Sunday, 27 July 2025

कविता. ५५८१. दिशाओं की महफिल से।

                           दिशाओं की महफिल से।

दिशाओं की महफिल से आशाओं संग जज्बातों की तलाश दिलाती है सपनों को अंदाजों की पुकार सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से आवाजों संग खयालों की कहानी दिलाती है नजारों को लम्हों की अहमियत सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से दास्तानों संग कदमों की आहट दिलाती है आशाओं को लहरों की सौगात सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से किनारों संग अदाओं की धून दिलाती है अरमानों को उजालों की रोशनी सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से एहसासों संग तरानों की उमंग दिलाती है इशारों को उम्मीदों की आस सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से अल्फाजों संग‌ राहों की सुबह दिलाती है बदलावों को धाराओं की परख सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से लहरों संग दास्तानों की समझ दिलाती है कदमों को अरमानों की सोच सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से जज्बातों संग इशारों की कोशिश दिलाती है किनारों को बदलावों की तलाश सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से उम्मीदों संग लम्हों की आहट दिलाती है एहसासों को तरानों की आहट सरगम सुनाती है।

दिशाओं की महफिल से जज्बातों संग बदलावों की आस दिलाती है इरादों को दास्तानों की पहचान सरगम सुनाती है।


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