Wednesday, 16 July 2025

कविता. ५५७०. सपनों की पुकार अक्सर।

                         सपनों की पुकार अक्सर।

सपनों की पुकार अक्सर एहसासों की कोशिश दिलाती है लहरों को खयालों की मुस्कान तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर अरमानों की आहट दिलाती है एहसासों को उजालों की अहमियत तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर आवाजों की धून दिलाती है अरमानों को किनारों की पहचान तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर अंदाजों की परख दिलाती है आशाओं को जज्बातों की रोशनी तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर दास्तानों की सरगम दिलाती है इशारों को उम्मीदों की कहानी तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर अल्फाजों की दुनिया दिलाती है अंदाजों को कदमों की सौगात तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर उम्मीदों की सुबह दिलाती है दास्तानों को बदलावों की आवाज तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर दिशाओं की अरमान दिलाती है तरानों को अफसानों की रोशनी तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर बदलावों की सौगात दिलाती है नजारों को उम्मीदों की सरगम तलाश देकर जाती है।

सपनों की पुकार अक्सर कदमों की आवाज दिलाती है इशारों को दास्तानों की कोशिश तलाश देकर जाती है।


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