Thursday, 10 July 2025

कविता. ५५६४. आशाओं की आस संग।

                          आशाओं की आस संग।

आशाओं की आस संग कदमों से अक्सर एहसास दिलाती है लहरों की कहानी से जुडकर आहट जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग किनारों से अक्सर अल्फाज दिलाती है खयालों की सरगम से जुडकर कोशिश जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग दिशाओं से अक्सर मुस्कान दिलाती है उजालों की सुबह से जुडकर पहचान जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग तरानों से जुडकर सपना दिलाती है इरादों की सौगात से जुडकर अहमियत जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग अरमानों से जुडकर पुकार दिलाती है दास्तानों की समझ से जुडकर उम्मीद जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग अंदाजों से जुडकर सरगम दिलाती है लम्हों की आवाज से जुडकर रोशनी जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग अफसानों से जुडकर उमंग दिलाती है किनारों की सोच से जुडकर दास्तान जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग अदाओं से जुडकर तलाश दिलाती है उम्मीदों की आहट से जुडकर मुस्कान जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग नजारों से जुडकर सुबह दिलाती है राहों की आवाज से जुडकर परख जज्बात दिलाती है।

आशाओं की आस संग अंदाजों से जुडकर सरगम दिलाती है लम्हों की सौगात से जुडकर लहर जज्बात दिलाती है।


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