Tuesday 13 August 2024

कविता. ५२३३. आस को नजारों की।

                               आस को नजारों की।

आस को नजारों की समझ सरगम सुनाती है जज्बातों को अंदाजों की तलाश सहारा दिलाती है दास्तानों को एहसासों की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की कहानी कोशिश सुनाती है तरानों को अरमानों की परख पहचान दिलाती है लहरों को इशारों की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की सोच तराना सुनाती है अल्फाजों को सपनों की आहट अरमान दिलाती है लम्हों को खयालों की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की सौगात अफसाना सुनाती है उम्मीदों को राहों की मुस्कान सुबह दिलाती है कदमों को उजालों की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की अहमियत अंदाज सुनाती है बदलावों को दिशाओं की आवाज लहर दिलाती है किनारों को जज्बातों की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की सुबह उमंग सुनाती है एहसासों को अंदाजों की अहमियत सपना दिलाती है दास्तानों को अदाओं की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की तलाश आहट सुनाती है अफसानों को तरानों की सौगात रोशनी दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की उम्मीद लहर सुनाती है आशाओं को बदलावों की सोच उजाला दिलाती है इशारों को कदमों की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की सोच तलाश सुनाती है इरादों को सपनों की सरगम दास्तान दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं की पुकार सुनाती है।

आस को नजारों की उमंग समझ सुनाती है तरानों को लहरों की मुस्कान अरमान दिलाती है अफसानों को आशाओं की पुकार सुनाती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५२७१. किनारों की आहट अक्सर।

                              किनारों की आहट अक्सर। किनारों की आहट अक्सर अरमानों संग पुकार दिलाती है लहरों को इशारों से आवाजों की धून एहसास ...