्सर आवाजों की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग आशाओं की महफिल इशारा सुनाती है कदमों की सोच अक्सर इरादों की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग किनारों की सुबह आवाज सुनाती है दास्तानों की सौगात अक्सर अदाओं की कोशिश सुनाती है।

अफसानों की मुस्कान संग जज्बातों की उमंग लहर सुनाती है अंदाजों की परख‌ अक्सर बदलावों की कोशिश सुनाती है।

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